मध्यप्रदेश

Chhatarpur Asi Posted On Duty Suffered Heart Attack Died During Treatment In Hospital – Chhatarpur News

छतरपुर में मंगलवार की सुबह छतरपुर पुलिस लाइन की आर्म्स शाखा में पदस्थ एएसआई को ड्यूटी के दौरान हृदयाघात हुआ, जिसके बाद उसे जिला अस्पताल लाया गया था। जिला अस्पताल में करीब एक घंटे बाद एएसआई की मौत हो गई। वहीं, मृत एएसआई के साथियों और पुलिस अधिकारी का आरोप है कि जिला अस्पताल में समय पर उचित उपचार नहीं मिला। जहां उपचार न मिल पाने और घोर लापरवाही के चलते हमारे पुलिस अधिकारी साथी की मौत हो गई।

छतरपुर पुलिस लाइन की आर्म्स शाखा के प्रभारी एसआई मनिंदर सिंह ने बताया कि पुलिस लाइन की आर्म्स शाखा में पदस्थ एएसआई लक्ष्मण सिंह उम्र 55 वर्ष को सुबह करीब सात बजे जब वे कार्यालयीन कार्य कर रहे थे। तभी अचानक उनके सीने में दर्द उठा। इसके बाद शाखा के दो अन्य पुलिसकर्मी, लक्ष्मण सिंह को स्कूटी से जिला अस्पताल लेकर आए।

यह भी पढ़ें: 364 जी टाइप आवास का लोकार्पण, CM बोले-अप्रैल से कर्मचारियों को सातवें वेतनमान के बराबर भत्ते मिलेंगे

मनिंदर सिंह के मुताबिक, उन्होंने ड्यूटी डॉक्टर से लक्ष्मण सिंह को आईसीयू में भर्ती करने के लिए कहा था। लेकिन डॉक्टर ने आईसीयू में जगह न होने की बात कहकर लक्ष्मण सिंह को अस्पताल की चौथी मंजिल के मेल मेडिशन वार्ड में शिफ्ट कर दिया। यहां लाने पर भी उन्हें उस वार्ड से निकालकर जिरियटिक वार्ड (जो कि 60 वर्ष से ऊपर की उम्र वालों के लिए है) में शिफ्ट कर दिया। वहां उन्हें सिर्फ ऑक्सीजन लगाई गई, कोई उपचार नहीं दिया गया। यहां वह करीब एक घंटे तक सिर्फ ऑक्सीजन सपोर्ट पर टिके रहे। कोई स्पेशल डॉक्टर नहीं आया और इसी घोर लापरवाही के चलते उनकी समय पर इलाज न मिलने के अभाव में मौत हो गई।

नहीं मिली एम्बुलेंस

ASI लक्ष्मण सिंह को जब अटैक आया तो उन्हें मौके पर तत्काल एम्बुलेंस नहीं मिली। जबकि पुलिस लाइन परिसर में ही अस्पताल है और कंट्रोल रूम के पास अक्सर एम्बुलेंस और 100 डायल खड़ी होती हैं। एम्बुलेंस न मिलने के चलते तत्काल इलाज के लिए साथी पुलिसकर्मी उन्हें स्कूटी से लेकर जिला अस्पताल लेकर आए पर यहां भी हार्ट अटैक वाले मरीज के इलाज में लापरवाही की गई।

यह भी पढ़ें: सिंघार बोले- यह सपने दिखाने का बजट है, वित्त मंत्री ने कहा- कांग्रेस के समय गड्डे ही गड्डे थे

पुलिस लाइन का अस्पताल सिर्फ नाम का

पुलिस लाइन कैम्पस में ही पुलिस अस्पताल स्थित है। जहां कुछ समय पूर्व (चौरसिया केपी फाउंडेशन द्वरा) कई लाखों रुपये खर्च करके अस्पताल का भव्य रिनोवेशन कर शुभारंभ करवाया था। जो उस समय काफी चर्चा का विषय रहा और मीडिया की सुर्खियों में छाया रहा। इसमें अब डॉक्टर नहीं बैठते और न ही डॉक्टर आते और लगभग बंद सा पड़ा है। डॉक्टर के न आने और न बैठने की यह बात हमें पुलिस लाइन के SI मनिंदर सिंह ने अपने इंटरव्यू में बताई। पुलिस अधिकारी लक्ष्मण सिंह की मौत पर कई और बड़े सवाल खड़े हो रहे हैं जो कि उनकी मौत का कारण भी बने हैं…

यहां बड़ा पहला बड़ा सवाल यह है कि जब ASI लक्ष्मण सिंह को अटैक आया था, तब उन्होंने चौथी मंजिल पर स्थित मेडिसन वार्ड में क्यों भेजा, जबकि उन्हें दूसरी मंजिल पर स्थित ICU में में शिफ्ट/भर्ती कराना था।

दूसरा सवाल यह है कि जब मेडिसन वार्ड में भर्ती किया तो वहां से उठाकर/ले जाकर जिरियटिक, जो कि 60 साल से ऊपर वालों के लिए बना है 56 साल के पुलिस अधिकारी को वहां क्यों ले जाया गया।

तीसरा सवाल जब पता था कि हार्ट अटैक आया है तो तत्काल स्पेशलिस्ट डॉक्टर को कॉल क्यों नहीं किया गया। डॉक्टर को तत्काल उपचार करना चाहिए था। यहां हार्ट अटैक के मरीज को सिर्फ ऑक्सीजन सपोर्ट देकर इतिश्री कर ली।

ASI लक्ष्मण सिंह को जब अटैक आया तो उन्हें मौके पर एम्बुलेंस नहीं मिली। जबकि पुलिस लाइन कैम्पस में ही कुछ समय पूर्व पुलिस लाइन अस्पताल का भव्य रिनोवेशन और शुभारंभ हुआ था। जो कि अब बंद सा पड़ा है, वहां कोई डॉक्टर नहीं बैठता।

हार्ट अटैक के मरीज को पुलिस लाइन से जिला अस्पताल (तकरीबन एक किलोमीटर) तक स्कूटी से लाया गया। यह भी (तत्काल एम्बुलेंस न मिलना) उनकी हालत बिगड़ने का एक कारण हो सकता है।

SP बोले हमारे लिए दुःखद घड़ी

ड्यूटी के दौरान एएसआई की मौत की खबर सुनकर पुलिस महकमे और विभाग में हड़कंप मच गया। मौके पर जिला अस्पताल में पुलिस RI पूर्णिमा मिश्रा, ASP विदिता, SP अगम जैन पहुंचे।जहां उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि हमारे लिए बड़ी दुःख की घड़ी है। हमने अपने पुलिस परिवार के साथी को खोया है। प्रथम दृष्टया मौत की वजह हार्ट अटैक बताई जा रही है। अस्पताल में उचित इलाज में देरी और लापरवाही की बात सुनने में आई है। फिलहाल, यह जांच का विषय है। जांच उपरांत ही कुछ कहा जा सकता है।

अस्पताल प्रशासन मामले में लीपापोती करने में जुटा

ASI की मौत के बाद समय पर उचित इलाज न मिलने और घोर लापरवाही की चर्चाओं का बाजार गर्म है। मामला विभाग के जिला अधिकारियों SP और कलेक्टर तक पहुंचा तो जिला अस्पताल प्रबंधन में हड़कंप मच गया और अब अस्पताल प्रबंधन और अधिकारी मामले में ड्यूटी डॉक्टरों, नर्सिंग स्टॉफ और कर्मचारियों से सवाल-जवाब करने और प्रशासन को जवाब देने की तैयारियों में लगे हुए हैं।


Source link

एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!