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शहर को ग्रीन सिटी बनाने की दिशा में निगम ने एक और कदम बढ़ाते हुए सौ नई इलेक्ट्रिक गाड़ियां खरीदी हैं। ये गाड़ियां अब राजबाड़ा क्षेत्र व आसपास के वार्डों में पुरानी जर्जर गाड़ियों की जगह डाेर-टू-डोर कचरा कलेक्शन करते हुए नजर आएंगी। साथ ही 6 सोलर चलित टैंक
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इन नई इलेक्ट्रिक गाड़ियों से हर साल 24 हजार 918 टन कार्बन उत्सर्जन कम होगा। बुधवार को जनप्रतिनिधियों ने इन गाड़ियों का शुभारंभ किया।नई गाड़ियों को मिलाकर निगम के पास अब कुल 675 कचरा कलेक्शन वाहन हो गए हैं। इनमें से 100 ईवी और 350 सीएनजी हैं।
नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने पूजा कर इसका शुभारंभ किया। विजयवर्गीय ने कहा कि निगम ने डीजल से चलने वाले पुराने वाहनों को हटाकर पर्यावरण के लिए अहम कदम उठाया है। इससे न केवल प्रदूषण में कमी आएगी, बल्कि नागरिकों का स्वास्थ्य भी सुरक्षित रहेगा। जल्द ही राजबाड़ा क्षेत्र में अगली कैबिनेट मीटिंग आयोजित कर इंदौर को राज्य स्तर पर एक नई पहचान दी जाएगी।
एमआईसी सदस्य स्वच्छ भारत मिशन अश्विनी शुक्ला ने बताया कि ये गाड़ियां राजबाड़ा व आसपास के वार्डों में चलाई जाएंगी। यहां से पुरानी गाड़ियों को हटाकर उन वार्डों में भेजा जाएगा, जहां पर कचरा कलेक्शन गाड़ियों की संख्या कम है। कार्यक्रम के दौरान जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट, सांसद शंकर लालवानी, महापौर पुष्यमित्र भार्गव, नगर अध्यक्ष सुमित मिश्रा, विधायक महेंद्र हर्डिया, निगमायुक्त शिवम वर्मा व बड़ी संख्या में स्वच्छताकर्मी मौजूद थे।

ऐसे मददगार साबित होगी
एक डीजल वाहन यदि औसतन 50 किमी भी चलता है तो प्रति किमी 2.7 किग्रा कार्बन डाई ऑक्साइड का उत्सर्जन छोड़ता है। डाटा के मुताबिक एक डीजल वाहन 6 साल में 41.08 टन कार्बन उत्सर्जन कर रहा है। अगर इन गाड़ियों को ईवी से रिप्लेस किया जाता है तो एक वाहन पर 24.92 टन कार्बन उत्सर्जन होने से बचेगा, यानी 100 गाड़ियों पर 24 हजार 918 टन कार्बन का उत्सर्जन रुक पाएगा।
मेंटेनेंस, लागत, ईंधन का खर्च और बचत मिला लें तो इन 100 ईवी पर 13.82 करोड़ की सालाना बचत होगी। ऐसा माना जा रहा है कि 1.70 लाख पेड़ से जितना कार्बन उत्सर्जन रुकता है, उतना इन गाड़ियों से रुकेगा।
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