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Jehanabad Shivam Success Story: जहानाबाद के रहने वाले शिवम मालाकर बोकारो में रहकर डोसा और इडली बेचकर अच्छी कमाई कर रहे थे. लेकिन,कोराना महामारी के चलते सबकुछ चौपट हो गया और कर्ज में दबकर वापस गांव आ गए. यहां सा…और पढ़ें
इडली बेचते शिवम की तस्वीर
हाइलाइट्स
- शिवम मालाकर साइकिल पर इडली बेचकर रोजाना 400-500 रु. कमाते हैं.
- कोरोना महामारी में व्यापार ठप होने पर शिवम ने गांव लौटकर नया धंधा शुरू किया.
- शिवम रोजाना 20 किमी साइकिल चलाकर इडली बेचते हैं.
जहानाबाद: कहते हैं कि कुछ लोगों की किस्मत खराब होती है, लेकिन कुछ लोग इसे सच मानकर हार मान लेते हैं, जबकि कुछ लोग परिस्थितियों का डटकर सामना करते हैं और मुश्किलों से बाहर निकल आते हैं। आज हम आपको एक ऐसे ही शख्स की कहानी बताएंगे, जिनका नाम है शिवम मालाकार. विपरीत परिस्थितियों के बावजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और अब अपने धंधे से अच्छी कमाई कर रहे हैं.
शिवम मालाकार की उम्र करीब 35 साल है और वे एक छोटे से गांव से आते हैं. उनका जमा-जमाया बिजनेस कोरोना काल में खत्म हो गया और उन्हें कर्ज लेकर किराया चुकाना पड़ा.उनकी माताजी का निधन हो चुका है और पिताजी भी साथ नहीं देते हैं.
10 रुपए में खिलाते हैं एक प्लेट इडली
शिवम की पत्नी और तीन बच्चे हैं, लेकिन इतनी मुश्किलों के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी. दुख की बात यह भी है कि वे कम पढ़े-लिखे हैं और नौकरी कहीं नहीं मिल पाई. ऐसे में उन्होंने साइकिल से इडली और सांभर बेचना शुरू कर दिया. एक प्लेट की कीमत 10 रुपए है, जिसमें दो इडली और सांभर होता है. वे दो दिन जहानाबाद जिले के काको ब्लॉक और दो दिन घोसी ब्लॉक में इडली बेचते हैं. बाकी तीन दिन अन्य इलाकों में इडली बेचते हैं. शिवम रोजाना साइकिल से 20 किलोमीटर सफर करते हैं.
बोकारो में ठीक-ठाक चल रहा था व्यवसाय
शिवम ने लोकल 18 को बताया कि बोकारो में उनकी स्थिति अच्छी थी. वहां वे सुबह डोसा और शाम को इडली बनाते थे, जिससे रोजाना 1000 से 1200 रुपए तक की कमाई हो जाती थी. लेकिन, कोरोना महामारी ने उनका व्यापार चौपट कर दिया. उन्होंने सोचा कि कुछ दिन में सब ठीक हो जाएगा, लेकिन काफी समय बीत गया और व्यापार ठप हो गया. ऐसे में वे कर्ज में दब गए. आखिरकार उन्होंने घर लौटने का फैसला किया. सबसे बड़ी जिम्मेदारी कर्ज चुकाने की थी. उन्होंने एक व्यक्ति से ब्याज पर कर्ज लेकर रेंट भरा और बोकारो से सामान लेकर घर के लिए निकल पड़े.
सुबह 4 बजे से शाम 6 बजे तक करते हैं मेहनत
शिवम ने बताया कि घर लौटने के बाद उन्होंने साइकिल पर घूम-घूमकर इडली बेचने का फैसला किया, क्योंकि इसके अलावा कोई उपाय नहीं सूझ रहा था. उन्होंने इस धंधे को शुरू कर दिया और रोजाना 20 किलोमीटर साइकिल चलाकर इडली बेचते हैं. उन्होंने बताया कि जब लोग गहरी नींद में होते हैं, तब वे उठकर इडली बनाने की प्रक्रिया शुरू कर देते हैं. सुबह 4 बजे से शाम 6 बजे तक यह सिलसिला चलता है. हालांकि, इस मेहनत की कमाई रोजाना 400 से 500 रुपए ही हो पाती है. लेकिन, वे अपने हुनर पर विश्वास कर इस धंधे को कर रहे हैं.
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