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इजरायल ने ईरान की कुख्यात इविन जेल पर क्यों किया हमला?

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Israel attack on Evin prison: ईरान की कुख्यात एविन जेल पर इजरायल ने हमला किया. माना जा रहा है कि इजरायल ने जेल को निशाना ईरानी शासन पर दबाव बनाने के लिए बनाया.

इजरायल ने ईरान की कुख्यात इविन जेल पर क्यों किया हमला, रहते हैं राजनीतिक कैदी

तेहरान में एविन जेल.

हाइलाइट्स

  • इजरायल ने ईरान की एविन जेल पर हवाई हमला किया
  • जेल में राजनीतिक कैदी और विदेशी बंदी रखे जाते हैं
  • हमले से जेल के कुछ हिस्से क्षतिग्रस्त हुए

Israel attack on Evin prison: इजरायल ने सोमवार को ईरान की राजधानी तेहरान के करीब दोपहर में हवाई हमले किए. जिसमें से एक हमला कथित तौर पर एविन जेल के गेट पर हुआ. ईरानी स्टेट टीवी के अनुसार यह कुख्यात जेल दोहरी नागरिकता वाले लोगों और पश्चिमी बंदियों को रखने के लिए जानी जाती है. जिसका उपयोग अक्सर पश्चिम के साथ वार्ता में लाभ उठाने के लिए किया जाता है. तेहरान की उत्तरी तलहटी में स्थित इविन जेल ईरान का सबसे खतरनाक हिरासत केंद्र है, जिसे अक्सर इस्लामिक गणराज्य की न्याय प्रणाली का ब्लैक होल कहा जाता है. इसमें राजनीतिक कैदी, पत्रकार, कार्यकर्ता, दोहरी नागरिकता वाले और विदेशी कैदी रहते हैं. जिनमें से कई को निष्पक्ष सुनवाई के बिना ही जेल में रखा जाता है.

एविन जेल का संचालन ईरान के खुफिया मंत्रालय और इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स ((आईआरजीसी) द्वारा किया जाता है. रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स ईरान का एक शक्तिशाली बल है, जो सीधे सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई को रिपोर्ट करता है. ईरान के एक न्यूज आउटलेट मिजान ने इविन जेल पर इजरायली हमले की पुष्टि करते हुए कहा कि जेल के कुछ हिस्से क्षतिग्रस्त हो गए लेकिन स्थिति नियंत्रण में है. वहीं, इजरायल के रक्षा मंत्रालय ने पुष्टि की है कि ये इजरायली हमले तेहरान में ईरानी सरकार के ठिकानों को निशाना बनाकर किए गए थे, जिनमें इविन जेल भी शामिल है. इजरायल ने कहा कि उसने इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (आईआरजीसी) के मुख्यालय पर भी हमला किया.

कैदियों को यातना देने के लिए बदनाम
पांच हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में फैली एविन जेल में 10,000 से 15,000 कैदी रह सकते हैं. यह जेल अपने कैदियों के साथ दुर्व्यवहार के लिए बदनाम है. इसका निर्माण 1971 में उत्तरी तेहरान की तलहटी में इस्लामी क्रांति से पहले ईरान के शाह मुहम्मद रजा पहलवी द्वारा किया गया था. इस क्रांति में ईरान के शाह को सत्ता से हटा दिया गया था. शाह ने इसका इस्तेमाल हजारों राजनीतिक कैदियों को बंदी बनाने के लिए भी किया. जिनमें से कई को अमानवीय यातनाएं दी गईं और मार डाला गया. उस समय जेल का संचालन शाह की गुप्त पुलिस सावाक द्वारा किया जाता था. 1988 में क्रांति के बाद हजारों लोगों को इविन जेल में दिखावटी मुकदमे के बाद फांसी दे दी गई थी.

मोटी रकम देने पर छूटे ब्रिटिश-ईरानी बिजनेसमैन
वहां कैद लोगों ने लंबे समय तक यातना और दुर्व्यवहार का आरोप लगाया है. फर्स्टपोस्ट की एक रिपोर्ट के अनुसार ब्रिटिश-ईरानी बिजनेसमैन अनूशेह अशूरी ईरान में अपनी मां से मिलने गए थे. तब उन्हें इजरायल के लिए जासूसी करने के आरोप में अधिकारियों ने गिरफ्तार कर लिया. अशूरी ने बताया, “हमें जहां रखा गया (हॉल 12) उसकी स्थिति बेहद खराब थी. हमें खटमलों, कॉकरोचों और बड़े चूहों से जूझना पड़ा. खाना भी खाने लायक नहीं था.” उन्होंने बताया कि हॉल 12 के चार कमरों में 70 लोग रहते थे. अशूरी ने अधिकारियों पर मनोवैज्ञानिक यातना देने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, “मुझे लगातार यातनाएं दी गईं और पूछताछ की गई. पूछताछ करने वाले धमकी देते थे कि वे मेरे परिवार के सदस्यों को नुकसान पहुंचाएंगे.” अनूशेह अशूरी को ब्रिटेन सरकार द्वारा ईरान को एक मोटी रकम चुकाने के बाद ही रिहा किया गया.

लेबनानी बिजनेसमैन के साथ भी ऐसा हुआ
लेबनानी बिजनेसमैन निजार जक्का को भी कुछ ऐसा ही अनुभव हुआ. उन्होंने भी अमेरिका के लिए जासूसी के आरोप के बाद चार साल एविन में बिताए. निजार जक्का को वार्ड नंबर 7 में रखा गया था. जहां पांच वर्ग मीटर के कमरे में लगभग 20 लोग ठूुसे हुए थे. फर्स्टपोस्ट के अनुसार उन्होंने कहा, “पूछताछकर्ता हर छह सप्ताह में आता और पूछता कि क्या मुझे कुछ कहना है. मैं नहीं कहता और मुझे वापस भेज दिया जाता.” अनूशेह अशूरी के विपरीत निजार जक्का को शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया गया. उन्होंने कहा, “जब आप उनके सवालों का जवाब नहीं देते हैं तो वे आपको तब तक असहज स्थिति में खड़ा या बैठाए रखते हैं जब तक कि आप थक कर बेहोश नहीं हो जाते. फिर वे एक-दूसरे से बात करते हुए इधर-उधर घूमने लगते हैं और आपके हाथ पर पैर रख देते हैं.” सालों के अभियान और लेबनानी राष्ट्रपति मिशेल औन के अनुरोध के बाद ही उन्हें रिहा किया गया.

क्या कुछ नहीं होता इस जेल में
जिन लोगों को राजनीतिक कैदी माना जाता है उन पर ‘पृथ्वी पर भ्रष्टाचार फैलाने’ और ‘ईश्वर के विरुद्ध शत्रुता रखने’ का आरोप लगाया जाता है. उन्हें अक्सर सामान्य कैदियों की तुलना में अधिक कठिन समय का सामना करना पड़ता है. एमनेस्टी इंटरनेशनल के अनुसार एविन में कैदियों को अधिकारियों के हाथों मारपीट, बिजली के झटके और यौन अपमान का सामना करना पड़ा है. नोबेल पुरस्कार विजेता नरगिस मोहम्मदी उन लोगों में शामिल हैं जिन्होंने गार्डों और पूछताछकर्ताओं पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है. नरगिस मोहम्मदी को बाद में चिकित्सा देखभाल के लिए अस्थायी रूप से रिहा कर दिया गया. ईरानी-कनाडाई वृत्तचित्रकार मजियार बहारी अन्य प्रसिद्ध लोगों में से थे जिन्हें एविन में रखा गया था. वाशिंगटन पोस्ट के जेसन रेजायन और बहाई समुदाय के नेता बहाई 7 जैसे दोहरी नागरिकता वाले लोगों को भी एविन में रखा गया है. कनाडाई पत्रकार जहरा काजमी का 2003 में एविन में निधन हो गया था. जेल में इस तरह के क्रिया-कलापों को लेकर अमेरिका और यूरोपीय संघ दोनों ने उसे निशाना बनाया है.

इजरायल ने एविन जेल को क्यों निशाना बनाया
इजरायल संभवतः ईरानी अधिकारियों पर दबाव बनाने के लिए इविन जेल जैसे लक्ष्यों को चुन रहा है, जो शासन का प्रतीक है. इजरायली रक्षा मंत्रालय ने कहा, “इजरायली घरेलू मोर्चे पर हमला करने के लिए ईरानी तानाशाह को पूरी ताकत से दंडित किया जाएगा.” जेल के कुछ हिस्सों में कथित तौर पर इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (आईआरजीसी) की खुफिया इकाइयां और कार्यालय हैं, जो संभवतः इजरायल की नजर में इसे एक वैध सैन्य लक्ष्य बनाता है. खासकर यदि ये इकाइयां हाल के अभियानों या जवाबी कार्रवाई की योजना में शामिल थीं. एविन पर हमला करना बहुत बड़ा मनोवैज्ञानिक और प्रतीकात्मक महत्व रखता है. यह संकेत देता है कि ईरान के दमन तंत्र का कोई भी हिस्सा सीमा से बाहर नहीं है. और यह कि इजरायल अपने लक्ष्यों के दायरे को परमाणु और सैन्य बुनियादी ढांचे से आगे बढ़ा रहा है.

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