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देसी टैलेंट की दुनिया में गूंज…16 की उम्र में किताबें लिखीं, अब हार्वर्ड में पढ़ेगा किसान का बेटा!

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Success Story: कोल्हापुर के गांव वाले किसान परिवार से निकले विवेक सुतार ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ने का सपना पूरा किया. दो किताबें लिख चुके विवेक का लक्ष्य है ग्लोबल कंपनी के सीईओ बनना.

16 की उम्र में किताबें लिखीं, अब हार्वर्ड में पढ़ेगा किसान का बेटा विवेक!

विवेक सुतार

महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले के कागल तालुका में स्थित छोटे से गांव वाल्वे खुर्द में पैदा हुए विवेक हनमंत सुतार आज अपनी मेहनत और लगन से दुनिया के सबसे बड़े शिक्षा मंच हार्वर्ड यूनिवर्सिटी तक पहुंच गए हैं. किसान परिवार में जन्मे विवेक का सपना है कि वह एक दिन किसी बड़ी और नामी कंपनी के सीईओ बनें. विवेक का आत्मविश्वास कहता है कि वह अपने इस सपने को जरूर सच करेंगे. उनकी कहानी सिर्फ एक छात्र की सफलता नहीं, बल्कि हजारों युवाओं के लिए उम्मीद की रौशनी है.

हर साल लाखों में से होते हैं कुछ ही चुने
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में दाखिला मिलना हर छात्र का सपना होता है, लेकिन यह राह आसान नहीं होती. हर साल दुनिया भर से करीब 3.5 लाख विद्यार्थी आवेदन करते हैं, लेकिन इनमें से सिर्फ 700 को ही चुना जाता है. विवेक ने इस बेहद कठिन प्रतियोगिता में जगह बनाकर साबित कर दिया कि मेहनत और लगन से सब कुछ संभव है. उन्हें ये मौका इंटरनेशनल बैकलॉरिएट (आईबी) कोर्स में शानदार प्रदर्शन, सामाजिक कार्यों में भागीदारी और अलग-अलग गतिविधियों में उनकी मेहनत के चलते मिला.

किताबें लिखकर दिखाई अपनी खास पहचान
विवेक की खासियत उनकी सोच और लेखनी है. सिर्फ 16 साल की उम्र में जब वह दसवीं कक्षा में थे, उन्होंने दो किताबें लिखीं — इकोज़ ऑफ इमोशन्स और हीलिंग पेजेस. इनमें से हीलिंग पेजेस करीब 700 पन्नों की किताब है, जो उनके भीतर छिपी अद्भुत प्रतिभा को दिखाती है. यह जानकर गर्व होता है कि एक किसान का बेटा खेतों में काम करते हुए ऐसी शानदार किताबें लिख सकता है.

प्रेरणा बने शाहू महाराज के विचार
विवेक बताते हैं कि उन्हें हमेशा छत्रपति शाहू महाराज के विचारों से प्रेरणा मिली है. ग्रामीण क्षेत्र में रहने के बावजूद उन्होंने पढ़ाई और अपने सपनों को प्राथमिकता दी. विवेक का लक्ष्य है कि वह एक दिन दुनिया भर में पहचाना जाने वाला उद्यमी और शोधकर्ता बनें. इसके लिए उन्होंने आर्थिक सहायता की जरूरत भी बताई है और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को मदद के लिए प्रस्ताव भी भेजा है.

गांव और समाज ने दिया भरपूर साथ
विवेक की इस सफलता में सिर्फ उनकी मेहनत नहीं, बल्कि उनके गांववालों और समाज का भी अहम योगदान रहा है. शिक्षा मंत्री हसन मुश्रीफ, बिदरी चीनी मिल के पूर्व उपाध्यक्ष बाबासाहेब पाटिल और पूर्व जिला परिषद सदस्य भूषण पाटिल जैसे कई लोगों ने उनका हौसला बढ़ाया और जरूरी सहयोग दिया. उनके परिवार ने भी हर कदम पर उनका साथ दिया.

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