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Success Story: MPSC परीक्षा पास कर मजदूर का बेटा बना जनपद सीईओ, पूरा किया पिता का सपना

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MPSC Success Story: रतीलाल प्रभु कनाशे की सफलता की यह कहानी बताती है कि परिस्थितियां चाहे कितनी भी मुश्किल क्यों न हों, मेहनत और लगन से हर सपना पूरा किया जा सकता है. उनके माता-पिता की मेहनत और उनका संघर्ष आने व…और पढ़ें

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मजदूर

मजदूर का बेटा बना जनपद सीईओ 

मोहन ढाकले/बुरहानपुर: मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिले के जालांद्रा गांव के रहने वाले रतीलाल प्रभु कनाशे ने कठिन संघर्ष और मेहनत से एमपीपीएससी परीक्षा पास कर जनपद सीईओ का पद हासिल किया है. आदिवासी परिवार में जन्मे रतीलाल की सफलता की कहानी प्रेरणा से भरी हुई है. उनके माता-पिता ने मजदूरी कर उनकी पढ़ाई का खर्च उठाया और उनके सपनों को पंख दिए.

मजदूर माता-पिता की कड़ी मेहनत
रतीलाल ने बताया कि उनके माता-पिता हर साल महाराष्ट्र में मजदूरी के लिए जाते थे. उनकी आय सीमित थी, लेकिन उन्होंने हमेशा अपनी कमाई से बेटे की पढ़ाई के लिए पैसे बचाए. मेरे माता-पिता का सपना था कि मैं अफसर बनूं. उनकी मेहनत और सपनों ने मुझे आगे बढ़ने की प्रेरणा दी,” रतीलाल ने कहा.
उन्होंने यह भी बताया कि मजदूरी के बावजूद उनके माता-पिता ने कभी पढ़ाई में किसी प्रकार की कमी महसूस नहीं होने दी.

संघर्ष से सफलता तक का सफर
रतीलाल ने एमपीपीएससी परीक्षा में सफलता पाने के लिए लगातार प्रयास किए.तीन बार असफलता के बावजूद उन्होंने चौथी बार परीक्षा पास की. रतीलाल ने 2023 में पटवारी के पद पर नियुक्ति पाई और शहडोल जिले में अपनी सेवा दी. नौकरी के साथ-साथ उन्होंने अपनी तैयारी जारी रखी और आखिरकार जनपद सीईओ बनने का सपना पूरा किया.

रतीलाल की कहानी
लोकल 18 से बातचीत में रतीलाल ने कहा:
मैं आदिवासी बहुल क्षेत्र से आता हूं. पढ़ाई और तैयारी के लिए मैंने बहुत संघर्ष किया.मेरे माता-पिता ने हमेशा मेरा हौसला बढ़ाया. उनकी मेहनत और समर्थन के कारण ही मैं आज इस मुकाम पर हूं.

2023 में बने थे पटवारी
रतीलाल ने 2023 में पटवारी की नौकरी हासिल की थी और शहडोल जिले में काम कर रहे थे. इसके साथ उन्होंने एमपीपीएससी की तैयारी जारी रखी और जैसे ही परिणाम आया, उन्हें जनपद सीईओ पद के लिए चयनित कर लिया गया.

आदिवासी समुदाय के लिए प्रेरणा
रतीलाल की यह सफलता न केवल उनके परिवार के लिए गर्व की बात है, बल्कि यह आदिवासी समुदाय के युवाओं के लिए भी एक प्रेरणा है. उनकी कहानी दिखाती है कि सीमित संसाधनों और चुनौतियों के बावजूद मेहनत और दृढ़ संकल्प से किसी भी लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है.

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