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हिंदू मैरिज एक्ट के तहत जैन समुदाय के पक्षकारों की तलाक की अर्जी खारिज किए जाने के फैमिली कोर्ट के आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है। पक्षकारों ने आपसी सहमति से अलग होने के लिए फैमिली कोर्ट में परिवाद दायर किया था, लेकिन कोर्ट ने यह कहते हुए अर्ज
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पति की ओर से अधिवक्ता पंकज खंडेलवाल ने हाई कोर्ट में प्रथम अपील दायर की है। इसमें उल्लेख किया है कि 17 जुलाई 2017 को नीमच में हिंदू रीति-रिवाज से शादी की गई थी। 6 जुलाई 24 को फैमिली कोर्ट में अर्जी दायर की थी। दोनों की सहमति से परिवाद पेश किया था, जिसे फैमिली कोर्ट ने स्वीकार नहीं किया।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला दिया अधिवक्ता खंडेलवाल का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट पूर्व में आदेश पारित कर चुका है कि दंपती जब साथ नहीं रहना चाहते, सुलह के रास्ते बंद हो गए हैं तो उनकी तलाक की अर्जी स्वीकार कर ली जानी चाहिए। हाई कोर्ट में दायर अर्जी में मांग की है कि तलाक की अर्जी को स्वीकार कर लिया जाए।
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