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मध्यप्रदेश क्राइम फाइल्स के पार्ट-1 में आपने पढ़ा कि नर्मदापुरम के हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ.सुनील मंत्री ने ड्राइवर वीरेंद्र की हत्या कर उसके लाश के टुकड़ों एसिड के ड्रम में गलने के लिए छोड़ दिया था। वीरेंद्र को ढूंढते जब उसके परिजन डॉ. मंत्री के घर पहुं
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डॉ मंत्री ने पुलिस के सामने वीरेंद्र की हत्या करना तो कबूल किया था, मगर ये नहीं बताया कि हत्या क्यों की थी…केवल इतना बताया था कि वीरेंद्र उन्हें ब्लैकमेल करता था… ब्लैकमेल करने की वजह जब सामने आई तो पुलिस भी हैरान रह गई…साथ ही डॉ. मंत्री ने कोर्ट में कुछ ऐसे गवाह पेश किए जिससे पुलिस के केस पर ही सवाल खड़े हो गए थे।
सबसे अहम बात मृतक वीरेंद्र की पत्नी ने पुलिस को जो बयान दिया वो उस बयान से कोर्ट में पलट गई। मगर कोर्ट में सारी दलीलें खारिज हो गई।
पढ़िए इस सनसनीखेज वारदात का अगला पार्ट….
डॉ. मंत्री के वीरेंद्र की पत्नी के साथ थे अवैध संबंध मामले की जांच में पुलिस को पता चला कि डॉ.मंत्री और वीरू की पत्नी रानी के बीच अवैध संबंध है। पुलिस ने वीरू की पत्नी रानी से पूछताछ की तो उसने बताया कि उसके मोबाइल में पति वीरू ने चुपके से मेमोरी कार्ड लगा दिया था और डॉक्टर और उसके बीच हुई बातों को रिकॉर्ड कर लिया था।
इस बात को लेकर डॉक्टर मंत्री और उसके पति के बीच विवाद भी हुआ था। पति रिकॉर्डिंग सार्वजनिक करने की धमकी देकर डॉक्टर को ब्लैकमेल करने लगा। उसके पति ने डॉक्टर मंत्री से कई बार पैसे भी लिए थे। रानी ने बताया कि वह और डॉ. मंत्री की पत्नी साथ में बुटीक चलाती थीं। इस वजह से डॉ. मंत्री के घर उसका आना जाना था।
एक साल पहले डॉ. मंत्री की पत्नी की मौत हो गई। वह घर में अकेले रह गए। उनके बेटा और बेटी दोनों मुंबई में रहते हैं। इस वजह से मेरा घर में आना जाना बढ़ गया था।

सारी कहानी क्लियर थी, पुलिस ने कोर्ट में चालान पेश किया डॉ. मंत्री ने पुलिस के सामने हत्या करना कबूल कर लिया था। पुलिस ने एसिड और आरी खरीदने के सारे साक्ष्य जुटा लिए थे। वीरेंद्र की पत्नी रानी से डॉ. के अवैध संबंधों का खुलासा भी हो चुका था। यानी हत्या का मोटिव भी पुलिस साबित कर चुकी थी।
इसके बाद भी कोर्ट में आरोपी की तरफ से बचाव में कुछ ऐसे गवाह और साक्ष्य पेश किए गए, जिससे कि साबित हो कि ये हत्या डॉ. मंत्री ने नहीं की। सबसे बड़ी बात तो ये कि मृतक वीरेंद्र की पत्नी रानी ने डॉ. मंत्री के पक्ष में गवाही दी, लेकिन साइंटिफिक सबूतों के सामने ये गवाही टिक नहीं सकी….
जानिए वो 4 पॉइंट्स जिसके जरिए डॉ. मंत्री ने की बचाव की कोशिश
1.वीरू को जिंदा बताने उसका मोबाइल भोपाल भेजा डॉ. मंत्री ने वीरेंद्र की हत्या करना कबूल कर लिया था मगर, पुलिस इस बात से हैरान थी कि वीरेंद्र का मोबाइल कहां चला गया? डॉ. मंत्री के घर में तलाशी के दौरान मोबाइल नहीं मिला था। दरअसल, डॉ. मंत्री की प्लानिंग थी कि यदि पुलिस वीरेंद्र की तलाश करेगी तो उसके मोबाइल टावर की लोकेशन से करेगी।
4 फरवरी को वीरेंद्र की हत्या करने के बाद दूसरे दिन 5 फरवरी की सुबह डॉ. मंत्री ने वीरेंद्र का मोबाइल भोपाल जा रहे दिलीप अग्रवाल को दिया था। ताकि, उसकी टावर लोकेशन भोपाल में मिले और तब तक उसकी लाश के टुकड़ों को गलाने का मौका मिल सके।
पुलिस ने दिलीप अग्रवाल से पूछताछ की तो उसने बताया कि 5 फरवरी 2019 को उसे बच्ची के एग्जाम के सिलसिले में भोपाल जाना था। सुबह 8-9 बजे डॉ. मंत्री का फोन आया और उसे 10 मिनट रूकने के लिए।डॉ. मंत्री ने एक काले कलर का की-पेड मोबाइल दिया था।

2.डॉक्टर के साथी बोले- वीरू को रुपयों से भरा बैग दिया वीरेंद्र की हत्या डॉक्टर मंत्री ने नहीं की बल्कि रुपयों के लेन-देन में उसी के साथियों ने उसे मौत के घाट उतारा। ये साबित करने के लिए डॉ. मंत्री की तरफ से तीन गवाह सामने आए। अभिषेक वर्मा ने कोर्ट में कहा 3 फरवरी को उसने 5 लाख रुपए नकद डॉ. मंत्री को दिए थे। वहीं भाई दीपक मंत्री ने कोर्ट में बताया कि 4 फरवरी को 15 लाख रु. सुनील मंत्री को दिए थे।
ये पैसा वीरू की मौजूदगी में दिया गया था। बेटे श्रीकांत मंत्री ने कोर्ट में गवाही दी कि मधुर राठी के जरिए पिता और परिचितों का पैसा शेयर मार्केट में इन्वेस्ट करने के लिए लिया था।
3. अपनी जगह दूसरे डॉक्टर से कराई इमरजेंसी ड्यूटी 5 फरवरी 2019 को वीरेंद्र की हत्या का खुलासा हुआ था। इसी दिन डॉक्टर मंत्री ने अपनी जगह डॉक्टर अर्पित द्विवेदी को ड्यूटी करने के लिए राजी किया था। डॉ. द्विवेदी को सुबह 8 से 10 बजे तक ड्यूटी करना थी, लेकिन डॉ. मंत्री ने सुबह 7 बजे डॉ.अर्पित को फोन किया और कहा कि ड्यूटी पर मत आना। वो खुद अपनी ड्यूटी कर लेंगे।
डॉ.अर्पित सुबह साढ़े 9 बजे ओपीडी पहुंचे तब डॉ.मंत्री वहां मौजूद थे। उन्होंने डॉ.अर्पित को बताया कि उनकी ड्यूटी 1 बजे तक डॉ. विमल झा करेंगे। कुछ ही देर बाद डॉ. मंत्री चले गए।

4.वीरेंद्र की पत्नी बोली, डॉ. मंत्री तो मेरे साथ थे वीरेंद्र की पत्नी ने कोर्ट को बताया- पति वीरू 4 फरवरी 2019 को डॉक्टर सुनील मंत्री के घर गाड़ी चलाने गए थे। शाम को 6 बजे घर लौट आए। घर पर बेटे को खिलाया। पति को चाय बनाकर दी। तब पति वीरू ने उसे बताया था कि डॉक्टर के पास 20 लाख रुपए है। उसने डॉक्टर से 2 लाख रुपए मांगे थे, मगर उन्होंने देने से मना कर दिया। तब मैंने कहा था कि मैं डॉक्टर से बात करूंगी। इसके बाद वो सो गए।
रात करीब साढ़े 9 बजे वीरू के 3-4 दोस्त आए। उन्होंने आवाज देकर उठाया। पति और दोस्तों के बीच कुछ बात हुई। फिर पति ने दोस्तों से कहा कि वो थोड़ी देर में आएंगे। ये सुन दोस्त चले गए। पति ने मुझसे कहा कि वो 1-2 दिन घर नहीं आएंगे। कहां जाएंगे ये नहीं बताया। इसके बाद पति ने उसे आबकारी विभाग तक छोड़ने के लिए कहा तो उसने स्कूटी से उन्हें छोड़ दिया।
जाते वक्त पति ने ये भी कहा था कि 1-2 दिन मोबाइल नहीं लगेगा। पति को छोड़ने के बाद वह गाड़ी लेकर डॉक्टर मंत्री के घर चली गई। डॉक्टर से कहा कि वीरू अपने दोस्तों के साथ गया है। घर पर कोई नहीं है और डॉक्टर को अपने घर आने का कहकर लौट आई। रात करीब 11 बजे डॉक्टर मंत्री उसके घर आए और रातभर उसके साथ घर पर रूके।
सुबह साढ़े 5-6 बजे डॉक्टर मंत्री उठे। उसने उनके लिए फीकी चाय बनाई। उसने पूछा कि कहां जाओगे तो उन्होंने कहा कि वो इटारसी जाएंगे। उसने डॉक्टर को सुबह 8 बजे फोन किया तब डॉक्टर ने बताया कि वो इटारसी पहुंच गए हैं। उन्होंने साढ़े 10-11 बजे घर खाना बनाने बुलाया और कहा कि तब तक वो भी लौट आएंगे। वो डॉक्टर के घर पहुंची। थोड़ी देर घर के बाहर ही खड़ी रही।
थोड़ी देर बाद डॉक्टर भी आ गए। उसने डॉक्टर के घर पर देखा कि गमले पड़े हुए है। खून से सने कपड़े पड़े थे।

डीएनए रिपोर्ट ने खोला राज, डॉ. मंत्री ने ही की हत्या पुलिस के सामने चुनौती थी हर हाल में ये साबित करना कि वीरू की हत्या डॉ.मंत्री ने ही की है। लिहाजा डॉ.मंत्री के दोनों हाथ और पैर के नाखूनों को कट कर जांच के लिए लिया गया था। इन सैंपल्स को जांच के लिए भेजा गया था। जब रिपोर्ट आई तो ये साबित हुआ कि हत्या डॉ. मंत्री ने ही की है, क्योंकि नाखूनों के सैंपल में वीरू के खून लगे होने की पुष्टि हो गई।
जब वीरू की पत्नी ने कोर्ट को बताया कि जब डॉक्टर और उसने साथ में जाकर देखा कि टंकी में लाश पड़ी है तो सरकारी पक्ष के वकील ने डीएनए जांच की ये रिपोर्ट कोर्ट के सामने पेश की। हालांकि डॉ. के वकील की तरफ से कोर्ट में इस बात को लेकर आपत्ति दर्ज की गई कि डॉक्टर को बिना बताए उनके नमूने जांच के लिए भेजे गए थे। मगर, कोर्ट में ये दलील काम नहीं आई।

…इसलिए फांसी की जगह हुई उम्रकैद की सजा कोर्ट में आरोपी डॉ.मंत्री के खिलाफ 4 साल केस चला। आखिर में आरोपी डॉ.मंत्री को सजा के सवाल पर सुना गया। आरोपी डॉक्टर ने तर्क दिए कि ये उसका पहला अपराध है। वह आपराधिक प्रवृत्ति का व्यक्ति नहीं है बल्कि एक डॉक्टर है। वो समाज के लिए खतरा नहीं है। उसने सालों से डॉक्टर के रूप में जनहित का काम किया है। ऐसे में सजा देने से पहले सहानुभूतिपूर्वक विचार किया जाए।
वहीं मृतक वीरू की तरफ से वकील ने कहा कि आरोपी डॉक्टर ने हत्या के बाद वीरू के शरीर के कई टुकड़े किए है, जिससे ये साबित होता है कि आरोपी को हत्या करने के बाद कोई पश्चाताप नहीं हुआ। वीरू की लाश के कई टुकड़े कर वीभत्स और क्रूरता का काम किया है। ऐसे में आरोपी डॉक्टर को फांसी की सजा दी जानी चाहिए।
मामले में कोर्ट ने सभी परिस्थितियों पर विचार करने के बाद माना की केस रेयरेस्ट ऑफ रेयर की कैटेगरी में नहीं आता है, जिसमें मृत्युदंड की सजा दी जाए। 14 मार्च 2023 को जिला कोर्ट नर्मदापुरम ने आरोपी डॉ.सुनील मंत्री को उम्रकैद की सजा सुनाई।

तस्वीर 14 मार्च 2023 की है। जब चार साल की सुनवाई के बाद कोर्ट ने अंतिम फैसला सुनाया। डॉ. सुनील मंत्री को उम्रकैद की सजा सुनाई गई।
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5 फरवरी 2019 को रात के करीब 8 बजे नर्मदापुरम कोतवाली थाने के टीआई टी सप्रे रोजाना की तरह गश्त पर थे। वायरलेस पर एक मैसेज सुनाई दिया कि आनंद नगर में हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. सुनील मंत्री के घर के पास कुछ लोग विवाद कर रहे हैं। टीआई सप्रे तुरंत मौके पर पहुंचे। वहां चार लोग मौजूद थे।पुलिस ने जब डॉ. मंत्री के घर की तलाशी ली तो जो नजारा देखा, उसे देखकर होश उड़ गए। पढे़ं पूरी खबर…
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