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सतना के एक रिटायर्ड शिक्षक दंपती की कहानी पशु-पक्षी प्रेम की एक अनूठी मिसाल बन गई है। माया मिश्रा और उनके पति संजय मिश्रा का पशु-पक्षियों के प्रति समर्पण 25 वर्षों से निरंतर जारी है। यह सफर एक घायल तोते की सेवा से शुरू हुआ, जो आज एक बड़ी पहल में बदल
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मुख्तयारगंज में किराए के मकान में रहने वाले इस दंपती ने अपने घर के सामने के खाली प्लॉट में आवारा पशुओं के लिए एक विशेष आश्रय स्थल बनाया है। टीन शेड के नीचे पैरा बिछाकर मवेशियों के लिए भूसे की व्यवस्था की गई है। दुधारू गायों की सेवा करते हैं, लेकिन उनका दूध नहीं दुहते। कोई भी मवेशी किसी भी समय आकर यहां विश्राम कर सकता है और भोजन कर सकता है।

आवारा पशुओं की 25 साल से सेवा कर रहा दंपती।
पशुओं की सुरक्षा और देखरेख के प्रति उनकी प्रतिबद्धता इतनी गहरी है कि उन्होंने घर के अंदर से निगरानी के लिए कैमरे भी लगाए हैं। दंपत्ति ने एक नियम बनाया है कि घर से बाहर जाते समय कम से कम एक सदस्य हमेशा घर पर मौजूद रहे, ताकि पशुओं की देखभाल में कोई कमी न हो। यह दंपत्ति पक्षियों को दाना डालने को भी अपनी दैनिक दिनचर्या का अहम हिस्सा मानते हैं।
यह कहानी दर्शाती है कि मानवीय करुणा और पशु-प्रेम के लिए न तो अपना घर होना जरूरी है और न ही बड़े संसाधनों की आवश्यकता है। केवल संकल्प और समर्पण से भी नि:स्वार्थ सेवा की जा सकती है।
परिंदे करते है इंतजार
संजय मिश्रा पिछले 25 साल से सिविल लाइन इलाके में एसपी बंगले के बगल एमटी शाखा की बिल्डिंग की छत पर पशु-पक्षियों के लिए दोनों टाइम दाना रखते हैं। इसके लिए उन्हें सुबह 4 बजे ही जगना पड़ता है। हाल ये है अब तो परिंदे को भी दोनों का इंतजार रहता है। सुबह होते ही परिंदों का झुंड एमटी शाखा की छत पर टूट पड़ता है।
पक्षियों से प्रेम की कहानी मिश्रा दंपती की सिविल लाइन क्षेत्र से ही शुरू हुई थी। माया बताती है कि करीब 25 साल पहले जब वे लोग मास्टर प्लान में रहते थे, तब एक दिन उन्हें घायल तोता पड़ा दिखा। संजय ने उस तोते को हाथ पर उठाया, तो वह सीधे कंधे पर बैठ गया। इसके बाद उस तोते को घर ले आए। कई साल तक तोता उनकी जिंदगी का हिस्सा रहा। उस तोते की फोटो आज भी उनके घर की दीवार पर टंगी है। जिसे देखकर माया भावुक हो जाती है।
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