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पूर्व लोकसभा स्पीकर ने शहर के मुद्दों पर महापौर के नाम पत्र लिखा है।
पूर्व लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने इंदौर शहर के मुद्दों पर लगातार पत्र लिखती रही हैं। सोमवार को उन्होंने एक और पत्र महापौर के नाम लिखा है। इस पत्र में ताई ने कहा है कि वे इंदौर के विकास को लेकर महापौर से चर्चा करना चाहती हैं। उन्होंने लिखा, आपने क
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ताई ने पत्र में लिखा कि हाल ही में आपने कई अच्छे कार्य किए हैं और कुछ घोषणाएं भी की हैं। ‘भारत वन’ के बारे में कृपया चर्चा करके निर्णय करें। वन बनाना, पेड़ लगाना अच्छी बात है, लेकिन इस पर पर्यावरणविदों और हम जैसों के साथ भी चर्चा करके निर्णय लें।
पत्र में ताई ने एक और मुद्दा उठाया जो नामकरण से जुड़ा था। उन्होंने लिखा कि श्रेष्ठ, वरिष्ठ, देश माटी को समर्पित महान व्यक्तित्व को जाति, वर्ण, वर्ग में बांटने की प्रवृत्ति को यहीं विराम देना चाहिए। इनके अलावा पानी, स्टॉर्म वॉटर, स्वच्छ जल स्रोत जैसे कई विषय हैं जिन पर चर्चा आवश्यक है।

लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष और पूर्व सांसद सुमित्रा महाजन ने 5 मई को महापौर को पत्र लिखा।
मेट्रो के अंडरग्राउंड रूट को लेकर भी जता चुकी हैं आपत्ति
पिछले माह ताई ने मेट्रो प्रोजेक्ट को लेकर भी महापौर पुष्यमित्र भार्गव को पत्र लिखा था। इसमें उन्होंने एमजी रोड की जगह सुभाष मार्ग से अंडरग्राउंड मेट्रो रूट ले जाने का सुझाव दिया था। उनका कहना था कि एमजी रोड पर घनी बस्ती और पुरातत्व महत्व के निर्माण हैं। इसलिए यहां मेट्रो का भूमिगत रूट नुकसान पहुंच सकता है। इसलिए इसे सुभाष मार्ग से ले जाना चाहिए।
उन्होंने यह भी सुझाव दिया था कि मेट्रो को पत्रकार कॉलोनी के आगे पलासिया से 56 दुकान, रेसकोर्स रोड, राजकुमार ब्रिज होते हुए वीआईपी रोड और एरोड्रम तक ले जाया जा सकता है।
राजवाड़ा के पास भूमिगत स्टेशन पर भी जताईं थी आपत्ति
तीन साल पहले भी ताई ने मेट्रो को लेकर तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखा था। जिसमें राजवाड़ा के पास भूमिगत स्टेशन पर आपत्ति जताई थी। इसके बाद मेट्रो रूट में बदलाव कर स्टेशन को सदरबाजार के पुराने एसपी कार्यालय की ओर स्थानांतरित किया गया था। खास बात यह कि ताई ने यह पत्र तब लिखा है जब मेट्रो के अंडर ग्राउंड रुट को लेकर काफी सियासत हो चुकी है। नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय पहले ही अंडर ग्राउंड ट्रैक को लेकर अपनी टांग फंसा चुके हैं। मंत्री चाहते हैं कि एमजी रोड की बजाए कनाड़िया रोड से मेट्रो अंडरग्राउंड हो।
ताई की चिट्ठी के क्या हैं मायने?
वहीं, राजनीतिक जानकारों का मानना है कि ताई के इस पत्र से यह स्पष्ट होता है कि शहर के विकास से जुड़ी योजनाओं में आज भी वरिष्ठ राजनेताओं और विशेषज्ञों की राय नहीं ली जा रही है। इससे पहले भी मेट्रो प्रोजेक्ट को लेकर उन्होंने पत्र लिखकर जनप्रतिनिधियों की समय-समय पर बैठक आयोजित करने की बात कही थी। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि महापौर ने ताई के उस पत्र को गंभीरता से नहीं लिया और मुद्दे को टाल दिया।
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