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थकान दूर करने वाले खुद नहीं थकते! 75 की उम्र में भी साइकिल से बेचते हैं मठ्ठा,सिर्फ 6 महीने में 5 लाख की कमाई

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Mattha Business: शिवा भास्कर पिछले 30 सालों से सोलापुर में मठ्ठा बेचते हैं. सिद्धेश्वर पेठ जिला परिषद में उनका मठ्ठा बेहद लोकप्रिय है. शिवा रोजाना 3-5 हजार रुपये कमाते हैं और उनकी मठ्ठा की गुणवत्ता बेहतरीन है.

उम्र 75 पर जोश जवां! साइकिल से बेचते हैं मठ्ठा,सिर्फ 6 महीने में 5 लाख की कमाई

शिवा भास्कर का मठ्ठा गर्मी में लोगों की पसंद.

हाइलाइट्स

  • शिवा भास्कर 30 सालों से सोलापुर में मठ्ठा बेचते हैं.
  • रोजाना 3-5 हजार रुपये की कमाई होती है.
  • 75 की उम्र में भी शिवा साइकिल से मठ्ठा बेचते हैं.

इरफान पटेल/सोलापुर: गर्मी शुरू हो गई है और तापमान दिन-ब-दिन बढ़ रहा है. सोलापुर में अधिकतम तापमान 39 डिग्री तक पहुंच गया है. शहर में हर जगह ठंडे पेय की दुकानें खुल रही हैं. सोलापुरवासियों को गर्मी का नाम लेते ही शिवा का मठ्ठा याद आता है. पिछले 30 सालों से शिवा भास्कर मठ्ठा बेचते हैं. सिद्धेश्वर पेठ जिला परिषद के परिसर में जिले से आने वाले सभी लोग उनका मठ्ठा पिए बिना नहीं जाते.

30 सालों से मठ्ठा बेच रहे हैं
लोकल 18 से बात करते हुए शिवा भास्कर जाधव ने कहा कि मैं पिछले 30 सालों से मठ्ठा बेचने का काम कर रहे हैं. यह मठ्ठा वे खुद बनाते हैं. जनवरी से शुरू होने वाली मठ्ठा बिक्री 7 जून को खत्म होती है. गर्मी के मौसम में शिवा भास्कर के पास रोजाना 5 से 10 कैन मठ्ठा बिकता है. गुणवत्ता में कभी कोई कमी नहीं की, इसलिए ही मैं इस धंधे में टिका हूं.

रोजाना 3 से 5 हजार रुपये की कमाई होती है
मठ्ठा बनाने के लिए शिवा जाधव को 10 से 15 हजार रुपये तक का खर्च आता है, जबकि मठ्ठा बिक्री से सभी खर्च निकालकर रोजाना 3 से 5 हजार रुपये की कमाई होती है. छह महीने में मठ्ठा बिक्री से शिवा जाधव 4 से 5 लाख रुपये कमा लेते हैं.

पहले 8 आने में बिकने वाला मठ्ठा आज 15 रुपये में बिकता है. बेहतरीन गुणवत्ता का यह मठ्ठा शहर के सभी नागरिकों को आकर्षित करता है. इसकी खासियत यह है कि अन्य मठ्ठा वालों की तुलना में शिवा खुद दूध लाकर उसे फाड़ते हैं और तैयार दही से लहसुन, अदरक, पुदीना और काला नमक डालकर मठ्ठा बनाते हैं. एक कैन में मसालों का कितना अनुपात होना चाहिए, इसका अंदाजा उन्हें 30 सालों से है. एक बार मठ्ठा पीने के बाद पूरे दिन भूख नहीं लगती. साइकिल से शुरू हुआ यह सफर आज भी साइकिल पर ही है. 75 साल की उम्र में 30 साल इस मठ्ठा बनाने की प्रक्रिया में बिताए हैं, ऐसा भी शिवा भास्कर बताते हैं.

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सोलापुर को शुरू से ही धनवान और श्रमिकों का शहर माना जाता है. कड़ी धूप में मजदूर एक 15 रुपये का दाल चावल और एक मठ्ठा पीकर पूरे दिन की भूख और प्यास मिटा लेते हैं और उनके हाथों में ताकत आ जाती है. वे मजदूर आज भी शिवा का मठ्ठा जरूर पीते हैं.

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