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जीविका से जुड़कर बदली खुशबू की जिंदगी, मात्र 3 हजार की लागत, लाखों में आमदनी, 62 महिलाओं को दे रही रोजगार

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मुजफ्फरपुर की खुशबू ने जीविका से जुड़कर अपना जीवन बदल लिया. मात्र 3 हजार की लागत से शुरू किए मच्छरदानी के बिजनेस से आज वह लाखों में कमा रही हैं और इसके साथी ही 60 महिलाओं को भी रोजगार दे रही हैं.

हाइलाइट्स

  • खुशबू ने 3 हजार से मच्छरदानी का बिजनेस शुरू किया
  • 60 महिलाओं को रोजगार दे रही हैं खुशबू
  • देशभर में चर्चित है खुशबू का मच्छरदानी उद्योग

मुजफ्फरपुर. मुजफ्फरपुर के मड़वन प्रखंड के रसूलपुर गांव की निवासी खुशबू देवी की कहानी काफी रोचक है. खुसबू मच्छरदानी बनाकर जीविका समूह के 62 महिलाओं को रोजगार देती हैं. खुशबू ने हाल ही में नीति आयोग के राष्ट्रीय सेमिनार में भी शामिल हुई थी. जिसमें  उसने देशभर के अधिकारी और प्रतिनिधियों के सामने अपनी सफलता की कहानी रखी थी. इस दौरान अपने लखपति बनने के संघर्ष का भी जिक्र किया.

देश भर में बनाई अपनी पहचान 
जीविका समूह से जुड़ी खुशबू दीदी का मच्छरदानी का उद्योग देशभर में चर्चित हो चुका है. पिछले दिनों एक कार्यक्रम के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी ने भी इनके काम और जज्बे की तारीफ की थी. खुशबू देवी ने बताया कि अपने हुनर से न सिर्फ खुद लखपति बनी, बल्कि दर्जनों महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया है. उन्होंने साल 2009 में यह काम शुरू किया था. इसके बाद वर्ष 2013 में जीविका के गंगा समूह से जुड़ी तब इसके इन्क्यूबेशन फंड से व्यापार को नया रूप दिया.

60 महिलाओं को मिल रहा रोजगार
खुशबू देवी ने बताया कि उन्होंने प्रतिज्ञा मच्छरदानी महिला उत्पादन केंद्र की शुरुआत की. अब वह 60 महिलाओं को रोजगार दे रही हैं. हर दिन सैकड़ों मच्छरदानी बनाकर बेच रही हैं. इस उद्योग और उनकी मेहनत से गांव की पहचान देशभर में हो रही है. खुशबू बताती हैं कि शुरू में उसने सिर्फ 3 हजार से इस बिजनेस को स्टार्ट किया जिसके बाद धीरे-धीरे अपने बिजनेस को बढ़ाती गई और अब 10 लाख का बिजनेस खड़ा कर दिया है. जिससे आस-पास के गांव के लगभग 60 से अधिक महिलाओं को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार मिलता है.

जीविका ने संवारा जीवन 
यहां से बने प्रोडक्ट मुजफ्फरपुर सहित इसके पास के सभी जिलों में भेजा जाता हैं. ठंडा खत्म होते ही मच्छरदानी की डिमांड काफी अधिक हो जाती है. बाद में जब मच्छरदानी की डिमांड कम होती है तो जीविका के माध्यम से स्कूल का कपड़ा आदि बनाने का काम मिलता है. इसी से सभी महिलाओं का घर-परिवार चलता है. खुशबू बताती है कि जीविका से जुड़ने के बाद उनकी तकदीर बदल गई और आज एक नया जीवन मिल गया है. अब किसी के आगे पैसों के लिए हाथ नहीं फैलाना होता है. खुद भी पैसा कमा रही है और दूसरों को रोजगार भी दे रही है.

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