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कभी घर चलाने के लिए पकड़ती थी मछली…अब लहरों पर करेगी राज, सोशल मीडिया ने बदली तक़दीर!

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Kaveri Dimar Success Story: इंडियन नेवी में चयन के बाद जब कावेरी अपने गांव लौटी, तो मां-बाप की आंखों में यकीन नहीं हो रहा था.गांव की इस बेटी ने बता दिया कि हालात कैसे भी हों, अगर इरादे मजबूत हैं, तो कोई भी सपना…और पढ़ें

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मछली पकड़ते हुए बिटिया ओर उसके पिताजी बिटिया नाव चलाते हुए 

हाइलाइट्स

  • कावेरी डिमर इंडियन नेवी में शामिल हुईं.
  • मछली पकड़ने वाली कावेरी ने अंतरराष्ट्रीय पहचान बनाई.
  • सोशल मीडिया ने कावेरी की तक़दीर बदली.

Indian Navy selection: खंडवा जिले की ग़रीब लेकिन जज़्बे से लबरेज़ बेटी कावेरी डिमर—जो कभी पिता के कर्ज चुकाने के लिए नर्मदा नदी में मछलियां पकड़ती थी, आज इंडियन नेवी में शामिल होकर देश की सेवा करने के लिए तैयार है! संघर्ष, मेहनत और हौसले की ऐसी कहानी शायद ही पहले सुनी गई हो!

नर्मदा की लहरों से दुनिया तक पहुंचने का सफर
कावेरी ने इंदिरा सागर बांध के बैकवाटर में नाव चलाकर तैराकी सीखी और फिर ऐसा हुनर दिखाया कि विदेशों तक नाम गूंज उठा. मात्र 17 साल की उम्र में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाई, एशियन चैंपियनशिप, वर्ल्ड चैंपियनशिप, ओलंपिक क्वालिफायर समेत कई बड़े टूर्नामेंट में दमखम दिखाया. नेशनल चैंपियनशिप में 45 गोल्ड, 6 सिल्वर और 3 ब्रॉन्ज मेडल जीतकर देशभर में अपनी पहचान बना ली.

सोशल मीडिया ने बदली तक़दीर, खेल अधिकारी पहुंचे गांव
कावेरी की काबिलियत को सोशल मीडिया ने नई उड़ान दी. नाव चलाने का वीडियो वायरल हुआ, तो तत्कालीन खेल अधिकारी जोसफ बक्सला ने गांव पहुंचकर तीनों बहनों को भोपाल स्पोर्ट्स अकादमी में ट्रायल दिलवाया. कावेरी का प्रदर्शन सबसे बेहतर निकला और 2016 में उसे एमपी वॉटर स्पोर्ट्स अकादमी में दाखिला मिल गया.

पिता का कर्ज चुकाने के लिए जाल से मछली निकालती थी बेटियां
40 हजार के कर्ज में डूबे पिता ने जब नदी में जाल डालकर मछलियां पकड़नी शुरू कीं, तो बेटियां भी साथ आ गईं. सुबह-सुबह तीनों बहनें जाल से मछली निकालकर ठेकेदार को बेचतीं, ताकि पिता का कर्ज उतर सके. परिवार का पेट पालने के लिए बचपन से मेहनत करने वाली कावेरी, अब देश की रक्षा के लिए समंदर की लहरों पर राज करेगी!

जब कावेरी लौटी, तो पूरा गांव गर्व से झूम उठा
इंडियन नेवी में चयन के बाद जब कावेरी अपने गांव लौटी, तो मां-बाप की आंखों में यकीन नहीं हो रहा था. तिलक लगाकर बेटी का सम्मान किया, गांववालों ने फूल मालाओं से स्वागत किया. गांव की इस बेटी ने बता दिया कि हालात कैसे भी हों, अगर इरादे मजबूत हैं, तो कोई भी सपना हकीकत बन सकता है!

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कभी घर चलाने के लिए पकड़ती थी मछली…अब लहरों पर करेगी राज!


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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