मध्यप्रदेश

Simhastha 2028: BJP MLAs Clash Over Land Acquisition in Ujjain | सिंहस्थ में स्थायी जमीन अधिग्रहण पर भिड़े भाजपा विधायक: चिंतामणि बोले- तंबू की जगह पक्के भवन क्यों? जैन का जवाब- विकास से क्यों परेशानी ? – Bhopal News

उज्जैन में अप्रैल-मई 2028 में होने वाले सिंहस्थ के लिए किसानों की जमीन के स्थायी अधिग्रहण पर आलोट के बीजेपी विधायक चिंतामणि मालवीय ने विधानसभा में अपनी ही सरकार को घेरा।

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कांग्रेस विधायक महेश परमार ने मालवीय के रुख की सराहना की, जबकि सिंहस्थ क्षेत्र के स्थानीय विधायक (उज्जैन उत्तर) अनिल जैन कालूहेड़ा ने आपत्ति की।

सबसे पहले जानिए आलोट विधायक ने क्या कहा? बजट पर बोलते हुए आलोट से बीजेपी विधायक चिंतामणि मालवीय ने कहा- मुख्यमंत्री जी का धन्यवाद करता हूं कि उन्होंने 2 हजार करोड़ रुपए उज्जैन सिंहस्थ के लिए रखे हैं, उज्जैन उन पर अभिमान करता है।

उज्जैन उनको अपना नेता मानता है, उज्जैन को गर्व है कि मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री उज्जैन से है। लेकिन, आज उज्जैन का किसान बहुत डरा और परेशान है। क्योंकि, सिंहस्थ के नाम पर उसकी जमीन पहले केवल 3-6 महीनों के लिए अधिग्रहित की जाती थी लेकिन आज उन्हें स्थायी अधिग्रहण का नोटिस दिया गया है।

पता नहीं किस अधिकारी ने यह विचार रखा है कि, स्पिरिचुअल सिटी (आध्यात्मिक नगरी) बनाएंगे। मैं बताना चाहता हूं कि स्प्रिचुअलिटी किसी सिटी में नहीं रहती है। वह तो त्याग करने वाले लोगों से होती है। हम क्रांक्रीट के भवन बनाकर स्पिरिचुअल सिटी नहीं बना सकते।

किसानों को बचाने सब मिलकर CM से करें निवेदन इस बीच तराना से कांग्रेस विधायक महेश परमार ने कहा- धन्यवाद डॉ. चिंतामणि मालवीय जी और मेरे दोनों साथी सतीश जी और अनिल जैन साहब। मैं आपसे भी निवेदन करना चाहता हूं कि, उज्जैन के किसानों को बचाने के लिए हम सब मिलकर मुख्यमंत्री जी से निवेदन करें।

परमार के बाद डॉ चिंतामणि मालवीय ने कहा- इसके पीछे उज्जैन के किसानों को आशंका है कि कॉलोनाइजर्स और भू-माफिया का यह षड्यंत्र है। पैसा प्रतिभा से कमाया जाता है और जो जितना प्रतिभाशाली होता है, उतना ही धनवान भी होता है, ऐसा माना भी जाता है।

सिंहस्थ की जमीन का ऐसे प्रयोग नहीं कर सकते चिंतामणि मालवीय ने कहा- हम तो पानी के बुलबुले हैं, भोर के सितारे हैं, लेकिन सिंहस्थ पांच हजार वर्षों तक चलेगा। जब तक इस देश में हिन्दू है और विश्व में कहीं भी हिन्दू हैं, सिंहस्थ चलेगा। हम सिंहस्थ की जमीन का इस तरह प्रयोग नहीं कर सकते कि उससे बड़ा नुकसान हो जाए।

मालवीय बोले- ऐसा न हो सिंहस्थ की जमीन खो दें मालवीय ने कहा- मुझे एक बहुत अच्छा शेर याद आता है कि “ये जब्र भी देखा है, तारीख की नज़रों ने, लम्हों ने ख़ता की थी, सदियों ने सजा पाई” कहीं यह न हो कि हम सिंहस्थ की जमीन को हमेशा-हमेशा के लिए खो दें।

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यह उन अधिकारियों के लिए भी है, जो इस तरह की सलाह देते हैं। इसका कोई औचित्य नहीं है, जिन्होंने जमीन नहीं देखी है। सिंहस्थ तंबुओं में होता है, वह बिल्डिंग्स बनाना चाह रहे हैं। कॉलोनाइजर्स को लाभ देना चाहते हैं।

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जैन बोले- सरकार संस्कृति को शिखर पर पहुंचा रही चिंतामणि मालवीय और महेश परमार के बाद उज्जैन उत्तर के बीजेपी विधायक अनिल जैन कालूहेड़ा ने कहा- हमारी सरकार ने अन्य धार्मिक चेतना स्थलों को श्री देव महालोक सलकनपुर, संतश्री रविदास महालोक सागर, श्री रामराजा महालोक ओरछा और ओंकारेश्वर महालोक के निर्माण के साथ-साथ ओंकारेश्वर में आचार्य शंकर अंतर्राष्ट्रीय अद्वैत संस्थान को विकसित करने जा रही है।

इस प्रकार हमारी सरकार संस्कृति और सनातन विचारों को भारत को विश्व के उच्च शिखर पर पहुंचाने का काम कर रही है। जैन के बीच में कांग्रेस विधायक महेश परमार ने कहा- आप किसानों की जमीनों को देने का समर्थन करते हो। आप बोल दीजिए समर्थन करते हैं। आप उनके वोटों से विधायक बने हो।

2016 में तूफान-बाढ़ में नहीं हो पाई थी मदद अनिल जैन कालूहेड़ा ने कहा- 2016 में उज्जैन में तूफान और बाढ़ आई थी। आग लग गई थी। उस दौरान पंडालों के अंदर न फायर ब्रिगेड पहुंच पाई, न एम्बुलेंस पहुंच पाई थी। उज्जैन में 2016 में त्राहिमाम हो गया था।

बाढ़, आंधी, तूफान के बीच पूरे उज्जैन की जनता पंडालों में जाकर सेवा के काम करना चाहती थी। लोगों को पंडालों में भोजन देने, जिनके कपड़े गीले हो गए थे, उनको कपडे़ देने, उज्जैन का पूरा समाज आगे आया था, लेकिन पंडालों तक पहुंच नहीं पा रहा था।

क्योंकि, अत्यधिक बारिश, कच्ची सड़क होने की वजह से, वहां किसी तरह के वाहन की सुविधा नहीं थी। इसलिए हमारी सरकार ने फैसला लिया है कि सभी पंडालों तक एप्रोच रोड बनाई जाएं।

65 साल तक शिप्रा नदी के लिए क्या किया? अनिल जैन ने कहा- अभी क्षिप्रा मैया पर बात हो रही थी। अरे, जो लोग क्षिप्रा मैया की बात कर रहे थे। 65 साल तक क्या किया। हमारी सरकार ने क्षिप्रा मैया शुद्ध, निर्मल बहती रहे। क्षिप्रा मैया कल-कल बहती रहे। वहां साधु संतों का स्नान, आचमन ठीक से हो जाए।

इस तरह हमारी सरकार और हमारी सरकार के मुखिया इन्दौर से आने वाली कान्ह नदी को कान्ह डक्ट परियोजना के माध्यम से दूसरी जगह पर उसका पानी ले जाने का प्रयास कर रहे हैं। वह पानी ऐसे नहीं जाएगा। 8 स्थानों पर वैराज बन रहे हैं। उन बैराजों पर उच्च स्तरीय प्रयोग शाला होगी। ट्रीटमेंट प्लांट होंगे। उस पानी का शुद्धिकरण होगा।

पानी की पीएच वैल्यू, पानी की सीओडी, बीओडी, पानी की हार्डनेस सबकी चेकिंग होकर वह पानी दूसरे स्थानों पर छोड़ा जाएगा। कान्ह नदी को परिवर्तित करने के बाद क्षिप्रा मैया हमारी स्वच्छ बहेगी। इसके साथ-साथ हमारी क्षिप्रा मैया सदैव बहती रहे।

इसके लिये हमारी सरकार ने सेवरखेड़ी क्षिप्रा डेम परियोजना के माध्यम से अब सेवरखेड़ी में एक बहुत बड़ा डैम बनाकर क्षिप्रा मैया के पानी को सदैव छोड़ा जाएगा। बारिश के दिनों में क्षिप्रा मैया के पूरे पानी को डेम में लिफ्ट कर लिया जाएगा और क्षिप्रा को प्रवाहमान बनाने का काम डॉ. मोहन यादव की सरकार कर रही है।

कांग्रेस के समय दो पुल थे, इस बार 13 नए ब्रिज अनिल जैन ने तराना के कांग्रेस विधायक को जवाब देते हुए कहा- इनके जमाने में तो एक बड़ा पुल और एक छोटा पुल होता था। हमारे जमाने में पिछले सिंहस्थ 2016 में हमने 13 ब्रिज बनाए और इस बार 13 ब्रिज और बनने वाले हैं।

इस तरह से 26 ब्रिज के माध्यम से हम सिंहस्थ के क्षेत्र में पहुंच पाएंगे। कई सड़कों का विकास हो रहा है। उज्जैन के आउटर रिंग रोड का विकास हो रहा है। उज्जैन में चारों तरफ विकास के काम हो रहे हैं। क्योंकि सिंहस्थ हम सबका है।

पूरे मध्यप्रदेश की गौरवशाली परंपरा का है। इसीलिए मैं मुख्यमंत्री जी और वित्त मंत्री जी को बहुत-बहुत धन्यवाद देना चाहता हूं कि आपने सिंहस्थ की सभी प्रकार से चिंता की​।

कांग्रेस विधायक बोले- दान में मिली जमीन बेच दी कांग्रेस विधायक महेश परमार ने मीडिया से चर्चा में कहा- भगवान महाकाल की दान में मिली 45 बीघा जमीन अधिकारियों ने योजना बनाकर बेचने का काम शुरू कर दिया। क्योंकि, इंदौर, उज्जैन और आसपास के जो भूमाफिया हैं। यूडीए के वर्तमान सीईओ और तत्कालीन संभागायुक्त ने षड्यंत्रपूर्वक जमीन को बेचने का काम किया।

विधायक ने पूछा- कैसे तय करेंगे कितनी भीड़ आएगी?

कांग्रेस विधायक महेश परमार ने कहा- सिंहस्थ क्षेत्र में सरकार किसानों की जमीन लैंड पुलिंग के माध्यम से अधिग्रहण करके स्थायी निर्माण करने जा रही है। किसानों ने कभी भी जमीन देने से मना नहीं किया।

एक-दो साल के लिए किसान जमीन देने के लिए तैयार हैं। लेकिन सरकार किसानों की जमीन पर कब्जा करना चाहती है। सरकार वहां पक्के निर्माण करने जा रही है। आप कैसे तय करेंगे कितनी भीड़ आएगी?


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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