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नई दिल्ली. आईआरसीटीसी ने 22 मई 2025 तक कश्मीर और लेह पैकेज रद्द करने वाले पर्यटकों को पूरा रिफंड दिया. इस दौरान आईआरसीटीसी ने कश्मीर, लेह और हिमाचल प्रदेश से सभी पर्यटकों को सुरक्षित निकाला. पर्यटकों ने आईआरसीटीसी के इन प्रयासों की खूब तारीफ की. सोशल मीडिया पर लोगों ने आईआरसीटीसी की त्वरित और पेशेवर कार्रवाई की सराहना की, जिसने उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की.
22 अप्रैल 2025 को कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 पर्यटकों की जान गई. इस दुखद घटना के बाद भारतीय रेलवे कैटरिंग और पर्यटन निगम आईआरसीटीसी ने पर्यटकों को सुरक्षित निकालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. भारत सरकार ने 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान के खिलाफ जवाबी कार्रवाई की. आईआरसीटीसी ने इस दौरान कश्मीर, लेह और मनाली में फंसे पर्यटकों को सुरक्षित निकाला और कश्मीर पैकेज रद्द करने वालों को पूरा रिफंड दिया.
174 पर्यटकों को बाहर निकाला
हमले के समय आईआरसीटीसी के 7 पर्यटक समूह कश्मीर में थे, जिनमें 174 लोग शामिल थे. आईआरसीटीसी ने तुरंत अपने वरिष्ठ अधिकारियों को कश्मीर भेजा. 23 से 26 अप्रैल 2025 तक, इन पर्यटकों को श्रीनगर से दिल्ली और फिर उनके गंतव्यों तक फ्लाइट्स के जरिए भेजा गया. अधिकारियों ने दिन-रात काम करके यह सुनिश्चित किया कि सभी सुरक्षित हों.
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भी पर्यटकों की मदद की
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ने पर IRCTC ने लेह और मनाली में मौजूद पर्यटकों को भी निकाला. लेह में 2 और मनाली में 1 समूह, यानी कुल 92 पर्यटकों को सुरक्षित निकाला गया. यह काम आसान नहीं था, क्योंकि तनाव के कारण हालात जटिल थे. आईआरसीटीसी का शीर्ष प्रबंधन केंद्र शासित प्रदेश, राज्य सरकार और सीमा सड़क संगठन के साथ संपर्क में रहा ताकि पर्यटकों की सुरक्षित यात्रा हो सके.
भोजन से लेकर ठहराने की व्यवस्था की
आईआरसीटीसी ने लेह और मनाली से दिल्ली तक पर्यटकों के लिए मुफ्त वॉल्वो कोच की व्यवस्था की, क्योंकि हवाई अड्डे बंद थे. बीमार पर्यटकों को चिकित्सा सहायता दी गई. साथ ही, यात्रा के दौरान भोजन और मनाली व दिल्ली में रात के ठहरने के लिए होटल की व्यवस्था की गई. यह सब आईआरसीटीसी ने अपने खर्च पर किया.
24 घंटे का बनाया कंट्रोल रूम
आईआरसीटीसी ने अपने कॉरपोरेट कार्यालय में 24 घंटे निगरानी केंद्र बनाया. इस केंद्र में वरिष्ठ पर्यटन अधिकारी और कर्मचारी तैनात थे, जो निकासी की निगरानी और पर्यटकों की सहायता के लिए काम कर रहे थे.यह केंद्र दिन-रात सक्रिय रहा ताकि कोई परेशानी न हो.
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