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CISF News: आज का दिन सीआईएसएफ के इतिहास में एक सुनहरा पन्ना जोड़ गया, जब ‘ग्रेट इंडियन कोस्टल साइक्लोथॉन 2025’ का भव्य समापन कन्याकुमारी में हुआ. यह साइक्लोथॉन ‘सुरक्षित तट, समृद्ध भारत’ के नारे के साथ शुरू हुआ था और आज 25 दिनों की लंबी और चुनौतीपूर्ण यात्रा के बाद अपने अंतिम पड़ाव पर पहुंचा. इस ऐतिहासिक पहल ने पूरे देश का ध्यान खींचा और तटीय सुरक्षा के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण और स्वस्थ जीवनशैली के प्रति लोगों को जागरूक करने में बड़ी भूमिका निभाई.
यह साइक्लोथॉन 7 मार्च 2025 को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा तमिलनाडु के रानीपेट जिले के थक्कोलम से वर्चुअल रूप से शुरू किया गया था. 125 सीआईएसएफ के साइकिल चालकों, जिसमें 14 बहादुर महिला जवान भी शामिल थीं, ने 6,553 किलोमीटर की दूरी तय की. यह यात्रा 11 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से होकर गुजरी. गुजरात के लखपत किले से पश्चिमी तट और पश्चिम बंगाल के बक्खाली बीच से पूर्वी तट की यह यात्रा देश के तटीय इलाकों को जोड़ने का एक शानदार प्रयास था.
इस दौरान साइकिल चालकों ने मुंबई, गोवा, मैंगलोर, कोचीन, विशाखापत्तनम, चेन्नई और पुडुचेरी जैसे बड़े तटीय शहरों में रुककर लोगों से मुलाकात की. हर जगह स्थानीय लोगों ने उनका जोरदार स्वागत किया. कन्याकुमारी में समापन समारोह विवेकानंद रॉक मेमोरियल के पास हुआ, जहां सीआईएसएफ के महानिदेशक मुख्य अतिथि के तौर पर मौजूद रहे. हजारों लोग इस मौके पर जुटे और साइकिल चालकों की हौसला अफजाई की.
तटीय समुदायों को जोड़ने का मिशन
इस साइक्लोथॉन का सबसे बड़ा मकसद था तटीय समुदायों को सुरक्षा बलों के साथ जोड़ना. सीआईएसएफ ने इसे ‘तट प्रहरी’ अभियान का नाम दिया. इसका उद्देश्य मछुआरों और तटीय इलाकों में रहने वाले लोगों को सुरक्षा के प्रति जागरूक करना था. इन समुदायों को सुरक्षा बलों की ‘आंख और कान’ बनने के लिए प्रेरित किया गया, ताकि वे तस्करी, घुसपैठ और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली गतिविधियों पर नजर रख सकें.
58 तटीय समुदायों ने इस अभियान में हिस्सा लिया. पश्चिमी तट पर गुजरात के खारवा, महाराष्ट्र के कोली, गोवा के खारवी, कर्नाटक के मोगावेरे और केरल के मुक्कुवर जैसे समुदाय शामिल हुए. वहीं, पूर्वी तट पर पश्चिम बंगाल के कैबर्ता, ओडिशा के नोल्या, आंध्र प्रदेश के वड़ा बलिजा और तमिलनाडु के परावर जैसे समुदायों ने भी साथ दिया. इन समुदायों ने अपनी संस्कृति, गीत, नृत्य और परंपराओं के जरिए इस अभियान को रंगीन बनाया.
देश की नामी हस्तियों का मिला साथ
इस साइक्लोथॉन को देश भर से जबरदस्त समर्थन मिला. 30 लाख से ज्यादा लोग रैलियों, जागरूकता कार्यक्रमों और अन्य आयोजनों में शामिल हुए. सोशल मीडिया और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए यह संदेश 2.5 करोड़ लोगों तक पहुंचा. लोग इस पहल से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने इसे अपने तरीके से समर्थन दिया. बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक, हर कोई इस अभियान का हिस्सा बनना चाहता था.
कई बड़े नामों ने इस साइक्लोथॉन को समर्थन देकर इसे और खास बना दिया. पुडुचेरी के लेफ्टिनेंट गवर्नर कुनीयिल कैलाशनाथन, ओडिशा की उपमुख्यमंत्री प्रवर्ति पारिदा और खेल हस्तियां जैसे नीरज चोपड़ा, मनु भाकर और एमएस धोनी ने इसका समर्थन किया. फिल्मी सितारों में रजनीकांत, अक्षय कुमार, मोहनलाल और सुनील शेट्टी जैसे नामों ने भी इसे बढ़ावा दिया. इन हस्तियों के समर्थन ने लोगों को प्रेरित किया और अभियान के संदेश को दूर-दूर तक फैलाया.
तटीय सुरक्षा और जागरूकता का संदेश
इस साइक्लोथॉन ने सिर्फ साइकिल यात्रा नहीं की, बल्कि एक बड़ा संदेश दिया. यह बताया गया कि भारत की 6,553 किलोमीटर लंबी तटरेखा कितनी महत्वपूर्ण है. यहां नशीले पदार्थों की तस्करी, हथियारों का अवैध व्यापार और घुसपैठ जैसे खतरे हैं. साइकिल चालकों ने लोगों को बताया कि इन खतरों से कैसे निपटा जा सकता है. साथ ही, समुद्र और तटीय इलाकों को साफ रखने की जरूरत पर भी जोर दिया गया.
यह यात्रा सिर्फ सीआईएसएफ की नहीं थी. इसमें राज्य सरकारों, पुलिस, एनसीसी, स्कूली बच्चों और स्थानीय संगठनों ने भी हिस्सा लिया. 26 बड़े आयोजन और 118 छोटे संवाद हुए, जिनमें तटीय सुरक्षा और वहां के लोगों की समस्याओं पर बात हुई. इन चर्चाओं ने सुरक्षा बलों और समुदायों के बीच भरोसा बढ़ाया. यह एकजुटता भविष्य में तटीय सुरक्षा को मजबूत करने का आधार बनेगी.
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