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Success Story: दिव्यांग मनोज पटेल बने सफलता की मिसाल, खुद दिव्यांग होकर भी युवाओं को दी CSC में नौकरी, कंप्युटर चलाने में माहिर

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Success Story: मनोज की कहानी यह साबित करती है कि अगर इच्छा शक्ति मज़बूत हो, तो कोई भी बाधा रास्ता नहीं रोक सकती. जहां एक ओर वह खुद आत्मनिर्भर बने हैं, वहीं दूसरी ओर उन्होंने अपने जैसे कई युवाओं को उम्मीद और अवस…और पढ़ें

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मनोज

मनोज पटेल को csc की तरफ से सम्मानित भी किया गया है उनके अच्छे कामों के लिए

हाइलाइट्स

  • नेत्रहीन होते हुए भी CSC सेंटर चलाते हैं मनोज पटेल
  • मनोज ने 4-5 युवाओं को दिया है रोजगार
  • 20 की स्पीड से कंप्यूटर चलाते हैं मनोज

खंडवा. मध्यप्रदेश के खंडवा जिले के छोटे से गांव भड़ंगया में रहने वाले मनोज पटेल जन्म से नेत्रहीन हैं, लेकिन उनकी सोच और जज़्बा उन्हें एक मिसाल बनाता है. अपनी मेहनत और लगन से उन्होंने खुद का कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) खोला है, जिससे वे न केवल खुद का घर चला रहे हैं, बल्कि 4 से 5 युवाओं को रोजगार भी दे रहे हैं.

तेज़ी से चलाते हैं कंप्यूटर, करते हैं ऑनलाइन कार्य 
मनोज पटेल करीब 20 की स्पीड से कंप्यूटर चलाते हैं और विभिन्न प्रकार के ऑनलाइन कार्य करते हैं.  उनके केंद्र पर आधार कार्ड, आयुष्मान कार्ड, केवाईसी, और अन्य सरकारी योजनाओं से जुड़े ऑनलाइन फॉर्म भरे जाते हैं. गांव के लोग, जिन्हें तकनीकी कामों की समझ कम होती है, उनके लिए मनोज किसी मददगार फरिश्ते से कम नहीं हैं.

शिक्षा बनी ताक़त, नहीं मानी हार
मनोज बताते हैं कि शुरुआत आसान नहीं थी. उन्हें दिखाई नहीं देता, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी.  उन्होंने SN कॉलेज से DA किया, फिर MA फाइनल तक पढ़ाई की और DCA की डिग्री भी खंडवा से हासिल की. अपनी पढ़ाई के साथ-साथ उन्होंने कंप्यूटर की गहरी समझ विकसित की और यही उनकी सबसे बड़ी ताकत बन गई.

2021 से शुरू किया CSC, बना जनसेवा का माध्यम
 मनोज ने 2021 में CSC ID ली और उसी साल से सेवा देना शुरू किया. तब से अब तक वे 1000 से ज्यादा आयुष्मान कार्ड बना चुके हैं. उनके कार्यों की सराहना पावस चौकडे जैसे वरिष्ठ सहयोगियों ने भी की, जिन्होंने बताया कि मनोज को जब भी किसी तकनीकी मदद की जरूरत होती है, पूरी टीम उनका साथ देती है.

नेत्रहीनता नहीं बनी रुकावट, बनी प्रेरणा
मनोज की कहानी यह साबित करती है कि अगर इच्छा शक्ति मज़बूत हो, तो कोई भी बाधा रास्ता नहीं रोक सकती. जहां एक ओर वह खुद आत्मनिर्भर बने हैं, वहीं दूसरी ओर उन्होंने अपने जैसे कई युवाओं को उम्मीद और अवसर दिया है.

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