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The impact of Trump’s tariff war is also in Madhya Pradesh | एमपी में भी ट्रम्प के टैरिफ वॉर का असर: इंदौर के शिपिंग यार्ड में 4 हजार से ज्यादा कंटेनरों का जमावड़ा, 30-50% तक किराए में गिरावट – Indore News

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा शुरू किए गए टैरिफ वॉर का असर इंदौर में भी देखने को मिला रहा है। टैरिफ बढ़ने से कई देशों का एक्सपोर्ट गिरा है। इस वजह से शिपिंग यार्ड में कंटेनरों की संख्या बढ़ती जा रही है। शिपिंग कंपनियां अपने कारोबार को जिंदा र

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लॉजिस्टिक कंपनी के समीर अहमद ने कहा

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अमेरिका के बंदरगाहों के लिए 40 फीट के कंटेनर का भाड़ा इस समय 1750 से 1850 डॉलर (1.48 से 1.57 लाख रुपए) आ रहा है। जबकि तीन-चार महीने पहले तीन हजार डॉलर (ढाई लाख रुपए से कुछ ज्यादा) था।

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इंदौर-पीथमपुर क्षेत्र से सालाना 20 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का निर्यात होता है। इंदौर के कंटेनर या तो गुजरात के मुंद्रा या मुंबई के बंदरगाह से जहाजों में लोड होते हैं। इसमें प्रमुख रूप से दवा, कृषि उत्पाद, पॉलिएस्टर फिल्म, पीपी जंबो बैग और मशीनरी भी शामिल है। साल-दर-साल निर्यात का आंकड़ा बढ़ता रहा है। बीते दिनों से कृषि उत्पाद जैसे सोयाबीन व डीओसी का निर्यात घटता दिखा है। जानकारों के मुताबिक पैकिंग मटेरियल, पॉलिएस्टर और दवाओं की खेप भी अब कम रवाना हो रही है।

फिलहाल 4 हजार से ज्यादा खाली कंटेनरों का ढेर

कंटेनरों की उपलब्धता इनलैंड कंटेनर डिपो (आईसीडी) टीही से होती है। टीही के कंटेनर डिपो में भी इन दिनों खाली कंटेनरों की भीड़ जमा है। हाल यह हैं कि आईसीडी को अपने यार्ड का विस्तार करना पड़ रहा है। आईसीडी सूत्रों के मुताबिक डिपो में 4 हजार से ज्यादा खाली कंटेनर इस समय जमा हैं।

बीते दिनों में डिपो की क्षमता भी बढ़ाई गई है। जिससे और कंटेनर रखे जा सकें। इधर शिपिंग कंपनी के एजेंट के मुताबिक इससे पहले आमतौर पर टीही के डिपो में कभी भी इतनी ज्यादा संख्या में कंटेनर उपलब्ध नहीं रहे। बीते वर्षों में तो कंटेनरों की कमी हो गई थी।

इंदौर के टीही कोनकोर से काम करने वाले राकेश बाथम ने बताया कि कोविड के समय तो कंटेनरों की कमी हो गई थी। लेकिन अब स्थानीय कंटेनर डिपो में मांग से कहीं ज्यादा कंटेनर जमा हो चुके हैं। बीते समय से सभी कंपनियों ने सभी रूटों पर भाड़ा बढ़ाया था। क्योंकि रूस यूक्रेन युद्ध, सोमालिया संकट जैसे कारणों से जहाजों को रूट भी बदलने पड़ रहे थे। पहला मौका आया है जबकि भाड़े में इतनी ज्यादा गिरावट आई है।

आसान भाषा में समझिए इंदौर में क्यों लग रहा कंटेनरों का जमावड़ा

फेयर डील इंदौर के मार्केटिंग मैनेजर विनीत कपूर ने बताया कि अमेरिका अपने कुल इम्पोर्ट का 70 प्रतिशत चीन से करता है। जबकि भारत से मात्र 8 प्रतिशत ही इम्पोर्ट करता है। अमेरिका का चीन पर पहले 100 फिर 245% टैरिफ लगाने के चलते अमेरिकी कंपनियों ने चाइना से इम्पोर्ट रोक दिया है। इसका असर ये हुआ कि चीन में कंटेनर्स का मूवमेंट रुक गया।

इसलिए वहां की कंपनियों ने रणनीति बदलते हुए खाली कंटेनर्स में दूसरे देशों को एक्सपोर्ट शुरू कर दिया। खासकर वो माल जो लंबे समय से रुका था। ऐसा ही भारत के साथ हुआ। चूंकि अमेरिकी कंपनियों ने भारत से इम्पोर्ट भी रोक दिया तो यहां के कंटेनर भी यहीं खड़े रह गए।

अब भारतीय कंपनियां भी कम दाम पर अमेरिका को छोड़कर दूसरे देशों को वहां की जरूरत का माल एक्सपोर्ट कर रही है। हालांकि यह उतना नहीं है जितना अमेरिका को जाता था, लिहाजा यहां कंटेनर्स की संख्या बढ़ती जा रही है। चूंकि इंदौर में एक निजी और एक सरकारी कंटेनर डिपो है, इसलिए यहां भी खाली कंटेनर्स की संख्या बढ़ती जा रही है।

आईसीडी के मुताबिक डिपो में 4 हजार से ज्यादा खाली कंटेनर इस समय जमा हैं।

आईसीडी के मुताबिक डिपो में 4 हजार से ज्यादा खाली कंटेनर इस समय जमा हैं।

जानिए क्या कहते हैं एक्सपर्ट

प्रदेश के सबसे बड़े औद्योगिक क्षेत्र पीथमपुर के औद्योगिक संगठन के अध्यक्ष डॉ. गौतम कोठारी ने कहा

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बढ़े टैरिफ के कारण अमेरिका सप्लाई होने वाले ऑर्डर रुक गए हैं। पूरे देश में ही यही स्थिति बनी है। यूएस को सप्लाई होने वाले ऑर्डर होल्ड अप हो गए। जैसे ही नीतियां स्पष्ट होगी निश्चित रूप से कंटेनर का मूवमेंट दोबारा शुरू हो जाएगा।

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शी स्टार ग्लोबल लॉजिस्टिक के आरके शर्मा ने बताया कि टैरिफ का असर ही निश्चित रूप से सामने आ रहा है। बुकिंग में जरूर कमी देखने को मिल रही है। जिससे किराया में भी बदलाव हुए हैं। वहीं टैरिफ को लेकर जब तक क्लियरिटी नहीं आ जाती यह स्थिति बनी रहेगी।

चायना में भी डिमांड की कमी आई

शी वे शिपिंग एंड लॉजिस्टिक्स लिमिटेड के सिद्धार्थ शुक्ला ने बताया कि हम बल्क में काम करते है। हमारे पास भी डिमांड में कमी आई है। पहले जितनी डिमांड हुआ करती थी उतनी डिमांड चायना से अभी नहीं आ रही है। निश्चित ही अमेरिकन टैरिफ की वजह से भी डिमांड कमजोर हो सकती है।

ब्लू मून लॉजिस्टिक्स के ब्रांच मैनेजर सचिन शर्मा ने बताया कि कंपनियां अब पांच वर्ष पुराने दामों पर बुकिंग ले रही हैं। करीब चार महीनों पहले जब से अमेरिका में सत्ता परिवर्तन हुआ, तब से ही भाड़े में गिरावट आना शुरू हुई है। अमेरिका की नीतियों से निर्यात सुस्त होने की आशंका इसके पीछे बड़ी वजह है। कम भाड़े के बाद भी बुकिंग में पहले के मुकाबले कमी आई है।

कंटेनरों की बढ़ते संख्या को देख लगातार जगह बनाई जा रही है।

कंटेनरों की बढ़ते संख्या को देख लगातार जगह बनाई जा रही है।

कई एक्सपोर्टर का माल होल्ड पर

इंदौर से देश के पोर्ट तक का किराया स्थानीय एक्सपोर्टर की ओर से वहन किया जाता है। लेकिन देश के पोर्ट से विदेशी पोर्ट तक का किराया विदेशी ग्राहक की ओर से वहन किया जाता है। 2024 में यह किराया करीब 2 गुना तक बढ़ गया था। पिछले साल ओर कोविड के समय कंटेनर की कमी के चलते शिपिंग कंपनियों ने भाड़ा बढ़ाया था। लेकिन अब कंटेनरों की संख्या ज्यादा होने की वजह से भाड़ा कम किया जा रहा है।

एआईएमपी से मिली जानकारी के अनुसार अमेरिका के कई शहर जैसे टेक्सस व न्यूयॉर्क के कुछ ग्राहकों ने अपने ऑर्डर होल्ड करवा दिए हैं। स्थिति यह है कि इंदौर के हैंडीक्राफ्ट निर्यातकों के लगभग 100 से अधिक कंटेनर्स माल तैयार होने के बाद भी होल्ड पर हैं।

कंटेनर 6 माह से ज्यादा होल्ड नहीं कर सकते

डीआरके इंटरनेशनल फ्रेट फॉरवर्ड के डॉयरेक्टर रितेश कुलकर्णी ने बताया कि फिलहाल डिमांड में कमी आई है। जिसके चलते इंडिया में कंटेनर की संख्या बड़ी है। जिससे किराया में कमी आई है। लेकिन यह अभी इतनी ज्यादा भी नहीं है।

कुलकर्णी के मुताबिक

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कमी इसलिए आई है क्योंकि हमारी सप्लाई कम और कंटेनर की संख्या ज्यादा है। कंटेनरों को एक जगह पर 6 माह से ज्यादा नहीं रखा जा सकता। इनका मूवमेंट जरूरी है। इस कारण शिपिंग कंपनियां कम किराए पर इनकी बुकिंग कर रही है। अमेरिका ने 90 दिन के लिए टैरिफ टाला है। लेकिन चीन पर वह बढ़ाता जा रहा है। टैरिफ को लेकर क्लियरिटी जब तक नहीं हो जाती कुछ कहना मुश्किल है।

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सवाल-जवाब से समझिए इससे क्या फायदा और नुकसान

  • किराया कम होने से एक्सपोर्टर को फायदा हो रहा है या नुकसान?

– एक्सपोर्टर को नुकसान है, क्योंकि इससे पहले उन्हें ज्यादा भाड़ा मिल रहा था तो उसका मुनाफा ज़्यादा था। अब भाड़ा कम हुआ है तो मुनाफा भी कम हो गया है।

  • किराया कम ज्यादा होने से किसे फायदा हो रहा है।

– किराया कम होने व्यापारियों को फायदा है। क्योंकि उनका माल अब पहले के मुकाबले कम दाम में आ-जा रहा है।

स्लाइड से समझे अमेरिका चीन के बीच टैरिफ विवाद

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चीन के 125% के जवाब में ट्रम्प का 245% टैरिफ

अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ वॉर और आगे बढ़ गई है। अमेरिका ने अब चीन पर 100% और टैरिफ लगा दिया है। इसके साथ अमेरिका इम्पोर्ट होने वाले चीनी सामान पर कुल टैरिफ 245% हो गया है। चीन ने 11 अप्रैल को अमेरिकी सामान पर 125% टैरिफ लगाया था, जिसके जवाब में ट्रम्प ने नया टैरिफ लगाया है।

चीन ने 11 अप्रैल को अमेरिकी सामान पर 125% टैरिफ लगाया था, जिसके जवाब में ट्रम्प ने नया टैरिफ लगाया है।

चीन ने 11 अप्रैल को अमेरिकी सामान पर 125% टैरिफ लगाया था, जिसके जवाब में ट्रम्प ने नया टैरिफ लगाया है।

इससे पहले चीन ने कहा था कि अब वह अमेरिका की तरफ से लगाए जाने वाले किसी भी अतिरिक्त टैरिफ का जवाब नहीं देगा।यहां पढ़ें पूरी खबर

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