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Rajasthan Politics: BJP के दिग्गज नेता भैरों सिंह शेखावत इन 5 बातों के बूते करते थे लोगों के दिलों में ‘राज’

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Rajasthan Politics : बीजेपी के संस्थापक सदस्य, राजस्थान के तीन बार सीएम और देश के उपराष्ट्रपति रहे भैरों सिंह शेखावत की राजनीति का न केवल राजस्थान बल्कि पूरा देश कायल रहा है. जानिए भैरों सिंह शेखावत की वो पांच …और पढ़ें

भैरों सिंह शेखावत इन 5 बातों के बूते करते थे लोगों के दिलों पर 'राज'

‘बाबोसा’ के नाम से प्रसिद्ध रहे भैरोंसिंह शेखावत राजस्थान की राजनीति के पुरोधा माने जाते हैं. वे पर्ची सिस्टम के खिलाफ थे.

हाइलाइट्स

  • भैरों सिंह शेखावत तीन बार राजस्थान के सीएम रहे.
  • शेखावत ने ‘अंत्योदय योजना’ शुरू की.
  • शेखावत का फोकस गांव के गरीब इंसान पर था.
जयपुर. राजस्थान की राजनीति में ऐसे बहुत कम नेता हुए हैं जिनका कोई शत्रु नहीं हो. उन्हीं में एक थे बीजेपी के संस्थापक सदस्य, राजस्थान के तीन बार सीएम और देश के उपराष्ट्रपति रहे भैरों सिंह शेखावत. अजातशत्रु के रूप में प्रसिद्ध रहे भैरोंसिंह शेखावत देश के उन चुनिंदा नेताओं में शामिल रहे हैं जिनकी स्पष्ट विचारधारा होते हुए भी उनका कोई दुश्मन नहीं था. शेखावत का एक-एक कार्यकर्ता से संपर्क, जमीनी जुड़ाव, आत्मीयता, शालीनता और सादगी के साथ ही दूरदृष्टी वे खास गुण थे जिनकी बदौलत वे सूबे की राजनीति के भीष्म पितामह कहलाते हैं. आज भी उनकी राजनीति की मिसाल दी जाती है और हर पार्टी का नेता तथा कार्यकर्ता उनको बेहद सम्मान की दृष्टि से देखता है.

राजस्थान के शेखावाटी के सबसे बड़े जिले सीकर के छोटे से गांव खाचरियावास में जन्मे भैरों सिंह शेखावत ने जब राजनीति में एंट्री ली थी तो किसी ने सोचा नहीं था कि यह शख्स राजनीति के इतनी ऊंचाइयां छुएगा. एक या दो बार नहीं बल्कि तीन बार सूबे की कमान संभालेगा. उनकी राजनीति केवल राजस्थान तक ही सीमित नहीं रहेगी बल्कि देशभर में अपनी छाप छोड़ेगी. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवानी जैसे दिग्गजों के सखा रखे भैरोंसिंह शेखावत राजनीति में ऐसी अमिट छाप छोड़ जाएंगे कि उसकी मिसाल दी जाएगी. ‘बाबोसा’ के नाम से प्रसिद्ध रहे भैरोंसिंह शेखावत राजस्थान की राजनीति के पुरोधा माने जाते हैं. वे पर्ची सिस्टम के खिलाफ थे. उनसे मिलने के लिए किसी को पर्ची भेजने की जरुरत नहीं रहती थी. 
शेखावत से जुड़े लोग और राजनीतिज्ञ मानते हैं कि उनका जैसा राजस्थान की राजनीति में कोई नहीं हुआ. इसके पीछे वे कई कारण और तर्क गिनाते हैं. शेखावत की राजनीति के केवल उनकी पार्टी के लोग ही कायल नहीं थे बल्कि विपक्षी भी उन्हें उतना ही सम्मान देते थे और उनसे सीखने की ललक रखते थे. बेहद सामान्य या यूं कहें कि गरीब परिवार से निकलकर राजस्थान ही नहीं देश की राजनीति में छा जाने वाले शेखावत ने पंक्ति के अंतिम शख्स को ऊपर उठाने के लिए ‘अंत्योदय योजना’ शुरू की. यह योजना इतनी सफल हुई कि बाद में उसे भारत सरकार ने भी लागू किया.

सूबे के कौने-कौने की और पल-पल की खबर रहती थी

राजस्थान की राजनीति को नजदीक जानने वाले वरिष्ठ पत्रकार जितेन्द्र सिंह शेखावत के मुताबिक अजातशत्रु भैंरोसिंह शेखावत वो शख्स थे जिन्हें अपनी धरती, अपनी माटी और अपने सूबे के कौने-कौने की और पल-पल की खबर रहती थी. उनका तंत्र इतना जबर्दस्त था कि कोई भी चीज उनसे छिपी हुई नहीं थी. शहर से लेकर गांव गुवाड़ तक उनकी पकड़ बेहद मजबूत थी. चूंकि वे पुलिस सेवा से राजनीति में गए थे लिहाजा सारे दांव पेंच जानते थे. साठ साल के राजनितिक जीवन में उन पर भ्रष्टाचार का कोई आरोप नहीं लगा.

पर्ची सिस्टम से दूर थे शेखावत

शेखावत की याददाश्त इतनी जबर्दस्त थी कि वे अगर किसी से एक बार मिल लेते तो उसे भूलते नहीं थे. गांव-गांव के कार्यकर्ताओं का नाम उन्हें याद रहता था. दूसरी बार मिलने पर वे या तो उसे नाम से पुकारते थे. उनका यही आत्मीय संबंध उन्हें अन्य नेताओं से जुदा करता था. उनसे मिलने के लिए किसी कार्यकर्ता को पर्ची की जरुरत नहीं पड़ती थी. उनका दरबार सबके के लिए हमेशा खुला रहता था.

हाजिरी जवाबी गजब की थी

शेखावत आलस से कोसों दूर रहते थे. थकावट उनके चेहरे पर कभी नहीं झलकी. भले ही वे दिनभर दौरे करने के बाद आधी रात को घर पहुंचे हों लेकिन वे रोजना सुबह सात बजे नहा धोकर बाहर बैठ जाते थे. आने जाने वालों से मिलते. उनकी समस्याएं सुनते. किसी को इंतजार करवाना उनको पसंद नहीं था. उनकी हाजिरी जवाबी गजब की थी. ऐसा कोई सवाल नहीं था जिसके वे जवाब नहीं देते थे. उनकी इस खासियत का मीडिया भी कायल था.

गांव गुवाड़ के गरीब इंसान पर था फोकस

भैरोंसिंह शेखावत का पूरा फोकस गांव गुवाड़ के गरीब इंसान पर था. राजनीति के जानकार बताते हैं कि चूंकि वे खुद गरीबी से निकले थे लिहाजा उन्हें इसका पूरा अहसास था कि आखिर गरीब क्या होती है. खेत में काम करना कितना मुश्किल है. अकाल की पीड़ा क्या होती है. पैसे की क्या कीमत होती है. वे इन सब बातों को ही ध्यान में रखकर सरकारी योजनाएं बनाते और फिर उनको आगे बढ़ाते.

‘आज अगर मां होती तो….’

विपक्ष के साथियों के प्रति भी उनमें बड़ा आदर भाव था. विपक्ष का कोई भी नेता ऐसा नहीं था जिससे उनके आत्मीय संबंध नहीं हो. हंसी मजाक करने वाले शेखावत ने मजाक में भी कभी किसी का दिल नहीं दुखाया. देश के उपराष्ट्रपति बनने के बाद शेखावत जब पहली बार अपने गांव गए तो ग्रामीणों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. उस समय वे मीडिया के साथ अपने उस कमरे में गए जहां उनका जन्म हुआ था. उस मौके पर शेखावत मां को याद करके भावुक हो गए और उनके मुंह से सिर्फ इतना ही निकला ‘आज अगर मां होती तो….’

भैरों सिंह जी आज देश के माथे का चंदन बन गए

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से भी उनका बेहद अच्छा संपर्क रहा. भैरों सिंह शेखावत ने मोदी की लिखी कविताओं की पुस्तक के विमोचन सामारोह में भविष्यवाणी की थी कि नरेन्द्र मोदी एक दिन भारत के प्रधानमंत्री बनेंगे. शेखावत ने यह भी कहा था….मैं रहूं या नहीं रहूं.. अयोध्या में राम मंदिर जरूर बनेगा. सरल जीवन शैली के कारण वे जन-जन में “बाबोसा “के नाम से प्रसिद्ध हुए. शेखावत के उपराष्ट्रपति बनने पर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई ने कहा था ‘भैरों सिंह जी आज देश के माथे का चंदन बन गए हैं’.

Sandeep Rathore

संदीप ने 2000 में भास्कर सुमूह से पत्रकारिता की शुरुआत की. कोटा और भीलवाड़ा में राजस्थान पत्रिका के रेजीडेंट एडिटर भी रह चुके हैं. 2017 से News18 से जुड़े हैं.

संदीप ने 2000 में भास्कर सुमूह से पत्रकारिता की शुरुआत की. कोटा और भीलवाड़ा में राजस्थान पत्रिका के रेजीडेंट एडिटर भी रह चुके हैं. 2017 से News18 से जुड़े हैं.

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