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Africa Ripping Apart, New Ocean Forming | धरती की ‘धड़कन’ ने चीरा अफ्रीका का सीना, एक नया समुद्र जन्म लेने को तैयार, जो हो रहा है वो चौंकाने वाला है!

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नई दिल्ली: अफ्रीका की धरती के नीचे कुछ ऐसा हो रहा है जो आने वाले समय में न सिर्फ इस महाद्वीप के, बल्कि पूरे विश्व के भूगोल को बदल सकता है. वैज्ञानिकों ने अफ्रीका के अफार (Afar) क्षेत्र के नीचे एक रहस्यमयी ‘पल्स’ यानी धड़कन खोजी है जो धीरे-धीरे महाद्वीप को दो भागों में बांट रही है. अगर यही प्रक्रिया जारी रही तो एक दिन यहां नया महासागर बन जाएगा.

अफार में क्यों हो रहा है ऐसा?

यह चौंकाने वाली खोज यूनिवर्सिटी ऑफ साउथैम्पटन समेत 10 अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के वैज्ञानिकों की एक संयुक्त रिसर्च का नतीजा है. रिसर्च में पता चला है कि इथियोपिया के अफार क्षेत्र के नीचे पृथ्वी की सतह पर एक स्थिर और दोहरावदार धड़कन की तरह गतिविधि हो रही है. ये धड़कनें लावा के रूप में धरती की अंदरूनी परत यानी मैग्मा से आ रही हैं, जो लगातार टेक्टॉनिक प्लेट्स को अलग कर रही हैं.

नया समुद्र बनने की शुरुआत?

यह इलाका, जिसे ‘East African Rift System’ कहा जाता है, वो जगह है जहां पृथ्वी की टेक्टॉनिक प्लेट्स खिंच रही हैं. जब प्लेट्स अलग होती हैं, तो धरती की सतह पतली होती जाती है और आखिरकार यह फटकर दो भागों में बंट सकती है. वैज्ञानिकों का मानना है कि अफार क्षेत्र में यही हो रहा है, और अगर यह प्रक्रिया जारी रही तो एक नया महासागर बन सकता है.

आने वाले लाखों सालों में बदल सकता है दुनिया का नक्शा (सांकेतिक तस्वीर)
‘भूगर्भीय बारकोड’ की तरह दिखी धरती की परतें

रिसर्च में वैज्ञानिकों ने अफार और मेन इथियोपियन रिफ्ट से 130 से ज्यादा ज्वालामुखीय चट्टानों के नमूने लिए और उनके रासायनिक विश्लेषण किए. उन्हें पता चला कि धरती के अंदर एक ‘मैग्मा प्लम’ यानी लावे का एक स्थाई स्तंभ समय-समय पर धड़कनों की तरह सक्रिय होता है. इन धड़कनों की खास बात ये है कि ये भूगर्भीय रासायनिक बैंड बनाते हैं जो बार-बार दिखते हैं, ठीक किसी बारकोड की तरह.

प्रो. टॉम जर्नन, यूनिवर्सिटी ऑफ साउथैम्पटन से जुड़े इस अध्ययन के सह-लेखक कहते हैं, ‘यह धड़कनें बताती हैं कि अफार के नीचे लावे की धारा स्थिर नहीं बल्कि जिंदा और प्रतिक्रियाशील है. यह पृथ्वी के दिल की तरह धड़क रही है.’

तेज हो रही है टेक्टॉनिक एक्टिविटी?

इस साल जनवरी में कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर केन मैकडॉनल्ड ने कहा था कि पूर्वी अफ्रीका में महाद्वीप के अलग होने की प्रक्रिया पहले के मुकाबले तेज हो गई है. उनके मुताबिक सोमालिया, इथियोपिया, केन्या और तंजानिया का हिस्सा एक नया भूखंड बनाकर मुख्य अफ्रीका से अलग हो सकता है.

उन्होंने चेतावनी दी थी कि अगर ये सिलसिला यूं ही चलता रहा, तो एक दिन हिंद महासागर की लहरें रिफ्ट वैली में घुसकर इसे समुद्र में तब्दील कर देंगी. हालांकि वैज्ञानिक मानते हैं कि पूरी तरह से अफ्रीका के दो हिस्सों में बंटने में अभी लाखों साल लगेंगे.

क्या होगा भविष्य में?

इस रिसर्च का पहला चरण पूरा हो चुका है और अब वैज्ञानिक यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि अफार के नीचे लावे की धारा कितनी तेज़ी से बह रही है और धरती के ऊपर किस तरह का बदलाव लाने वाली है. इस स्टडी को Nature Geoscience जर्नल में 25 जून 2025 को प्रकाशित किया गया है.

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