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देशभर में जहां एक ओर महाशिवरात्रि मनाई जाती है, वहीं सिर्फ उज्जैन के महाकाल मंदिर में नवरात्रि की तरह महाशिवरात्रि पर्व के पहले नौ दिनों तक शिव नवरात्रि मनाने की परम्परा है। खास बात ये की इस बार शिव नवरात्रि नौ नहीं बल्कि दस दिन तक मनाई जाएगी। इस बार
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शिव नवरात्रि में दस दिन का विशेष संयोग करीब 30 वर्ष बाद आया है। इस बार महापर्व एक विशेष योग की साक्षी में हो रहा है। यह शश योग विशेष मान्यता इसलिए रखता है, क्योंकि यह योग शनि के केंद्र में होने से बनता है। इस योग को शुभ माना जाता है। ऐसी भी मान्यता है कि इस योग में की गई साधना मनोवांछित फल प्रदान करती है।

शिव नवरात्रि में दस दिन तक भगवान महाकाल का विशेष श्रृंगार किया जाएगा।
पौराणिक मान्यता के अनुसार इस प्रकार के योग में शिव पूजन का विशेष महत्व बताया गया है। पूजन के पश्चात साधक, उपासक या गृहस्थ को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। इस दृष्टि से प्रत्येक शिव भक्त को उपासना करनी चाहिए। भारतीय ज्योतिष शास्त्र की गणना एवं पंचांग की गणना के अनुसार महाकालेश्वर मंदिर में शिव नवरात्र का 10 दिवस के अनुष्ठान विशेष ग्रहों की साक्षी में हो रहा है। दशकों बाद बनने वाले ग्रह योग में भगवान शिव का पार्थिव पूजन, मूर्ति पूजन, लिंग पूजन या ध्यान पूजन करने से भौतिक और सांसारिक कल्याण की प्राप्ति होती है।
महाकाल मंदिर के महेश पुजारी ने बताया कि इस बार दस दिन की शिव नवरात्रि होने के चलते दस दिन तक भगवान महाकाल का विशेष श्रंगार किया जाएगा। प्रतिवर्ष अनुसार नौ दिन तक चलने वाली शिव नवरात्रि में भगवान को रजत आभूषण, चन्दन उबटन से श्रृंगारित किया जाता है। महाकाल मंदिर के पुजारी महेश शर्मा ने बताया कि इस बार सप्तमी दो दिन होने के चलते गृह नक्षत्र तिथि के कारण तीन दशक के बाद दस दिन का शिव नवरात्रि पर्व मनाया जाएगा। लेकिन महाकाल मंदिर ग्वालियर पंचांग से चलता है इसलिए मंदिर के अन्य पुजारी पुरोहित से मंथन करने के बाद निर्णय लेंगे की मंदिर में शिव नवरात्रि दस दिन की मनाई जाए या फिर नौ दिन की।

महाकाल मंदिर में सफाई, रंग-रोगन का काम जारी
महाशिवरात्रि महापर्व को देखते हुए मंदिर में तैयारियां जारी हैं। श्री महाकालेश्वर मंदिर के मुख्य शिखर की धुलाई व मंदिर रंग-रोगन (पुताई), कोटितीर्थ कुंड की सफाई, गर्भगृह व अन्य परिसर आदि की सफाई की जा रही है। महाशिवरात्रि महापर्व के लिए श्री महाकालेश्वर मंदिर के गर्भगृह में रुद्रयंत्र व रजत दीवारों की सफाई का कार्य भी जल्द शुरू किया जाएगा।
महाशिवरात्रि पर मिलेगा फलाहारी प्रसाद
26 फरवरी को महाशिवरात्रि के अवसर पर श्री महाकालेश्वर मंदिर में देशभर से श्रद्धालु बाबा महाकाल के दर्शन के लिए आएंगे। इस दिन मंदिर प्रबंध समिति द्वारा संचालित नि:शुल्क अन्नक्षेत्र में भक्तों के लिए विशेष फलाहारी प्रसाद की व्यवस्था की जाएगी। शिवरात्रि के दिन ड्यूटी में तैनात अधिकारियों और कर्मचारियों तक भी फलाहार प्रसाद पहुंचाया जाएगा। महाशिवरात्रि पर विशेष फलाहारी प्रसाद तैयार किया जाएगा, जिसमें साबूदाने की खिचड़ी, आलू की चिप्स, आम्टी, साबूदाने की खीर जैसे व्यंजन शामिल होंगे।

नंदी द्वार से प्रवेश, टनल से दर्शन कर बाहर जा सकेंगे दर्शनार्थी
महाशिवरात्रि पर्व पर स्थानीय के साथ बड़ी संख्या में देश, विदेश से भी श्रद्धालु महाकालेश्वर के दर्शन की अभिलाषा लेकर आते हैं। प्रबंध समिति ने उनके सुलभ दर्शन के लिए व्यवस्था की है। उनके प्रवेश से लेकर निर्गम तक उन्हें कोई परेशानी न हो, इसके लिए समिति की बैठक में विचार-विमर्श किया है। महाकालेश्वर मंदिर समिति प्रशासक प्रथम कौशिक ने बताया कि श्रद्धालुओं को सुलभ दर्शन के लिए दो प्रमुख बदलाव किए हैं। प्रवेश द्वार त्रिवेणी संग्रहालय, नीलकंठ द्वार, अवंतिका द्वार हर जगह पर संकेतक लगाएंगे, ताकि आने वाले श्रद्धालुओं को पता चल सके उन्हें कहां से प्रवेश करना है। इस बार ज्यादा से ज्यादा श्रद्धालुओं को सुलभ दर्शन करवाने के लिए टनल का पूरी क्षमता से उपयोग किया जाएगा। इसके पहले टनल को प्रायोगिक रूप से खोला गया था।

दर्शन के लिए यह है व्यवस्था
सामान्य दर्शनार्थी प्रवेश : चारधाम मंदिर पार्किंग स्थल से प्रवेश द्वार संग्रहालय के समीप से नंदी द्वार भवन, फेसेलिटी सेंटर 1 टनल, शक्ति पथ, त्रिवेणी, श्री महाकाल, मानसरोवर, नवीन टनल 1, गणेश मंडपम् से भगवान श्री महाकालेश्वर के दर्शन करेंगे।
सामान्य दर्शनार्थी निर्गम : दर्शन के बाद आपातकालीन निर्गम द्वार से दर्शनार्थी बाहर जाने के लिए बड़ा गणेश मंदिर के समीप हरसिद्धि मंदिर तिराहा पुनः चारधाम मंदिर पर पहुंचकर अपने गंतव्य की ओर प्रस्थान करेंगे।
सामान्य दर्शनार्थियों की संख्या बढ़ने पर प्रवेश : श्रद्धालुओं की संख्या अधिक होने पर फेसेलिटी सेंटर 1 से मंदिर परिसर निर्गम रैम्प, गणेश मंडपम् और नवीन टनल दोनों ओर से श्रद्धालुओं की दर्शन व्यवस्था की जाएगी। फेसेलिटी सेंटर 1 से सीधे कार्तिकेय मंडपम् में प्रवेश करवाया जाएगा। निर्गम : दर्शन के बाद द्वार नंबर 10 अथवा निर्माल्य द्वार के रास्ते बाहर की ओर प्रस्थान कराए जाने की व्यवस्था की जाएगी। वीआईपी- प्रवेश : नीलकंठ द्वार से त्रिनेत्र के सामने से होकर शंखद्वार, कोटितीर्थ कुंड के सामने से सभा मंडपम् से मंदिर में प्रवेश करेंगे। निर्गम : दर्शन के बाद सभा मंडपम् से कोटितीर्थ कुंड, शंखद्वार से त्रिनेत्र होकर नीलकंठ द्वार से मंदिर के बाहर जाएंगे।

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