मंडला जिले में संविदा स्वास्थ्य कर्मियों की अनिश्चितकालीन हड़ताल सोमवार को सातवें दिन भी जारी रही। लगातार जारी इस आंदोलन ने जिले की स्वास्थ्य सेवाओं को संकट में डाल दिया है, जिससे आम जनता को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
22 अप्रैल से शुरू हुई इस हड़ताल में जिलेभर के 700 से अधिक संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी शामिल हैं। आरबीएसके टीम, नर्सिंग ऑफिसर, सीएचओ, बीसीएम, बीपीएम, लेखापाल, ऑपरेटर, एएनएम, लैब टेक्नीशियन, फार्मासिस्ट, एसटीएस और एसटीएलएस जैसे महत्वपूर्ण पदों के कर्मचारी कार्य से विरत हैं।
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इस व्यापक हड़ताल का सीधा असर जिले के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों से लेकर जिला अस्पताल तक की सेवाओं पर पड़ा है। विशेष रूप से बच्चों के टीकाकरण और गर्भवती महिलाओं की स्वास्थ्य जांच बुरी तरह प्रभावित हुई है। टीकाकरण अभियान की रफ्तार थम गई है और स्वास्थ्य केंद्रों से निराश होकर महिलाओं को बिना जांच के लौटना पड़ रहा है।
आशा-उषा कार्यकर्ता संघ के पदाधिकारी भी धरना स्थल पर पहुंचे और हड़ताली कर्मचारियों को समर्थन दिया। संघ की अध्यक्ष राधा शर्मा ने संविदा कर्मियों की मांगों को जायज बताते हुए कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री ने इन मांगों को मंजूरी दी थी, लेकिन एनएचएम द्वारा की गई वेतन कटौती और अन्य निर्णय गलत हैं। उन्होंने शासन से तत्काल सकारात्मक पहल करते हुए मांगों के निराकरण की अपील की।
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विभागीय अधिकारियों का दावा है कि हड़ताल के बावजूद स्वास्थ्य सेवाएं सामान्य रूप से संचालित की जा रही हैं। हालांकि जमीनी स्थिति इससे उलट है। ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित हेल्थ वेलनेस सेंटर्स पर सेवाओं का बुरा हाल है। गर्भवती महिलाएं और अन्य हितग्राही घंटों इंतजार के बाद बिना उपचार के वापस लौटने को मजबूर हैं।