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केंद्र सरकार 2 अप्रैल को वक्फ संशोधन बिल लोकसभा में पेश करने की तैयारी कर रही है. इसके लिए बकायदा टाइम भी तय किया जा चुका है. समर्थन जुटाया जा रहा है. सूत्रों के मुताबिक, इसी बीच सरकार ने बिल में कुछ अहम बदलाव किए हैं. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी ने भी कुछ संशोधन दिए थे, उन्हें बदला गया है. कहा जा रहा है कि इसे लेकर ही मुसलमान संगठनों को सबसे ज्यादा आपत्ति थी और सरकार ने उसमें बदलाव कर दिया है.
सूत्रों के मुताबिक, वक्फ बिल में कई महत्वपूर्ण संशोधन किए गए हैं. ज्वाइंट पार्लियामेंट्री कमेटी यानी जेपीसी की सिफारिश के आधार पर ये बदलाव किए गए हैं. एनडीए की अहम सहयोगी पार्टी जेडीयू ने कई सुझाव दिए थे, जिन्हें जगह दी गई है. सबसे बड़ा बदलाव ये किया गया है कि ‘वक्फ की संपत्ति है या नहीं यह तय करने के लिए राज्य सरकार कलेक्टर की रैंक से ऊपर के अधिकारी को नियुक्त कर सकती है.’ इतना ही नहीं, मौजूदा पुरानी मस्जिदों, दरगाह या अन्य मुस्लिम धार्मिक स्थानों से छेड़छाड़ नहीं की जाएगी. एक और बड़ा बदलाव ये किया गया है कि कानून पुरानी तारीख से लागू नहीं होगा. यह जेडीयू का एक बड़ा सुझाव था जिसे माना गया है.
कानून पहले से लागू नहीं
सूत्रों के मुताबिक, जेडीयू ने सरकार से कहा है कि जमीन चूंकि राज्य का मामला है, लिहाजा नए कानून में भी यही प्राथमिकता बरकरार रहे. जेडीयू का दूसरा सुझाव है कि नया कानून पूर्वप्रभावी लागू नहीं होगा, बशर्ते कि वक्फ संपत्ति पंजीकृत हो. मतलब जो वक्फ संपत्तियां रजिस्टर्ड हैं, उन पर असर नहीं पड़ेगा लेकिन कोई विवादित या सरकारी संपत्ति है, जो रजिस्टर्ड नहीं है, उसके भविष्य का फैसला वक्फ बिल में तय मानकों के हिसाब से होगा.
तीसरा सुझाव
नीतीश की पार्टी का तीसरा सुझाव है कि अगर कोई वक्फ संपत्ति सरकारी जमीन पर है तो उसका फैसला भी बिल के मुताबिक होगा. सरकार ने ये सुझाव बिल में शामिल कर लिए हैं. इससे माना जा रहा है कि अब नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू भी संसद में खुलकर सरकार के समर्थन में वोट करती नजर आएगी. सरकार वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 संसद में पेश करेगी . जिसका उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में सुधार और प्रशासनिक प्रक्रियाओं को अधिक प्रभावी बनाना है. यह विधेयक 1995 के वक्फ अधिनियम में संशोधन कर इसे अधिक पारदर्शी और समावेशी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है.
मुख्य प्रावधान:
1.वक्फ अधिनियम, 1995 का नाम बदलकर “यूनिफाइड वक्फ प्रबंधन, सशक्तिकरण, दक्षता और विकास अधिनियम, 1995” किया जाएगा.
2.वक्फ की परिभाषा को स्पष्ट करते हुए इसे ऐसे किसी भी व्यक्ति द्वारा घोषित करने का अधिकार होगा जो कम से कम पांच वर्षों से इस्लाम का पालन कर रहा हो और उस संपत्ति का स्वामी हो.
3.महिलाओं के उत्तराधिकार अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी.
4.वक्फ सर्वेक्षण के लिए डिप्टी कलेक्टर या उच्च अधिकारी को जिम्मेदारी सौंपी जाएगी.
5.वक्फ बोर्डों की संरचना में सुधार किया जाएगा, जिससे इसमें मुस्लिम महिलाओं और गैर-मुस्लिमों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित हो सके.
6.वक्फ संपत्तियों के अतिक्रमण को हटाने और उनके पंजीकरण की प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए एक केंद्रीकृत पोर्टल और डेटाबेस बनाया जाएगा.
7.ट्रिब्यूनल व्यवस्था में संशोधन कर इसे अधिक प्रभावी बनाया जाएगा, जिसमें दो सदस्यीय ट्रिब्यूनल होंगे और उच्च न्यायालय में अपील की समय-सीमा 90 दिन निर्धारित की जाएगी.
8.धारा 40 को हटाकर वक्फ बोर्ड को यह तय करने का अधिकार नहीं होगा कि कोई संपत्ति वक्फ संपत्ति है या नहीं.
9.वक्फ प्रबंधन के लिए वार्षिक योगदान को 7% से घटाकर 5% किया जाएगा.
सरकार का मकसद
सरकार का कहना है कि यह विधेयक वक्फ संपत्तियों के बेहतर प्रशासन, सशक्तिकरण और विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है. इसमें पारदर्शिता और जवाबदेही को प्राथमिकता दी गई है ताकि वक्फ संपत्तियों का उपयोग समुदाय के हित में अधिक प्रभावी ढंग से किया जा सके.
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