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कभी सिर्फ चौका-बर्तन और चूल्हे तक सीमित रहने वाली आदिवासी महिलाएं आज खुद की कंपनी की डायरेक्टर हैं और वो भी करोड़ों की! खंडवा जिले के खालवा ब्लॉक के जलकुंआ गांव की 750 ग्रामीण महिलाएं आज कृषि नमामि आजीविका फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड के जरिए न सिर्फ अपना घर चला रही हैं, बल्कि गांव की अर्थव्यवस्था भी बदल रही हैं.
यह कोई आम कंपनी नहीं, बल्कि 100% महिलाओं के द्वारा, महिलाओं के लिए और महिलाओं की चलाई जा रही कंपनी है जहां शेयरहोल्डर से लेकर मैनेजर, फील्ड वर्कर, और यहां तक कि मार्केटिंग एक्सपर्ट तक, सब महिलाएं हैं.
1 साल में 1.5 करोड़ का टर्नओवर, वो भी जंगल से!
साल 2023 में शुरू हुई इस कंपनी ने मात्र 12 महीनों में 1.5 करोड़ रुपये से ज्यादा का टर्नओवर कर डाला. महिलाएं यहां औषधीय फसलें उगाती हैं, जंगल से महुआ, हर्रा, बेहड़ा जैसे प्राकृतिक उत्पाद इकट्ठा करती हैं, और अब तो हर्बल रंग, आयुर्वेदिक दवाएं तक बना रही हैं जिनकी डिमांड खंडवा से लेकर गुजरात और छत्तीसगढ़ तक है.
न सर्टिफिकेट, न MBA, फिर भी प्रोफेशनल मैनेजमेंट!
इन महिलाओं के पास कोई मैनेजमेंट डिग्री नहीं है लेकिन काम करने का जज़्बा है.
इन्होंने बैंकिंग, GST, डिजिटल ट्रांजेक्शन और मार्केटिंग स्ट्रैटेजी जैसे विषय न केवल समझे हैं, बल्कि प्रैक्टिकली लागू भी किए हैं.
कंपनी का सारा हिसाब-किताब, सामान की खरीद-बिक्री, और स्टाफ मैनेजमेंट भी खुद महिलाएं ही देखती हैं.
होली पर हर्बल रंग और पूरे साल बदलाव का रंग
पिछले होली पर्व पर कंपनी ने अपने बनाए हुए 100% हर्बल रंग लॉन्च किए, जिनकी बिक्री शहर ही नहीं, दूसरे राज्यों तक हुई.
अब यह महिलाएं ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर भी अपने उत्पाद बेचने की योजना बना रही हैं.
सरकार और अफसर भी कर रहे हैं सलाम
जिला प्रशासन और महिला एवं बाल विकास विभाग तक इस मॉडल की तारीफ कर चुके हैं.
अधिकारियों का कहना है जलकुंआ की महिलाएं दिखा रही हैं कि सच्चा आत्मनिर्भर भारत गांव से शुरू होता है और उसमें महिलाएं अगुआ हैं.
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