Home अजब गजब खेती से महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया, राष्ट्रपति से हुईं सम्मानित…मिसाल बनीं बर्णाली

खेती से महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया, राष्ट्रपति से हुईं सम्मानित…मिसाल बनीं बर्णाली

32
0

[ad_1]

Last Updated:

Award for farming: दक्षिण 24 परगना की बर्णाली ने एक गृहिणी से प्रेरणादायक किसान का सफर तय किया. उन्होंने स्व-सहायता समूह बनाकर सैकड़ों महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया और उन्नत खेती के जरिए राष्ट्रपति पुरस्कार के लि…और पढ़ें

खेती से महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया, राष्ट्रपति से सम्मानित, ये हैं बर्णाली

बर्णाली को राष्ट्रपति से मिला सम्मान.

दक्षिण 24 परगना की बर्णाली ने एक साधारण गृहिणी से राष्ट्रपति पुरस्कार विजेता बनने का सफर तय किया है. उनका सफर प्रेरणा से भरपूर है, जो किसी भी महिला को आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित कर सकता है. काकद्वीप में शिक्षक माता-पिता के घर जन्मी बर्णाली ने पारिवारिक परंपराओं और खेती-बाड़ी से अपने जीवन की शुरुआत की. उनके पति भी शुरुआती दौर में खेती और उर्वरक-कीटनाशक के व्यवसाय में थे, लेकिन प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक बनने के बाद पारिवारिक खेती का जिम्मा बर्णाली ने संभाल लिया.

स्व-सहायता समूह से शुरू हुआ सफर
2005 में बर्णाली ने अपने इलाके की करीब दस महिलाओं के साथ एक स्व-सहायता समूह की शुरुआत की. उनका उद्देश्य था महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत बनाना. धीरे-धीरे इस समूह ने “अश्वत्थतला महिला जनकल्याण समिति” का रूप ले लिया. बर्णाली के नेतृत्व में महिलाओं ने विभिन्न छोटे व्यवसायों और खेती के जरिए अपनी आय बढ़ाई. इस पहल ने न केवल महिलाओं की संख्या में इजाफा किया, बल्कि उनके आत्मविश्वास को भी नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया.

कृषि विज्ञान केंद्र से मिली नई दिशा
2017 में बर्णाली ने जयनगर के निमपीठ रामकृष्ण आश्रम कृषि विज्ञान केंद्र में उर्वरक-कीटनाशक बिक्री का प्रशिक्षण लिया. यह उनके जीवन का एक अहम मोड़ साबित हुआ. उन्होंने केंद्र और राज्य सरकार की कृषि योजनाओं की जानकारी हासिल कर उन्हें अपने स्व-सहायता समूह की महिलाओं तक पहुंचाया. उन्होंने सरकार द्वारा दिए गए हाइब्रिड सूरजमुखी बीज की खेती से शुरुआत की और सैकड़ों महिलाओं को नारियल की खेती में शामिल किया.

प्रशिक्षण से बदली तस्वीर
बर्णाली ने महिलाओं को कृषि विज्ञान केंद्र में प्रशिक्षण दिलवाया और विशेषज्ञों को गांव में बुलाकर उन्हें नई-नई तकनीकों से रूबरू कराया. उन्होंने महिलाओं को बतख, मुर्गी और बकरी पालन जैसे रोजगार में भी शामिल किया. बर्णाली ने गांव के पुरुषों को भी इन योजनाओं में जोड़ा और फार्मर्स प्रोड्यूसर कंपनी (एफपीसी) और फार्मर्स इंटरेस्ट ग्रुप (एफआईजी) बनाकर किसानों के लिए नई संभावनाओं के द्वार खोले.

राष्ट्रपति पुरस्कार से बढ़ा सम्मान
आज बर्णाली के नेतृत्व में करीब दो हजार महिलाएं खेती के काम में जुड़ी हुई हैं. बर्णाली का कहना है, “मैंने कभी सोचा नहीं था कि राष्ट्रपति पुरस्कार के लिए चुना जाऊंगी. यह सम्मान न केवल मेरे लिए, बल्कि हर उस महिला के लिए गर्व की बात है जो आत्मनिर्भर बनने का सपना देखती है.”

कृषि विज्ञान केंद्र के लिए भी गर्व का पल
निमपीठ रामकृष्ण आश्रम कृषि विज्ञान केंद्र के प्रमुख ने बर्णाली की उपलब्धियों पर कहा, “बर्णाली ने महिलाओं को संगठित कर खेती में नई दिशा दी है. उनकी मेहनत और प्रयास हमारे कृषि विज्ञान केंद्र के लिए भी गर्व की बात है.”

homebusiness

खेती से महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया, राष्ट्रपति से सम्मानित, ये हैं बर्णाली

[ad_2]

Source link

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here