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सिंहस्थ कुम्भ 2028 से पहले उज्जैन में गुरुवार को तेरह अखाड़ों के संत महंत एक साथ इक्क्ठा हुए और उन्होंने अधिकारियों के साथ बैठक कर कुम्भ में होने वाले कार्यों को लेकर चर्चा की।
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इस दौरान उज्जैन कलेक्टर रोशन सिंह, मेला अधिकारी आशीष सिंह, निगम आयुक्त आशीष पाठक, विकास प्राधिकरण सीईओ संदीप सोनी, एसपी प्रदीप शर्मा सहित अन्य अधिकारियों के साथ स्थानीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रामेश्वर दास, भगवान दास के साथ बड़ी संख्या में अन्य संत शामिल हुए।
जंतर मंतर स्थित जगदीश मंदिर में सभी अखाड़ों के प्रतिनिधि साधु-संतों के साथ आज पहली बैठक आयोजित की गई। बैठक के दौरान उज्जैन कलेक्टर रोशन सिंह ने कहा कि 29 किमी नए घाट बना रहे है, जिससे कुम्भ में आने वाले सभी श्रद्धालुओं के बेहतर सुविधा मिल सकेगी। सभी कार्य समय पर पुरे होंगे। पहली बार इतने बड़े कार्य एक साथ हो रहे है। आने वाले एक दो साल में स्थायी निर्माण पुरे होंगे।
कुम्भ मेला अधिकारी आशीष सिंह ने कहा,
इस बार कुम्भ भव्य होगा और ऐसा पहले कही नहीं हुआ होगा। करीब 30 हजार करोड़ के काम मंजूर हो चुके है। इतनी बड़ी संख्या में घाट बनाए जा रहे है ऐसे घाट कहीं नहीं होंगे। स्थायी कुम्भ सिटी का निर्माण हो रहा है। विश्व स्तरीय निर्माण हो रह है। जिसमें रोड, ब्रिज के साथ साथ अन्य कार्य किए जा रहे हैं। कुम्भ नगरी से संतों और आम लोगों के साथ किसानों को भी फायदा होगा।

बैठक के बाद अधिकारियों ने संतो के साथ भोजन प्रसादी ग्रहण किया। कार्यक्रम के बाद महंत रामेश्वर दास ने कहा कि अधिकारियों से आज चर्चा हुई , कई कार्यों के बारे में उन्होंने बताया और 14 मुद्दों पर हमने उन्हें ज्ञापन सौंपा है।
संतो ने रखी ये मांगें
- मोक्षदायिनी शिप्रा नदी में मिल रहे 13 नालों को पूरी तरह बंद कराया जाएं।
- कान्ह क्लोज डक्ट परियोजना के काम तेजी लाई जाएं।
- देवास-इंदौर कि फैक्ट्रियों का जहरीला पानी शिप्रा में मिलने से जल्द रोका जाना चाहिए।
- सिंहस्थ कि पेशवाई जिन मार्गो से निकलती है, उन मार्गो को चौड़ा किया जाएं।
- सिंहस्थ महापर्व प्रारंभ होने के छह माह पूर्व से संतों का उज्जैन आना प्रारंभ हो जाता है, वे स्थानीय आश्रमों में ही ठहरते है । ऐसें में पूर्व के सिंहस्थ 2004, 20016 कि भांति शासन मद से इन आश्रमों में पक्के निर्माण कार्य अभी से शुरू किए जाएं।
- शहर में टाटा कंपनी द्वारा सीवेज का जो काम किया जा रहा है, वह अविलंब पूर्ण कराया जाएं, ताकी शहर का गंदा पानी शिप्रा में न मिलें।
- सिंहस्थ मद से शहर के चारों ओर पत्थरों के भव्य प्रवेश द्वारा निर्मित किए जाएं, जिससे शहर की पौराणिक आभा में अभिवृद्धि हो।
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