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युद्ध के बीच कैसा होता है जीवन, कैसे जी रहे हैं यूक्रेन के लोग? किन दिक्कतों का करते हैं रोज सामना

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Russia-Ukraine war: पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दिया है. ऑपरेशन सिंदूर में भारत ने पाकिस्तान की नौ जगहों को टारगेट कर उनको नेस्तानाबूत कर दिया. इस हमले में 26 से ज्यादा आतंकी मारे गए हैं जबकि 46 घायल हैं. इसके बाद भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध की आशंका बढ़ गई है. भारत और पाकिस्तान के बीच तीन युद्ध 1947, 1965 और 1971 में हो हुए हैं. दोनों देशों के पास परमाणु हथियार हैं. इससे संभावित खतरा और भी बढ़ जाता है कि अगर युद्ध हुआ तो उसका अंजाम क्या होगा?

दूसरी ओर रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध अभी भी चल रहा है. फरवरी 2022 में रूस ने यूक्रेन पर आक्रमण किया था और देश के अधिकांश हिस्से पर कब्जा करना शुरू कर दिया था. द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यूरोप में इसे सबसे बड़ा संघर्ष माना जा रहा है. इस युद्ध में हजारों की संख्या में लोगों की मौत हो गई है. युद्ध के दौरान देश में लोगों की क्या स्थिति होती है. इस दौरान उनका जीवन किस तरह का हो जाता है. आइए इसे रूस-यूक्रेन युद्ध से समझते हैं कि वहां पर कैसे हालात हैं?

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जिंदगी जारी रखने की कोशिश
24 फरवरी, 2025 को रूस द्वारा यूक्रेन पर आक्रमण किए जाने के तीन साल पूरे हो गए. इस युद्ध में केवल सैनिक ही नहीं बल्कि बड़ी संख्या में नागरिक भी हताहत हुए हैं. इससे शरणार्थी संकट पैदा हुआ है और अत्यधिक भुखमरी फैली है. तीन साल बाद भी भीषण लड़ाई जारी है. ज्यादातर नागरिक अपनी जिंदगी को जारी रखने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उन्हें लगातार गोलाबारी का सामना करना पड़ रहा है. विस्थापन, गरीबी और भुखमरी लगातार बनी हुई है. युद्ध का कोई अंत नजर नहीं आ रहा है. कितने यूक्रेनी सैनिक अपनी जान गंवा चुके हैं, ये संख्या एक रहस्य है. पश्चिमी देशों के अधिकारियों का अनुमान है कि दसियों हजार लोग मारे गए हैं और दसियों हजार से ज्यादा घायल हुए हैं. 

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युद्ध ने यूक्रेन के लोगों और शहरों को बदल दिया है.

युद्ध ने यूक्रेन के लोगों और शहरों को बदल दिया है.

3 साल में तबाह हो गया यूक्रेन
तीन साल से चल रहे युद्ध के निशान हर जगह मौजूद हैं, जिसने यूक्रेन की सूरत हमेशा के लिए बदल दी है. असंख्य औरतें विधवा हो गई हैं, माता-पिता दुश्मन सेना द्वारा पकड़े गए बेटों की प्रतीक्षा कर रहे हैं, कक्षाएं खाली हैं और किसानों को खेत पर काम करने के लिए मजदूर नहीं मिल रहे हैं. अग्रिम मोर्चे से लगभग 100 किमी दूर एक छोटे से गांव के कब्रिस्तान में करीब 14-15 सैनिक एक छोटी सी जगह में दफन हैं. देश भर में इसी तरह के कब्रिस्तान देखने को मिल रहे हैं. जो रूस के खिलाफ चल रहे भीषण युद्ध की कड़वी गवाही देते हैं. 

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10,000 नागरिक मारे गए
यूक्रेन में युद्ध विनाशकारी रहा है. युद्ध शुरू होने के बाद से 10,000 से ज्यादा यूक्रेनी नागरिक मारे गए हैं. लगभग 50 लाख यूक्रेनी अभी भी आंतरिक रूप से विस्थापित हैं. पूरे यूरोप में लगभग 60 लाख शरणार्थी हैं. कुल मिलाकर हर तीन में से एक यूक्रेनी विस्थापित है. अपने घरों को लौटने वाले कई लोग अपने जीवन को फिर से बनाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. क्योंकि उनके पास पैसे खत्म हो गए हैं और उनके घर मलबे में तब्दील हो गए हैं.   

टैंकों के बीच जिंदगी तलाशता एक परिवार.

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मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर
युद्ध ने यूक्रेन के लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर भी बुरा असर डाला है. बहुत से लोग गिरने वाली मिसाइलों और तोपखाने के खतरे के बीच निरंतर तनाव और चिंता के साथ रहते हैं. 30 फीसदी आबादी मानसिक स्वास्थ्य विकारों से पीड़ित है. तीन बच्चों की सिंगल मदर अन्ना हर बार हवाई हमले के सायरन बजने पर चिंतित हो जाती हैं. जब बच्चे स्कूल में होते हैं तो उन्हें डर लगता है. क्योंकि उन्हें नहीं पता कि मिसाइल कहां गिर सकती है. वह कहती है, “मुझे बस शांति चाहिए.” अन्ना के पास कोई काम नहीं है, लेकिन संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम के जरिये मिल रही नकद सहायता की बदौलत वह अपने बच्चों का भरण-पोषण करने में सक्षम हैं.

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एक चौथाई आबादी गरीबी से त्रस्त
इस समय यूक्रेन की लगभग एक चौथाई आबादी गरीबी में जी रही है. औसतन पांच में से एक परिवार भोजन की कमी से जूझ रहा है. जो परिवार फ्रंटलाइन के जितना करीब रहते हैं, उनके लिए भोजन का इंतजाम करना, उसका खर्च वहन करना और तैयार करना उतना ही मुश्किल होता है. मार्च 2022 से, संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम ने युद्ध से प्रभावित यूक्रेनियों को 2.5 बिलियन भोजन के बराबर भोजन और नकद सहायता प्रदान की है. संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम हर महीने 24 लाख लोगों की मदद कर रहा है. संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम आपातकालीन भोजन और नकद सहायता के अलावा देश भर में 100,000 से अधिक बच्चों को स्कूल में भोजन भी प्रदान करता है. 

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नष्ट हुआ बुनियादी ढांचा और अर्थव्यवस्था
भारी बमबारी ने यूक्रेन के बुनियादी ढांचे को काफी नुकसान पहुंचाया है. जिससे अक्सर देश के कुछ हिस्सों में बिजली, पानी और ईंधन की सप्लाई कट जाती है. 2023 के मध्य में काखोवका बांध क्षतिग्रस्त हो गया जिससे बाढ़ आ गई. हजारों लोग विस्थापित हो गए और उन्हें भोजन और पीने के पानी के बिना रहना पड़ा. खेती पर भी बहुत बुरा असर पड़ा है. युद्ध के कारण यूक्रेन की लगभग दस फीसदी कृषि भूमि खाली हो गई है. खेतों में बारूदी सुरंगें बिछी हुई हैं और खेती के उपकरण नष्ट हो गए हैं. अनुमान है कि युद्ध के कारण चार में से एक किसान ने खेती का काम कम कर दिया है या बंद कर दिया है. इन सबने यूक्रेन की अर्थव्यवस्था पर दबाव डाला है. पहले साल इसमें 30 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई है. इसे फिर से खड़ा होने में दशकों लगेंगे.

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