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सोशल मीडिया पर फॉलोअर्स कम होना और पेज हैक होना आम बात है। सागर की प्राइवेट यूनिवर्सिटी के संचालक अनिल तिवारी का भी फेसबुक पेज दो साल पहले हैक हो गया था। तिवारी के पेज पर 1 लाख 84 हजार फॉलोअर्स थे। उन्होंने कई बार फेसबुक को शिकायत की। मगर, कोई रिस्पॉ
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इसके बाद तिवारी ने आईटी कोर्ट में याचिका दायर की। कोर्ट के दखल के बाद तिवारी को फॉलोअर्स समेत फेसबुक पेज का कंट्रोल वापस मिला है। कोर्ट ने फेसबुक को नोटिस दिया है। फेसबुक पर कितना जुर्माना लगाया जाए इसका केस जारी है।

अनिल तिवारी का फेसबुक पेज। जब पेज हैक हुआ तब उनके 1.84 लाख फॉलोअर्स थे।
क्या हुआ था अनिल के साथ अनिल बताते हैं कि 2023 में मैंने विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी से टिकट मांगा था। दरअसल, पार्टी ने टिकट के कई सारे क्राइटेरिया तय किए थे। उसमें से एक क्राइटेरिया सोशल मीडिया एक्टिविटी को लेकर भी था, लिहाजा मैंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर एक्टिविटी बढ़ा दी थी। मेरे फेसबुक पर 1 लाख 84 हजार फॉलोअर्स हो गए थे। हालांकि, मुझे टिकट नहीं मिल सका।
ये बात 15 दिसंबर 2023 की है, हम चिनमयानंद बापू की कथा करा रहे थे। कथा के लाइव के दौरान मेरे पेज को हैक कर लिया गया।

तिवारी ने किया आईटी कोर्ट का रुख तिवारी बताते हैं कि फेसबुक पेज का एक्सेस वापस पाने की कोशिश में जुटा था, तभी मुझे आईटी कोर्ट के बारे में पता चला। मैंने कोर्ट में याचिका दायर करने का फैसला किया। जब कोर्ट पहुंचा तो यह प्रदेश का पहला केस था। ऐसा मामला आईटी कोर्ट के अधीन आता भी है या नहीं इस पर बहस हुई।
साइबर लॉ एक्सपर्ट यशदीप चतुर्वेदी ने आईटी एक्ट की धाराओं का उल्लेख करते हुए समझाया कि यह मामला आईटी कोर्ट के अधीन आता है। इसके बाद केस मंजूर किया गया। कोर्ट ने फेसबुक को नोटिस इश्यू किया। फेसबुक की तरफ से केस लड़ने के लिए वकील भेजे गए। मगर, उनके पास कहने के लिए ज्यादा कुछ नहीं था, लिहाजा उन्होंने मेरे पेज का एक्सेस दे दिया।

आईटी कोर्ट की तरफ से फेसबुक को दिया गया नोटिस।
लाखों यूजर्स के लिए खुला रास्ता आईटी कोर्ट में केस की पैरवी करने वाले साइबर लॉ एक्सपर्ट यशदीप कहते हैं कि रिपोर्ट्स के मुताबिक साल 2023 में भारत में 53 लाख सोशल मीडिया अकाउंट हैक हुए थे। सोशल मीडिया अकाउंट हैकिंग के मामले में भारत दुनिया में पांचवें नंबर पर है। अकाउंट हैक होने के बाद ज्यादातर यूजर नया अकाउंट जेनरेट कर लेते हैं।
यशदीप कहते हैं कि आईटी एक्ट 2000 के तहत यूजर्स आईटी कोर्ट में इसकी शिकायत कर सकते हैं। वे चोरी हुआ डेटा वापस हासिल कर सकते हैं। अनिल तिवारी के केस को लेकर चतुर्वेदी बताते हैं कि फेसबुक ने भले ही उन्हें एक्सेस वापस दे दिया है, लेकिन अभी केस खत्म नहीं हुआ है।
प्रोफेसर तिवारी के पास उनकी डिजिटल प्रापर्टी का अधिकार डेढ़ साल तक नहीं रहा। इसकी वजह से उन्हें सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक नुकसान हुआ। एक्सेस पाने के लिए लंबी लड़ाई भी लड़नी पड़ी। हमने फेसबुक से 10 लाख का हर्जाना मांगा है, इस पर सुनवाई हो रही है।

कैसे कर सकते हैं आईटी कोर्ट में अपील आईटी एक्ट 2000 के तहत हर राज्य में कोर्ट आफ एडजिक्यूटिंग ऑफिसर या आइटी कोर्ट की स्थापना की गई है। यह सूचना प्रौद्योगिकी से जुड़े मामले, अपराध, विवाद आदि पर निर्णय के लिए बनी ट्रिब्यूनल है। इसके जज प्रदेश के आइटी सेक्रेटरी होते हैं। मध्यप्रदेश के वल्लभ भवन स्थित आईटी डिपार्टमेंट में यह कोर्ट चलती है।
वर्तमान आइटी सेक्रेटरी एसीएस संजय दुबे इसके जज है। साइबर फ्रॉड और साइबर अटैक के शिकार के साथ पेज हैक होने या डेटा चोरी की शिकायत भी कोर्ट में की जा सकती है। केस सुनने लायक है या नहीं ये आईटी कोर्ट तय करती है। एकबार कोर्ट मामला मंजूर कर लेता है तो संबंधित पक्षों को नोटिस दिया जाता है। दोनों पक्षों के तर्क सुनकर कोर्ट अपना फैसला देता है।

अब जानिए हैकर्स किन तरीकों से करते हैं अकाउंट हैक यशदीप बताते हैं, कि सभी सोशल मीडिया अकाउंट को हैक करने का तरीका हैकर्स का एक जैसा ही होता है। वह हैकर्स के हैक करने के दो तरीकों की जानकारी देते हैं।
1.तकनीकी गड़बड़ी एक्सपर्ट कहते हैं कि आपके सोशल मीडिया अकाउंट, जैसे- फेसबुक, इंस्टाग्राम, ट्विटर और लिंक्डइन होते हैं। यूजर्स इन सभी डिजिटल प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल सोशल और प्रोफेशनल तौर पर लोगों से जुड़ने के लिए करते हैं। इन दो गलतियों की वजह से हैकर्स अकाउंट हैक कर सकते हैं।
यदि एप में ही किसी तरह का लूपहोल है, तो इन्हीं तकनीकी गड़बड़ी का फायदा हैकर्स उठाते हैं। हालांकि, सोशल मीडिया की कंपनियों के पास अच्छे टेक्निकल प्रोफेशनल की टीम होती हैं, लेकिन इसके बावजूद भी हैकर्स टेक्निकल लूपहोल निकाल ही लेते हैं।
2.साइबर ट्रैप एक्सपर्ट के मुताबिक, यूजर की गलती का फायदा हैकर्स उठाते हैं। इसे ऐसे समझ सकते हैं कि हैकर्स कॉल या मैसेज कर यूजर के साथ फिशिंग लिंक शेयर करता है। लिंक को क्लिक करते ही यूजर फेसबुक, ट्विटर जैसी दिखने वाली साइट पर चला जाता है। यहां उससे लॉगिन करने के लिए कहा जाता है।
यदि यूजर लॉगिन करता है, तो हैकर्स अकाउंट का ID और पासवर्ड चुरा लेते हैं। कई बार प्राइवेसी सेटिंग बदलने के नाम पर भी हैकर्स OTP मांग सकते हैं।

हर यूजर की होती है डिजिटल प्रॉपर्टी साइबर लॉ एक्सपर्ट यशदीप चतुर्वेदी बताते हैं- डिजिटल प्रॉपर्टी में केवल सोशल मीडिया अकाउंट ही शामिल नहीं है। किसी व्यक्ति का साइबर वर्ल्ड में जो भी अकाउंट, स्पेस या डेटा है। जिसका एक्सेस उस व्यक्ति के हाथ में है। वह उसकी डिजिटल प्रॉपर्टी है। हेल्थ डेटा, बैंकिंग अकाउंट या बॉयोमेट्रिक डेटा भी डिजिटल प्रॉपर्टी का हिस्सा है। इसी में शामिल होता है डिजिटल पर्सनल डेटा।
इसे हम एक उदाहरण से समझते हैं। जब आप अपने मोबाइल में किसी कंपनी का ऐप इंस्टॉल करते हैं तो वह आपसे कई प्रकार की परमिशन मांगता है, जिसमें कैमरा, गैलरी, कॉन्टैक्ट, GPS जैसी अन्य चीजों का एक्सेस शामिल होता है। इसके बाद वह ऐप आपके डेटा को अपने हिसाब से एक्सेस कर सकता है।
यशदीप बताते हैं कि जब आप किसी कंपनी के ऐप को इंस्टॉल कर परमिशन देते हैं तो कई बार ये ऐप आपके पर्सनल डेटा को अपने सर्वर पर अपलोड कर लेते हैं और उसके बाद अन्य कंपनियों को बेच भी देते हैं। अभी तक हम ऐप से यह जानकारी नहीं ले पाते हैं कि वह हमारा कौन सा डेटा ले रहे हैं और उसका क्या यूज कर रहे हैं। इसी के लिए डेटा प्रोटेक्शन एक्ट 2023 लाया गया है।

फॉलोअर्स कम हुए तो इन्फ्लुएंसर ने की खुदकुशी
25वें बर्थडे से ठीक दो दिन पहले 24 अप्रैल 2025 को सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर मिशा अग्रवाल ने सुसाइड किया था। बड़ी बहन मुक्ता ने इसके पीछे डिप्रेशन को जिम्मेदार बताया था। घटना के 6 दिन बाद उन्होंने इंस्टाग्राम पर पोस्ट करके बताया कि फॉलोअर्स घटने की वजह से मिशा ने ये कदम उठाया।
सोशल मीडिया पर फॉलोअर्स घटने से सुसाइड का ये अपनी तरह का पहला मामला है। परिवार का कहना है कि पिछले एक साल से मिशा के फॉलोअर्स घट रहे थे। इसे लेकर वो बहुत परेशान थी और कहती थी कि ऐसे तो उसका करियर खत्म हो जाएगा।
24 साल की मिशा अग्रवाल लॉ ग्रेजुएट थीं। प्रांतीय सिविल सेवा न्यायिक (PCSJ) की तैयारी भी कर रही थीं। इंस्टाग्राम पर वो अपने ह्यूमर वाले वीडियोज और मेकअप ट्यूटोरियल्स के लिए जानी जाती थीं। उनका अपना हेयर ऑयल ब्रांड ‘मिश कॉस्मेटिक्स’ भी है।

21 करोड़ लोगों को सोशल मीडिया की लत
2025 तक दुनिया में 5.17 अरब लोग (यानी 60% से ज्यादा आबादी) सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर रही है। औसतन हर व्यक्ति रोज 2 घंटे 23 मिनट फोन पर सोशल मीडिया देखता है। कुछ लोग, खासकर युवा इससे कहीं ज्यादा समय बिताते हैं।
मिशिगन यूनिवर्सिटी के एक रिसर्च के मुताबिक, दुनिया भर में करीब 21 करोड़ लोग सोशल मीडिया की लत का शिकार हैं। अमेरिका में 10% लोग (लगभग 3.32 करोड़) इस लत से जूझ रहे हैं।
2021 में 32 देशों के 34,798 लोगों पर हुई एक रिसर्च में पाया गया कि 5% से 25% लोग सोशल मीडिया के आदी हैं। भारत और चीन जैसे देशों में यह संख्या 31% तक है, जबकि यूरोपीय देशों में 14% है। इसका मतलब है कि भारत जैसे देशों में ये समस्या ज्यादा गंभीर है, क्योंकि यहां लोग एक-दूसरे की राय को ज्यादा अहमियत देते हैं।

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