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First PIL on forced showing of advertisements in cinema halls | सिनेमाघरों में जबरन विज्ञापन दिखाने पर पहली PIL: ग्वालियर की लॉ स्टूडेंट ने हाईकोर्ट में दायर की याचिका, कहा- टिकट फिल्म के लिए खरीदते हैं – Gwalior News

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याचिकाकर्ता और लॉ स्टूडेंट स्वाति अग्रवाल का फाइल फोटो

अगर आप फिल्मों के शौकीन है तो यह खबर आपके लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है, क्योंकि मध्यप्रदेश के ग्वालियर हाईकोर्ट में देश की पहली और एक बड़ी जनहित याचिका यानी PIL दायर की गई है,जिसे हाईकोर्ट ने सुनवाई योग्य मानते हुए स्वीकार कर लिया है। अब हाई कोर्ट में 10

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याचिका करता बोली पैसे फिल्म देखने के लिए देते हैं विज्ञापन के लिए नहीं

बता दें कि ग्वालियर की रहने वाली लॉ स्टूडेंट स्वाति अग्रवाल ने ग्वालियर हाईकोर्ट में एक बड़ी जनहित याचिका दायर की है,जिसमे एक ऐसा गम्भीर मुद्दा उठाया है,जो देश के हर एक नागरिक से जुड़ा हुआ है। जी हा फिल्मों को देखने के शौकीन हर एक व्यक्ति से जुड़े इस खास मुद्दे को हाईकोर्ट ने सुनवाई में ले लिया है। याचिकाकर्ता लॉ स्टूडेंट स्वाति अग्रवाल ने देश के सभी सिनेप्लेक्स और मल्टीप्लेक्स में फ़िल्म प्रदर्शन के दौरान जबरन कमर्शियल विज्ञापन दिखाए जाने के खिलाफ यह याचिका दायर की है, याचिका के जरिए लॉ स्टूडेंट स्वाति अग्रवाल ने मांग की गई है कि केंद्र सरकार फ़िल्म प्रदर्शन से जुड़े नियम बनाए । याचिका में बताया गया है कि फ़िल्म टिकिट और प्रदर्शन करने वाली कम्पनी के बीच फ़िल्म टिकिट एक कॉन्ट्रेक्ट होता है,जिसमे फ़िल्म प्रदर्शन के समय को बताया जाता है। लेकिन उसके बावजूद फ़िल्म को 10 से 20 मिनिट बाद दर्शको को दिखाना शुरू किया जाता है।

वही इस दौरान फ़िल्म प्रदर्शन करने वाली कम्पनियां फ़िल्म देखने वालों को एक तरह से बंधक बना लेती है,उन्हें फ़िल्म के इंतजार में जबरन कमर्शियल विज्ञापन देखना पड़ते है। जिससे कम्पनियो को मोटा मुनाफा होता है,जबकि दर्शक ने रुपये देकर टिकिट सिर्फ फ़िल्म देखने के लिए खरीदा होता है। इस लिहाज से यह सभी फ़िल्म प्रदर्शन करने वाली कम्पनियां संविधान में दिए मौलिक अधिकारों का हनन कर रही है। यही वजह है कि देश मे पहली बार इस मसले को लेकर जनहित याचिका दायर की गई, जिसमे इन ग्राउंडस को आधार बनाया गया है।

यह मुद्दे रखें है याचिका में

(1)-संविधान के सेक्शन 21 के तहत “पर्सनल लिबर्टी” का हनन

(2)-संविधान में दिए मौलिक अधिकार के तहत क्या चुनना है चाहते है?,क्या देखना चाहते है?,क्या सुनना चाहते है? का हनन

(3)-फ़िल्म टिकट कॉन्ट्रेक्ट का हनन

(4)-आम औऱ खास सभी के कीमती समय का हनन

चलिए आपको बताते हैं कि इस जनहित याचिका में कौन कौन पक्षकार बनाये गए हैं

(1)-यूनियन ऑफ इंडिया

(2)-मिनिस्ट्री ऑफ ब्रॉडकास्टिंग,भारत सरकार

(3)-प्रमुख सचिव,मध्यप्रदेश राज्य,सामान्य प्रशासन

(4)-आबकारी आयुक्त

(5)-फ़िल्म फेडरेशन ऑफ इंडिया

देश के सभी सिनेमा ऑपरेटर जिनमे PVR, INOX,सिनेपोलिस, फन सिनेमा,गोल्ड सिनेमा बनाये गए पक्षकार

गौरतलब है कि याचिकाकर्ता स्वाति अग्रवाल का कहना है कि उनके द्वारा लगाई गई जनहित याचिका का जो सब्जेक्ट है वह देश के हर नागरिक से कनेक्ट है। यही वजह है कि उनके द्वारा यह याचिका दायर की गई है, जिसे ग्वालियर हाईकोर्ट ने सुनवाई योग्य मानते हुए स्वीकार किया है और अब मामले की सुनवाई 24 फरवरी के आसपास शुरू होगी, स्वाति अग्रवाल ने उम्मीद जताई है कि मामले की सुनवाई के साथ ही बनाए गए सभी पक्षकारों को नोटिस जारी किए जाएंगे और फिल्म प्रदर्शन को लेकर नियम तैयार किए जाने जैसे महत्वपूर्ण निर्देश माननीय हाईकोर्ट देंगे।

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