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राजगढ़ में एक शादी के दौरान 7 साल की बच्ची नाइट्रोजन पॉट में गिर गई थी। जिसकी 4 दिन की इलाज का मौत हो गई। हादसे वाले दिन मासूम वाहिनी को बस एक बात की खुशी थी कि शादी में डांस करना है, वो भी अपनी फेवरेट लाल फ्रॉक में। उसने पापा से जिद की, तैयार होकर स
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यह कोई आम दुर्घटना नहीं थी, यह एक लापरवाही का नतीजा थी। शादी में ठंडी नाइट्रोजन जैसे खतरनाक रसायन का खुले में इस्तेमाल एक मासूम की जान ले गया।
दैनिक भास्कर की टीम ने वाहिनी के परिवार से बात की…
“पापा मुझे वही ड्रेस पहननी है”
वाहिनी के पिता राजेश गुप्ता ने बताया कि 6 मई को खुजनेर कस्बे में उनकी भतीजी की शादी थी। वह एक दिन पहले 5 मई की शाम को पत्नी और चार बेटियों के साथ वहां पहुंचे थे। उस दिन संगीत और अन्य रस्में चल रही थीं। अगले दिन लग्न, सगाई और मिलनी का कार्यक्रम हुआ।
पिता बताते है कि
6 मई की शाम होते-होते सब तैयार होने लगे। तभी बेटी वाहिनी मेरे पास आई। उसने मुझसे कहा कि पापा, मुझे वही रेड ड्रेस पहननी है, जो मैंने स्कूल में पहनी थी।

उन्होंने आगे बताया कि मैंने उसकी बात मान ली। बच्ची तैयार होकर दोस्तों संग स्टेज पर पहुंच गई, जहां बारात के स्वागत की तैयारी हो रही थी।
नाइट्रोजन के बर्तन में गिरने से जल गई
राजेश गुप्ता ने बताया कि गेट पर बारात आई, ढोल बजने लगे। बच्चे मंच पर नाचने लगे। उसी मंच के पास एक बड़ा बर्तन रखा था, जिसमें सजावट के लिए नाइट्रोजन डाली गई थी। दूल्हा-दुल्हन की एंट्री के दौरान स्मोकी वीडियो बनाने के लिए नाइट्रोजन गैस का इस्तेमाल किया गया।
इसी दौरान खेलते-खेलते वाहिनी नाइट्रोजन से भरे पॉट में गिर गई। नाइट्रोजन की तीव्र ठंडक (-196°C) ने उसके शरीर को बुरी तरह जला दिया। उसका शरीर नाइट्रोजन में डूब गया, सिर्फ पैर और चेहरा बाहर था। उसने खुद को अपने हाथ की मदद से बाहर निकला लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। फ्रॉक उसके शरीर पर जलकर चिपक चुकी थी। लोगों ने कपड़ा फाड़कर अलग किया। परिजन उसे तुरंत अस्पताल लेकर दौड़े।
इंदौर में 4 दिन जिंदगी की जंग चली
परिजन वाहिनी को लेकर स्थानीय डॉक्टर के पास पहुंचे जिसने गंभीर हालत देखते हुए बच्ची को बाहर ले जाने की सलाह दी गई। परिजन उसे इंदौर के अरबिंदो अस्पताल ले गए। डॉक्टरों ने बताया कि वह 80% जल चुकी थी। चार दिन तक डॉक्टरों ने पूरी कोशिश की लेकिन 10 मई की रात बच्ची चल बसी।
पढ़ाई में होशियार, डांस की शौकीन थी
वाहिनी के पिता की बाढ़ गांव में ही छोटी स्टेशनरी की दुकान है, मां गृहिणी हैं। चार बेटियों में वाहिनी तीसरे नंबर की थी। वह महज सात साल की थी। यूकेजी में पढ़ती थी और 98% नंबर लाकर फस्ट क्लास में आई थी। पिता ने बताया कि उसका डांस के लिए जुनून था। हर कार्यक्रम में मंच पर सबसे आगे रहती थी।
नेत्रदान कर दी मानवता की मिसाल
वाहिनी की चचेरी बहन पूजा गुप्ता ने नेत्रदान का सुझाव दिया। उसने अपने चाचा राजेश को बताया कि वाहिनी तो चली गई, लेकिन हम नेत्रदान कर उसे अमर रख सकते है। जिसके बाद वाहिनी के माता-पिता इसके लिए राजी हुए। उन्होंने इंसानियत की मिसाल दी। उन्होंने बेटी का नेत्रदान किया। अब वाहिनी की आंखों से कोई और दुनिया देखेगा। पिता का कहना है कि,
हमारी बेटी चली गई, लेकिन उसकी आंखें किसी और की रोशनी बनेंगी। यही हमारी संतुष्टि है।

पिता बोले- शादी में नाइट्रोजन केमिकल पर बैन लगे
बेटी की मौत से टूट चुके राजेश गुप्ता कहते हैं कि मेरी बेटी की तो जान चली गई, लेकिन मैं चाहता हूं कि अब शादी समारोहों में नाइट्रोजन जैसी चीजें पूरी तरह बंद होनी चाहिए। ये दिखावे की चीजें होती हैं, लेकिन किसी की जान ले सकती हैं। आज मेरी बेटी गई है, कल किसी और की जाएगी। ठंडी नाइट्रोजन जैसे खतरनाक केमिकल पर सरकार को बैन लगाना चाहिए।
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