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Chaturmas fasting ritual of two saints in Bhind | भिंड में दो संतों का चातुर्मास व्रत अनुष्ठान: चार माह तक रावतपुरा धाम पर रविशंकर महाराज रहेंगे, भिंड में विहसंत सागर का मंगल प्रवेश – Bhind News

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बाएं से पहले चित्र में रावतपुरा धाम के संत रविशंकर महाराज दूसरे चित्र में जैन संत विहसंत सागर महाराज।

सावन मास शुरू होते ही भिंड में संतों ने चातुर्मास व्रत का संकल्प लिया है। रावतपुरा धाम के संत रविशंकर महाराज आश्रम में रहकर चार महीने व्रत, उपवास और पूजा-पाठ करेंगे। वहीं जैन मुनि विहसंत सागर महाराज का शनिवार को भिंड शहर में मंगल प्रवेश हुआ। वे भी आग

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शहर में विहसंत सागर महाराज का 20 साल बाद चातुर्मास हो रहा है। शनिवार सुबह अटेर रोड से बताशा बाजार, सदर बाजार होते हुए बद्रीप्रसाद की बगिया तक मंगल प्रवेश यात्रा निकाली गई। भिंड विधायक नरेंद्र सिंह कुशवाह भी स्वागत के लिए पहुंचे। जैन समाज के लोगों ने ढोल-नगाड़ों के साथ अगवानी की। अब 13 जुलाई को भव्य कलश यात्रा निकाली जाएगी। चातुर्मास के दौरान जैन संत हर दिन प्रवचन, पूजा और धार्मिक अनुष्ठानों में भाग लेंगे।

रावतपुरा धाम पर भी उत्सव का माहौल इधर रावतपुरा धाम पर भी रविशंकर महाराज द्वारा लंबे समय बाद चातुर्मास व्रत किया जा रहा है। वे भी चार महीने आश्रम पर रहकर नित्य पूजा-पाठ, अनुष्ठान करेंगे और किसी अन्य स्थान पर प्रवास नहीं करेंगे। उनके चातुर्मास व्रत के चलते श्रद्धालुओं में उत्साह है। लगातार लोग उनके दर्शन और आशीर्वाद लेने रावतपुरा धाम पहुंच रहे हैं।

क्यों करते हैं चातुर्मास व्रत? देवशयनी एकादशी से शुरू होकर देवउठनी एकादशी (1 नवंबर) तक चलने वाले चातुर्मास में मान्यता है कि इस दौरान भगवान विष्णु क्षीर सागर में योगनिद्रा में चले जाते हैं। इस अवधि में संत प्रवास नहीं करते और एक ही स्थान पर रहकर व्रत, ध्यान और साधना करते हैं। यह समय धार्मिक अनुष्ठानों और आत्मचिंतन के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है।

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