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चीन जापान पर जीत का 80 साल पूरा होने का जश्न मनाने की तैयारी कर रहा है, जबकि जापान फिलीपींस को छह विध्वंसक जहाज देने जा रहा है. इससे साउथ चाइना सी में तनाव बढ़ सकता है.
जापान ने फिलीपींस को छह विध्वंसक जहाज देने का फैसला किया है
हाइलाइट्स
- जापान फिलीपींस को छह विध्वंसक जहाज देगा.
- चीन ने जापान-फिलीपींस गठजोड़ पर ऐतराज जताया.
- साउथ चाइना सी में तनाव बढ़ने की आशंका.
कैसे बढ़ेगा तनाव
कल्पना कीजिए, जुलाई 2025 के अंत में फिलीपींस की नौसेना जापान के पानी में मौजूद अबुकुमा-क्लास डिस्ट्रॉयर जहाज़ों से अभ्यास करती है. ये 2,000 टन के युद्धपोत होते हैं जिनमें पनडुब्बी और दुश्मन जहाजों को मार गिराने वाली मिसाइलें लगी होती हैं. अब इन्हें नए कम्युनिकेशन सिस्टम से लैस किया जा रहा है, जिससे ये जापान और फिलीपींस के संयुक्त ऑपरेशन में आसानी से इस्तेमाल हो सकें. निश्चित तौर पर ये तनाव बढ़ाएगा.
बीजिंग इसे जापान और फिलीपींस की एक छोटी “गुटबंदी” के रूप में देख सकता है, जो दक्षिण चीन सागर में चीन के दावों को चुनौती देने के लिए बन रही है. यह बात चीन के नेता जियांग की उस चेतावनी को दोहराएगी जिसमें उन्होंने कहा था कि किसी तीसरे देश को निशाना न बनाया जाए.
चीन कैसे प्रतिक्रिया दे सकता है?
मान लीजिए चीन एक सख्त बयान जारी करता है जिसमें जापान पर पिछले दो जंग की तरह फिर से हमले की तैयारी का आरोप लगाता है. इसके बाद चीन की नौसेना विवादित सेनकाकु-दियाओयू द्वीपों और दक्षिण चीन सागर में गश्त तेज कर देती है.
बिल्कुल हो सकती है. खासकर तब जब फिलीपींस अपने नए जहाजों के साथ युद्धाभ्यास करता है और चीनी जहाज़ उन्हें करीब से ट्रैक करते हैं. जापान कह सकता है कि वह केवल रक्षा सहयोग कर रहा है और उसके संविधान में बदलाव के बाद वह अपने सहयोगियों की मदद कर सकता है. कल्पना कीजिए कि जापान, फिलीपींस और अमेरिका के साथ मिलकर बड़ा युद्धाभ्यास करता है और इन जहाजों की ताकत दिखाता है. इससे चीन और भड़क सकता है.
अगर एक मामूली टक्कर हो जाए. जैसे चीनी जहाज़ फिलीपीनी जहाज़ से टकरा जाए और कुछ सैनिक घायल हो जाएं तो क्या होगा. दोनों देश एक-दूसरे पर आरोप लगाएंगे. चीन माफ़ी की मांग करेगा और जापान अमेरिका से मदद मांगेगा क्योंकि दोनों में सेक्युरिटी पैक्ट है. पूरा असर दक्षिण चीन सागर के ट्रेड रूट पर पड़ेगा. जापान चाहे तो चीन के शिपमेंट रोक सकता है. चीन बदले में जापान से सप्लाई रोक सकता है. लेकिन नुकसान यहां चीन का ज्यादा है इसलिए वो मिलिट्री एक्शन से परहेज नहीं करेगा.
आलोक कुमार न्यूज 18 में हिंदी डिजिटल के संपादक हैं. इनके जिम्मे कई स्पेशल प्रोजेक्ट्स हैं. पिछले दो दशकों में यूनीवार्ता, बीबीसी, सहारा, टीवी 9, टाइम्स नेटवर्क और जी ग्रुप में अलग-अलग भूमिकाओं में रहे हैं.
आलोक कुमार न्यूज 18 में हिंदी डिजिटल के संपादक हैं. इनके जिम्मे कई स्पेशल प्रोजेक्ट्स हैं. पिछले दो दशकों में यूनीवार्ता, बीबीसी, सहारा, टीवी 9, टाइम्स नेटवर्क और जी ग्रुप में अलग-अलग भूमिकाओं में रहे हैं.
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