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नजमा हेपतुल्ला का खुलासा: कांग्रेस में विभाजन और संघर्ष

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Najma Heptulla Vs Sonia Gandhi: नजमा हेपतुल्ला ने अपनी आत्मकथा में बताया कि 1999 में IPU अध्यक्ष चुने जाने पर सोनिया गांधी ने उन्हें एक घंटे होल्ड पर रखा, जिससे निराश होकर उन्होंने कांग्रेस छोड़ी और बीजेपी में …और पढ़ें

सोनिया गांधी को कम लोगों पर भरोसा... नजमा हेपतुल्ला की किताब में बड़ा खुलासा

पूर्व राज्यसभा उपाध्यक्ष नजमा हेपतुल्ला ने अपनी आत्मकथा में सोनिया गांधी को लेकर बड़ा राज खोला है. (फाइल फोटो PTI

हाइलाइट्स

  • नजमा हेपतुल्ला ने आत्मकथा में सोनिया गांधी पर खुलासा किया.
  • 1999 में IPU अध्यक्ष चुने जाने पर सोनिया ने हेपतुल्ला को होल्ड पर रखा.
  • इस घटना के बाद हेपतुल्ला ने कांग्रेस छोड़ बीजेपी जॉइन की.

Najma Heptulla Vs Sonia Gandhi: देश की राजनीति में एक बार फिर उबाल आने वााल है. क्योंकि पूर्व राज्यसभा उपाध्यक्ष नजमा हेपतुल्ला ने अपनी आत्मकथा “इन पर्सूट ऑफ डेमोक्रेसी: बियॉन्ड पार्टी लाइन्स” में एक विवादास्पद खुलासा किया है, जिसमें उन्होंने बताया कि 1999 में सोनिया गांधी को अपने IPU अध्यक्ष चुने जाने की खबर देने के लिए फोन किया था, लेकिन उन्हें एक घंटे तक होल्ड पर रखा गया था. इस घटना के बाद हेपतुल्ला ने कांग्रेस छोड़ दी और 2004 में बीजेपी में शामिल हो गईं.

TOI की रिपोर्ट के अनुसार हेपतुल्ला ने IPU अध्यक्ष बनने के तुरंत बाद प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को फोन किया. वाजपेयी ने तुरंत फोन उठाया और इस खबर पर खुशी जाहिर की, खासकर इसलिए क्योंकि यह सम्मान एक भारतीय मुस्लिम महिला को मिला था. उन्होंने हेपतुल्ला से कहा, ‘आप वापस आइए, हम जश्न मनाएंगे.’ इसके बाद हेपतुल्ला ने उपराष्ट्रपति कार्यालय से भी संपर्क किया. हालांकि, जब उन्होंने कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को फोन किया, तो उनके स्टाफ ने कहा कि ‘मैडम व्यस्त हैं’. हेपतुल्ला ने बताया कि वे बर्लिन से अंतरराष्ट्रीय कॉल कर रही हैं, लेकिन स्टाफ ने बस कहा, ‘कृपया लाइन पर बने रहें.’ एक घंटे के इंतजार के बाद भी सोनिया गांधी ने उनसे बात नहीं की. इस घटना ने हेपतुल्ला को बहुत निराश किया और उन्होंने आगे कुछ भी नहीं बताया.

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‘सोनिया गांधी ने किया नजरअंदाज’
हेपतुल्ला ने किताब में खुलासा किया कि IPU अध्यक्ष पद के लिए नामांकन से पहले उन्होंने सोनिया गांधी से अनुमति ली थी और उस समय सोनिया ने शुभकामनाएं दी थीं. परंतु इस महत्वपूर्ण क्षण पर नजरअंदाज किए जाने ने हेपतुल्ला के मन में अस्वीकृति की भावना भर दी. यह घटना कांग्रेस पार्टी में एक महत्वपूर्ण संक्रमण और संकट की भविष्यवाणी साबित हुई, जहां पुराने और अनुभवी सदस्यों को दरकिनार कर दिया गया और पार्टी का संचालन अनुभवहीन चापलूसों ने संभाल लिया.

अटल जी की सरकार में बनीं कैबिनेट मंत्री
वाजपेयी सरकार ने हेपतुल्ला के IPU अध्यक्ष बनने के बाद उनके कार्यालय की रैंकिंग को राज्य मंत्री से कैबिनेट मंत्री तक आगे बढ़ाया. अटलजी ने IPU अध्यक्ष के यात्रा खर्च के लिए बजट में ₹1 करोड़ आवंटित किए. वसुंधरा राजे ने हेपतुल्ला और अन्य सांसदों को संसद एनेक्स में उनके IPU अध्यक्ष चुने जाने का जश्न मनाने के लिए आमंत्रित किया.

‘सोनिया गांधी बहुत कम लोगों पर भरोसा’
हेपतुल्ला ने अपनी किताब में लिखा सोनिया गांधी बहुत कम लोगों पर भरोसा करती थीं और उन्हें ऐसा लगा कि सोनिया उन पर भी भरोसा नहीं करती थीं. विडंबना यह है कि जब सोनिया ने हेपतुल्ला को पवार के साथ जुड़ने का सुझाव दिया, जिसे उन्होंने नहीं माना, तो खुद सोनिया ने पवार के साथ गठबंधन कर लिया. हेपतुल्ला को यह पाखंड जैसा लगा, क्योंकि जो काम उनके लिए गलत माना गया, वही सोनिया के लिए सही था.

हेपतुल्ला के अनुसार इस पूरे प्रकरण ने कांग्रेस पार्टी में विभाजन और आदर्शों के बीच संघर्ष को उजागर किया. जहां एक तरफ सोनिया गांधी का नेतृत्व और उनके निर्णयों पर सवाल उठे, वहीं दूसरी तरफ हेपतुल्ला जैसे नेताओं का पार्टी से मोहभंग हुआ. इस घटना ने कांग्रेस पार्टी के भीतर गहरे मतभेदों और विश्वासघात की कहानियों को प्रमुखता दी, जो भारतीय राजनीति के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई.

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सोनिया गांधी को कम लोगों पर भरोसा… नजमा हेपतुल्ला की किताब में बड़ा खुलासा

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