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Success Story: कभी उधार के लिए थी मोहताज, अब खड़ा कर दिया 850 दुकानों का बड़ा नेटवर्क, प्रेरणादायी है पिंकी देवी की यात्रा

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मुजफ्फरपुर: मुजफ्फरपुर के बोचहा प्रखंड के सरफुद्दीनपुर पंचायत की रहने वाली पिंकी देवी की कहानी किसी फिल्म से कम नहीं है. दो साल पहले तक पिंकी देवी अपने घर में रहकर घर का काम करती थीं और साधारण जीवन जीती थीं. उनके पति ही एकमात्र कमाने वाले थे और परिवार आर्थिक तंगी से गुजर रहा था. तभी पिंकी देवी को आसपास के लोगों से जीविका के बारे में जानकारी मिली. उन्होंने जीविका से जुड़कर अपने नए जीवन की शुरुआत की और अब अच्छी कमाई के साथ अन्य महिलाओं को भी रोजगार दे रही हैं.

महाजन से ब्याज पर 30 हजार रुपए लेकर की थी शुरुआत
पिंकी 2023 में जीविका से जुड़ीं. जीविका में आत्मनिर्भर बनने के लिए लोगों को कंपनी बनाने की ट्रेनिंग दी जाती है. 2024 में पिंकी ने ट्रेनिंग ली और उसके बाद खुद की कंपनी बनाई. उन्होंने मोमबत्ती, पानी, मछली का दाना, गाय का दाना, मुर्गी का दाना, पापड़, सत्तू, बेसन जैसे प्रोडक्ट्स बनाना शुरू किया और बाजार में बेचना शुरू किया. जैसे-जैसे डिमांड बढ़ती गई, उन्होंने अपना उत्पादन भी बढ़ाया. शुरुआत में उन्होंने गांव के महाजन से ब्याज पर 30 हजार रुपए लेकर एक गुमटी से इसकी शुरुआत की. आजीविका योजना के तहत गांव में चल रही 850 छोटी दुकानों को पिंकी देवी की दुकान से टैग कर दिया गया, जो इन्हीं की दुकान से सामान लेती हैं.

महिलाओं को दे रही प्रशिक्षण और रोजगार
बाद में पिंकी को सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ मिला तब से पिंकी एक महिला उद्यमी के रूप में अपनी अलग पहचान बना चुकी हैं और अब परिवार की आर्थिक स्थिति भी सुधर गई है. उन्होंने अन्य महिलाओं को भी प्रशिक्षण और रोजगार देना शुरू कर दिया है. पिंकी को सरकार की 7 निश्चय योजना के तहत दूध से बने सभी प्रोडक्ट्स को बेचने का लाइसेंस मिला, जिसके बाद उन्हें कोड उपलब्ध कराया गया, जहां दूध के सभी सामान पटना डेयरी से आते हैं.

350 महिलाओं को मिला रोजगार 
प्रधानमंत्री खाद्य सुरक्षा योजना के तहत उन्हें एक मिनी मॉल का लाइसेंस मिला, जिसमें दैनिक उपयोग की सभी सामग्री की खरीद-बिक्री की जा सकती है. प्रधानमंत्री उर्वरक योजना के तहत खाद, बीज, दवा और खेती में लगने वाले उपकरण बेचने का लाइसेंस मिला. पिंकी ने अपनी कंपनी का नाम चकहेलाल फिश फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड रखा है. आज इस कंपनी से 350 महिलाओं की रोजी-रोटी चलती है.

दूसरी महिलाओं के लिए बनी प्रेरणास्त्रोत 
समूह से जुड़ी महिलाएं गुलदस्ता, पापड़, चटनी, आचार, पैकेजिंग, पौधा तैयार करना और सिंचाई का काम करती हैं. पिंकी सरकारी मेलों में स्टॉल लगाती हैं, जिससे ग्राहकों से सीधा संपर्क भी बन जाता है. पिंकी को कृषि और महिला उद्यमिता के क्षेत्र में मुख्यमंत्री से पुरस्कार भी मिल चुका है. आज पिंकी अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत बन चुकी हैं.

मिली आर्थिक आत्मनिर्भरता
पिंकी बताती हैं कि जीविका से जुड़ने के बाद उनका पूरा जीवन बदल गया है. आज वे आत्मनिर्भर हैं और पूरे परिवार को संभाल रही हैं. पहले आर्थिक रूप से बहुत परेशानी होती थी, लेकिन अब सब सही हो गया है.

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