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Ujjain News: Forest Department Created An Artificial Forest By Planting 1.50 Lakh Saplings – Madhya Pradesh News

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मध्यप्रदेश के उज्जैन में पहली बार आर्टिफिशियल रूप से जंगल तैयार किया गया है। जिसमें पहली बार पर्यटकों को आर्टिफिशियल रूप से तैयार जंगल में शेर, भालू और बाघ जैसे वन्य जीव प्राणियों को देखने का मौका मिलेगा। बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन के पास ये अनोखा सफारी जोन जल्द खुलने जा रहा है।

वन विभाग के डीएफओ पीडी ग्राब्रियल के अनुसार, नौलखी बीड करीब 250 हेक्टेयर में फैली हुई है। वन विभाग ने इसे 2007 में विकसित करना शुरू किया था। पहले यहां सिर्फ घास थी, लेकिन अब चारों तरफ बांस, शीशम, सागौन, आंवला, जामुन आदि के पेड़ हैं। यहां बीते सालों में 1.50 लाख से ज्यादा पौध रोपे गए हैं। 55 हेक्टेयर के इस पार्क को घने जंगल का स्वरूप दिया जाएगा। डीएफओ पीडी ग्राब्रियल का कहना है कि जिले का कुल क्षेत्र 6091 वर्ग किमी है। शहर के दायरे को हटा दें तो वन विभाग की कुल जमीन 42 वर्ग किमी है। यह जिले की कुल जमीन से 1 प्रतिशत से भी कम है। इस कारण वन विभाग नौलखी बीड में आर्टिफिशिलयल रूप से पौधरोपण कर जंगल विकसित कर रहा है। इसे इको टूरिज्म पार्क यानी चिड़ियाघर और जंगल सफारी के लिए चुना गया है। इस अनोखे जंगल में जंगल सफारी के अलावा बच्चों के लिए एडवेंचर गेम्स के रूप में झूले, हट्स, मैरीगो राउंड बनाए गए हैं। करीब 50 फीट ऊंचा वॉच टॉवर है। एक इंटरप्रिटेशन सेंटर भी आकर्षण का केंद्र है।

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देशभर से आएंगे वन्यजीव

एनिमल एक्सचेंज कार्यक्रम के तहत इस सफारी और चिड़ियाघर के लिए देशभर से वन्य प्राणी लाएंगे। वहीं, प्रदेशभर से रेस्क्यू किए वन्य प्राणियों को भी यहां रेस्क्यू सेंटर में रखा जाएगा, इनमें बिल्कुल स्वस्थ वन्य प्राणियों को जंगल में छोड़ा जाएगा और बीमार कमजोर वन्य प्राणियों को इस सफारी जोन में रखेंगे।

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प्रतिवेदन भेजा, स्वीकृति मिलते ही शुरू होगा कार्य

उज्जैन में जंगल सफारी और चिड़ियाघर के लिए वन विभाग युद्ध स्तर पर तैयारी कर रहा है। वन विभाग ने इसके लिए एक प्रतिवेदन बनाकर भोपाल भेजा है, जिसकी स्वीकृति मिलते ही जमीनी स्तर पर काम शुरू  हो जाएगा। वन विभाग के डीएफओ पीडी ग्राब्रियल ने जानकारी देते हुए बताया कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की इच्छानुसार और उनके निर्देशन में उज्जैन में जू सफारी, टाइगर सफारी और चिड़ियाघर बनाने के लिए नोलखी वनक्षेत्र  का चयन हुआ है। इसमें सर्वे का काम पूरा हो चुका है और अब डीपीआर बनने की प्रक्रिया चल रही है। वन विभाग ने इस कार्य के लिए लगभग 212 हेक्टेयर जमीन इस काम के लिए उपलब्ध कराई है, जिसमें टाइगर और अन्य जानवरों के लिए सफारी बनेगी। इसके अलावा, विभिन्न प्रकार के जानवरों के लिए एक्टिविटी और बायोडायवर्सिटी पार्क भी बनाया जाएगा। इस परियोजना का उद्देश्य उज्जैन को एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करना है, जहां लोग नेचर, वाइल्ड लाइफ और जैव विविधता के बारे में जान सकें। मुख्यमंत्री डॉ यादव का मानना है कि यह परियोजना उज्जैन के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी और पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनेगी। वन विभाग की योजना है कि जैसे ही स्वीकृति मिलेगी, वैसे ही जमीनी स्तर पर काम शुरू कर दिया जाएगा। इस परियोजना के लिए वन विभाग ने सेंट्रल जू अथॉरिटी ऑफ इंडिया को प्रपोजल भेजा है और स्वीकृति का इंतजार किया जा रहा है। बता दें कि ओडिशा के नंदन कानन की तर्ज पर इसे विकसित किया जाएगा।

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