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Rann of Kutch: भारत के सबसे बड़े जिले में सर्वे करने गया था, 5 दिन तक किसी ने नहीं देखा; अब मिली लाश

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Gujarat News: गुजरात के कच्छ के रण में लापता सर्वेक्षक अर्नब पाल का शव मिला, जो रेगिस्तान में रास्ता भटक गए थे और आखिरकार डिहाईड्रेशन की वजह से उनकी मौत हो गई.

अर्नब पाल कच्छ के रण में रास्ता भटक गए थे. (फाइल फोटो)

हाइलाइट्स

  • कच्छ के रण में लापता सर्वेक्षक अर्नब पाल का शव मिला.
  • अर्नब पाल की मौत डिहाइड्रेशन से हुई.
  • पांच दिन पहले रेगिस्तान में रास्ता भटक गए थे.

अहमदाबाद. गुजरात के कच्छ के रण में काम के दौरान पांच दिन पहले लापता हुए एक निजी कंपनी के सर्वेक्षक का शव रेगिस्तान में मिला है, पुलिस ने शुक्रवार को बताया. एक अधिकारी ने कहा कि कच्छ जिले के रापर तालुका के बेला गांव के पास गुरुवार शाम को अर्नब पाल (55) का शव मिला. शुरुआती जांच के अनुसार, पाल सड़क सर्वेक्षण के दौरान रेगिस्तान में रास्ता भटक गए और अंततः निर्जलीकरण से उनकी मृत्यु हो गई.

इंस्पेक्टर ने बताया कि उन्हें आखिरी बार 6 अप्रैल को देखा गया था. उन्होंने कहा, “पश्चिम बंगाल के निवासी पाल ने रास्ता भटकने के बाद इन पांच दिनों में लगभग 15 किलोमीटर पैदल चलने की कोशिश की होगी. डॉक्टरों के अनुसार, उनकी मौत डिहाइड्रेशन के कारण हुई. सटीक कारण जानने के लिए हमने पैनल पोस्टमॉर्टम कराने का निर्णय लिया है.” क्षेत्रफल के लिहाज कच्छ भारत का सबसे बड़ा जिला है.

कच्छ का रण गुजरात के कच्छ जिले में थार रेगिस्तान का एक बड़ा नमक का दलदली क्षेत्र है. पाल एक निजी कंपनी में सर्वेयर के रूप में काम करते थे और एक सोलर प्रोजेक्ट के लिए जमीन का सर्वे कर रहे थे. 6 अप्रैल को वे अपने सहायक चेला राम और एक ड्राइवर के साथ बेला बॉर्डर आउटपोस्ट (बीओपी) पहुंचे. एक अधिकारी ने बताया, “बेला बीओपी पर एंट्री करने के बाद, तीनों अपनी गाड़ी में रेगिस्तान की ओर कुछ दूरी तक गए. फिर वे पैदल चलने लगे, क्योंकि आगे कोई सड़क नहीं थी. कुछ दूरी चलने के बाद, पाल और चेला राम ने ड्राइवर से गाड़ी से पानी लाने को कहा क्योंकि उनके पास पानी नहीं था.”

उन्होंने कहा कि जब ड्राइवर पानी की बोतल लेने वापस गया, उस दौरान दोनों लोग चलते रहे क्योंकि पाल अपना सर्वे जारी रखना चाहते थे. बुबाडिया ने बताया कि जब चेला राम थक गए और आगे चलने से मना कर दिया, तो पाल ने अपना काम पूरा करने के लिए आगे बढ़ने का फैसला किया. जब ड्राइवर पानी लेकर लौटा, तो चेला राम ने पाल को ढूंढने की कोशिश की, लेकिन वह कहीं नजर नहीं आए. उन्होंने पीटीआई से कहा, “ड्राइवर और सहायक बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स (BSF) के कैंप में पहुंचे और पाल को ढूंढने में मदद मांगी. पुलिस और BSF की संयुक्त टीम ने ड्रोन का इस्तेमाल किया, लेकिन उन्हें ढूंढ नहीं पाए. स्थानीय पुलिस ने गुरुवार शाम को शव बरामद किया.”

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भारत के सबसे बड़े जिले में सर्वे करने गया था,5 दिन तक किसी ने नहीं देखा,फिर…


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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