[ad_1]
बैतूल में टमाटर के दाम इतने कम हो गए हैं कि किसान अपनी फसल को मुफ्त में बांटने को मजबूर हैं। स्थानीय किसान भूपेंद्र किशोर ने डेढ़ एकड़ में टमाटर की खेती की है। एक एकड़ में उन्होंने 55 हजार रुपए की लागत लगाई थी।
.
मंडी में व्यापारी होशंगाबाद और नागपुर से टमाटर मंगवा रहे हैं। इससे स्थानीय किसानों की फसल नहीं बिक पा रही है। भूपेंद्र रोजाना मजदूर लगाकर टमाटर तुड़वाते हैं और बैतूल बाजार में लोगों को मुफ्त में बांटते हैं। वे प्रतिदिन 10 से 20 कैरेट (करीब 400 किलो) टमाटर का वितरण कर रहे हैं।

सड़ने से अच्छा है कि लोगों में बांट दिया जाए: भूपेंद्र, किसान भूपेंद्र का कहना है कि खेत में टमाटर सड़ने से अच्छा है कि लोगों में बांट दिया जाए। वे लंबे समय से सब्जियों की खेती कर रहे हैं। लेकिन टमाटर की ऐसी स्थिति पहले कभी नहीं देखी। पके टमाटर से निकले बीज अगली फसल को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसलिए वे मजदूरी खर्च करके टमाटर तुड़वा रहे हैं।
‘किराया निकालने के लिए कम दाम पर टमाटर बेच रहे’ स्थानीय किसान सुभाष वर्मा और रवि बार मासे के अनुसार, दूसरे जिलों से आने वाले व्यापारी गाड़ी का किराया निकालने के लिए कम दाम पर टमाटर बेच रहे हैं। इससे स्थानीय किसानों को नुकसान हो रहा है। उनका कहना है कि अगर ऐसा ही चलता रहा तो किसान सब्जी उगाना बंद कर देंगे। इससे आगे चलकर बाजार में महंगाई बढ़ सकती है।

बेचने जाओ तो बिक नहीं रहा टमाटर इधर रिटेल में सब्जी का धंधा करने वाले दुकानदारों की माने तो टमाटर के हाल बेहाल हैं। बेचने जाओ तो बिक नहीं रहा है। दुकानदार दिनेश राठौर बताते हैं कि मंडी में टमाटर की फेंकने लायक स्थिति है। जो किसान मंडी में टमाटर लेकर आ रहा है। उसका भाड़ा तक नहीं निकल पा रहा है। मंडी में 50 से 100 रुपए प्रति कैरेट में टमाटर बिक रहा है। जिसके 2 से 4 रुपए प्रति किलो ही मिल पाता है। मार्केट में वे जरूर 10 रुपए बेच रहे हैं। लेकिन आवक ज्यादा होने के कारण टमाटर फेंकना पड़ रहा है।
[ad_2]
Source link



