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अफ्रीकन ब्लैकवुड, दुनिया का सबसे महंगा पेड़, महंगे फर्नीचर और म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट्स बनाने में उपयोग होता है. इसकी लकड़ी मजबूत और टिकाऊ होती है. पेड़ बनने में 50-60 साल लगते हैं. 1 मीटर लकड़ी की कीमत ₹12 लाख त…और पढ़ें

हाइलाइट्स
- अफ्रीकन ब्लैकवुड दुनिया का सबसे महंगा पेड़ है.
- इसकी लकड़ी से महंगे फर्नीचर और म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट बनते हैं.
- एक परिपक्व पेड़ की कीमत 7-8 करोड़ रुपये हो सकती है.
नई दिल्ली. अगर आप के पास गांव या शहर कहीं भी जमीन है और आप सब्र वाले इंसान हैं तो आज हम आपको जिस पेड़ के बारे में बताने जा रहे हैं यह लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट के लिए एकदम सही चॉइस होगी. यह दुनिया का सबसे महंगा पेड़ माना जाता है. हम बात कर रहे हैं अफ्रीकन ब्लैकवुड की. इस पेड़ की लकड़ी महंगे फर्नीचर और म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट बनाने में काम आती है. यह बहुत मजबूत होती है जिसके कारण हाई ऐंड वुडन प्रोडक्ट्स बनाने में इसकी डिमांड काफी ज्यादा रहती है.
लेकिन इस पौधे के पेड़ बनने में बहुत टाइम लगता है इसलिए इसे जल्दी कोई उगाता नहीं है. इतना ही नहीं जहां इसकी बागवानी होती है वहां भी इसकी सुरक्षा के लिए बहुत पैसा खर्च करना पड़ता है क्योंकि चंदन की तरह इसकी भी कालाबाजारी खूब होती है. इन कारणों से जल्दी इसे कोई उगाने के बारे में नहीं सोचता है. आइए इस पेड़ के बारे में विस्तार से जानते हैं.
अफ्रीकन ब्लैकवुड (African Blackwood), जिसे Dalbergia melanoxylon भी कहा जाता है, पूर्वी अफ्रीका के देशों जैसे तंजानिया, मोजांबिक और केन्या में प्राकृतिक रूप से पाया जाता है. इस पेड़ की लकड़ी बेहद घनी, मजबूत और टिकाऊ होती है और इसका गहरा काला या काला-भूरा रंग इसे बाकी लकड़ियों से अलग बनाता है. अफ्रीकन ब्लैकवुड मुख्यतः उच्च गुणवत्ता वाले म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट्स जैसे क्लैरिनेट, फ्लूट, ओबो और बासून बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. इसकी साउंड क्वालिटी इतनी बेहतरीन होती है कि इसे म्यूजिकल वुड भी कहा जाता है. इसके अलावा इसका उपयोग महंगे फर्नीचर, लक्जरी गहनों, स्कल्पचर और सजावटी वस्तुएं बनाने में भी होता है. यह लकड़ी अपनी मजबूती, फाइन फिनिश और लंबे समय तक टिकने की क्षमता के कारण बेहद महंगी मानी जाती है.
भारत में अफ्रीकन ब्लैकवुड की स्थिति और कीमत
भारत में अफ्रीकन ब्लैकवुड प्राकृतिक रूप से नहीं पाया जाता. कुछ रिसर्च संस्थानों और चुनिंदा प्राइवेट नर्सरीज़ में इसके पौधों को प्रायोगिक तौर पर उगाया गया है, लेकिन बड़े पैमाने पर खेती नहीं होती. इसकी खेती के लिए खास तरह की गर्म और सूखी जलवायु, कम वर्षा और विशेष मिट्टी चाहिए जो अफ्रीकी इलाकों में पाई जाती है. भारत में अफ्रीकन ब्लैकवुड का छोटा पौधा लगभग 1000 रुपये से 5,000 रुपये तक मिल सकता है, लेकिन उपलब्धता बहुत सीमित है. एक परिपक्व पेड़ (जिसे तैयार होने में 50-60 साल लगते हैं) से मिलने वाली लकड़ी की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में लगभग 8 लाख रुपये से 12 लाख रुपये प्रति घन मीटर (cubic meter) तक जाती है. 1 घन मीटर लकड़ी का मतलब 1 मीटर, लंबी, चौड़ी और मोटी. इस एक पूरे पेड़ की कीमत 7-8 करोड़ रुपये हो सकती है. भारत में अगर इसे आयात करना पड़े तो लागत और भी बढ़ जाती है, क्योंकि इसमें भारी कस्टम ड्यूटी और लॉजिस्टिक्स खर्च भी जुड़ता है.
इतना महंगा क्यों है?
- लकड़ी का बेहद घना और मजबूत होना, जिससे यह टूटती या मुड़ती नहीं.
- प्राकृतिक रूप से इसकी उपलब्धता बहुत कम हो गई है.
- पेड़ के बड़े होने में कई दशक लगते हैं, यानी सप्लाई बहुत सीमित है.
- उच्च गुणवत्ता के म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट्स में इसका कोई विकल्प नहीं है.
- इसकी कटाई और निर्यात पर कई देशों ने सख्त प्रतिबंध भी लगा रखे हैं.
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