अस्पताल से खुशी-खुशी घर लौटीं 102 साल की महिला, डॉक्टरों ने किया ऐसा कमाल, हर तरफ हो रही जय जय – kolkata doctor implant pacemaker in a 102 year old woman hospital discharged she is healthy ad happy

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Kolkata News: डॉक्टरों को यूं ही धरती का भगवान नहीं कहा जाता है. डॉक्टर्स ने एक बार फिर से इसे साबित कर दिया है. निजी अस्पताल के डॉक्टरों ने 102 साल की महिला को पेसमेकर लगाकर इतिहास रच दिया.
कोलकाता में 12 साल की उम्र की महिला को पेसमेकर लगाया है.(सांकेतिक तस्वीर)
कोलकाता. पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता के एक निजी अस्पताल के डॉक्टरों ने 102 साल की महिला में सफलतापूर्वक पेसमेकर प्रत्यारोपित किया और दो दिन के भीतर उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी. डॉक्टरों ने इस बारे में मंगलवार को जानकारी दी. डॉक्टरों ने कहा कि पेसमेकर इंप्लांट करना एक सामान्य प्रक्रिया हो सकती है, लेकिन 102 साल की महिला के दिल में सर्जरी करना दुर्लभ है. स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. स्मृति काना रॉय (जो सेंट टेरेसा और मिशनरीज ऑफ चैरिटी की अन्य ननों का इलाज करती थीं) ने शनिवार को ऑपरेशन करवाया.
रॉयल कॉलेज ऑफ ऑब्सटेट्रिशियन एंड गायनेकोलॉजिस्ट की फेलो डॉक्टर रॉय ने चक्कर आने की शिकायत की थी. उनकी छोटी बेटी जूली बसु ने कैलिफोर्निया से बताया कि जब डॉक्टरों ने अनियमित दिल की धड़कन देखी तो प्रत्यारोपण निर्धारित किया. डॉक्टर ने बताया यह एक अद्भुत अनुभव था. उनकी हृदय गति कम हो गई थी और उसकी हॉल्टर दर में छह सेकंड का ठहराव दर्ज किया गया था. हमने पेसमेकर प्रत्यारोपण की आवश्यकता का सुझाव दिया. वुडलैंड्स मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल में इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. सुनील बरन रॉय ने कहा, ‘शनिवार की सुबह उसे भर्ती कराया गया था और उसी दिन सर्जरी की गई थी. उसे सोमवार को छुट्टी दे दी गई.’ शतायु ने दक्षिण कोलकाता के बल्लीगंज इलाके में अपने निवास से पीटीआई को बताया कि वह सर्जरी की सफलता के बारे में आश्वस्त थी.
उन्होंने बताया कि वह बेहतर महसूस कर रही हैं. मुझे नहीं पता कि यह चमत्कार है या नहीं, क्योंकि मैं इसका फैसला नहीं कर सकती. डॉक्टरों ने मुझे जो सुझाव दिया है, मैंने उसका पालन किया है. इस उम्र में भी इतनी चुस्त-दुरुस्त रहने के राज के बारे में पूछे जाने पर रॉय ने कहा कि वह काम करती हैं, अखबार और किताबें पढ़ती हैं और खुद को व्यस्त रखती हैं. रॉय ने कहा, ‘मैं दूसरों की मदद करने में विश्वास करती हूं और उनके लिए काम करने से मुझे संतुष्टि मिलती है. 66 साल की जूली ने कहा, ‘मेरी मां बहुत अनुशासित महिला रही हैं और आज भी वह सख्त दिनचर्या का पालन करती हैं. वह मानसिक रूप से बहुत मजबूत हैं और मैंने उन्हें कभी रोते नहीं देखा. यहां तक कि कोविड भी उन्हें छू नहीं सका.’
साल 1964 में जब रॉय रॉयल कॉलेज ऑफ़ ऑब्सटेट्रिशियन एंड गायनेकोलॉजिस्ट की सदस्यता के लिए यूके गईं, तो उन्हें अपनी सात और तीन साल की दो बेटियों को छोड़ना पड़ा. बाद में, उन्हें रॉयल कॉलेज ऑफ़ ऑब्सटेट्रिशियन एंड गायनेकोलॉजिस्ट (FRCOG) की फ़ेलो से पुरस्कृत किया गया.
Kolkata,West Bengal
March 18, 2025, 23:58 IST
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