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असली सिकंदर! 10वीं में फेल हुआ लड़का बना 500 करोड़ की कंपनी का मालिक, हलवाई से बने देश के बड़े बिजनेसमैन

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नई दिल्ली: समरकूल कंपनी का नाम तो आपने सुना ही होगा, लेकिन क्या आप इसके मालिक की कहानी जानते हैं? संजीव गुप्ता, जो आज 500 करोड़ टर्नओवर वाली कंपनी के मालिक हैं, कभी स्कूल में ‘हलवाई’ कहकर चिढ़ाए जाते थे. उनका सफर संघर्षों से भरा रहा, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और अपनी मेहनत से एक सफल बिजनेस खड़ा कर दिया.

हापुड़ के एक साधारण परिवार में जन्मे संजीव गुप्ता पांच भाई-बहनों में सबसे बड़े थे. उनके पिता हलवाई थे, और बचपन में संजीव को भी यह काम करना पड़ता था. स्कूल जाते वक्त एक हाथ में बैग और दूसरे में मिठाई के डब्बे होते, जिन्हें वे रास्ते में सप्लाई करते. इससे बच्चे उन्हें चिढ़ाते थे, जिससे उनका पढ़ाई में मन नहीं लगता था.

10वीं में फेल होने के बाद भी नहीं मानी हार
लोकल 18 से बातचीत करते हुए संजीव ने बताया कि दसवीं क्लास में फेल होने पर रिश्तेदारों ने ताने दिए कि ‘यह लड़का कुछ नहीं कर पाएगा.’ माता-पिता भी परेशान हो गए, लेकिन संजीव ने हिम्मत नहीं हारी. उन्होंने दोबारा परीक्षा दी, हाई स्कूल पास किया, इंटरमीडिएट की भी पढ़ाई की, लेकिन नौकरी नहीं मिली. कई जगह प्रयास किया, मगर हर जगह रिजेक्शन ही मिला.

गांव से निकलकर बनाया अपना मुकाम
उसी समय गांव के कुछ लोग मुंबई जाकर पैसा कमाने लगे थे. ये देखकर संजीव के मन में भी कुछ बड़ा करने का ख्याल आया. उनकी मां ने उन्हें गाजियाबाद में मामा के घर भेज दिया, जहां मामा इलेक्ट्रॉनिक सामान, खासतौर पर कूलर और पंखे बनाने का काम करते थे. संजीव ने उनके साथ काम करते हुए यह हुनर सीख लिया.

25,000 रुपये से रखी कंपनी की नींव
इसके बाद उन्होंने अपने छोटे भाई संजीव के साथ मिलकर खुद के कूलर बनाने शुरू किए. दुकानों पर कूलर बेचने की कोशिश की, लेकिन शुरुआत में व्यापारियों ने नया ब्रांड होने के कारण इसे खरीदने से मना कर दिया. उन्होंने लोगों को अपने प्रोडक्ट की क्वालिटी समझाई, और धीरे-धीरे बाजार में उनकी पकड़ मजबूत होती गई. सब कुछ सही चल रहा था कि अचानक उनकी कंपनी में आग लग गई और भारी नुकसान हुआ. लेकिन तब तक संजीव गुप्ता का नाम मार्केट में फैल चुका था, जिससे व्यापारियों ने उनकी मदद की, और उन्होंने दोबारा अपनी कंपनी खड़ी कर ली.

आज 500 करोड़ की कंपनी के मालिक
आज संजीव गुप्ता की एक नहीं, बल्कि कई कंपनियां हैं, जो वाशिंग मशीन, पंखे, कूलर, प्रेस, किचन अप्लायंसेस और टीवी तक बनाती हैं. 25,000 रुपये से शुरू हुआ सफर अब 500 करोड़ रुपये के टर्नओवर तक पहुंच चुका है.

किस्मत ने मुझे बिजनेसमैन बना दिया
संजीव गुप्ता कहते हैं, “मैं कुछ और बनना चाहता था, लेकिन किस्मत ने मुझे बिजनेसमैन बना दिया. जो छात्र बोर्ड परीक्षा में फेल हो जाते हैं, उन्हें घबराने की जरूरत नहीं. दोबारा कोशिश करें, सफलता जरूर मिलेगी. नौकरी से ज्यादा बिजनेस पर फोकस करें, क्योंकि इसमें सफलता के मौके ज्यादा हैं.

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