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बेटी की पढ़ाई में न हो दिक्कत, माता-पिता रहते थे चिंता में, लेकिन बेटी ने कर दिया ऐसा, बदल गया सब कुछ!

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Success Story: कहते हैं कोशिश करने वालों की हार नहीं होती, ऐसा ही कुछ हुआ है वैशाली जिले में , दरअसल यहां की बेटी ने कुछ ऐसा किया कि चारों ओर गांव में उसकी चर्चा है, चलिए जानते हैं इसके बारे में

बेटी हो तो ऐसी, माता-पिता की चिंता कर दिया दूर, वैशाली में चारों ओर चर्चा!

रूपम बनीं प्रखंड कृषि पदाधिकारी

हाइलाइट्स

  • रूपम कुमारी बनीं प्रखंड कृषि अधिकारी.
  • रूपम की सफलता में माता-पिता का अहम योगदान.
  • दादाजी का सपना पूरा किया रूपम ने.

वैशाली:- कहते हैं अगर किसी काम को लगन से किया जाए तो, एक न एक दिन सफलता आपके कदमों में होती है, ऐसी ही कुछ कहानी है, वैशाली जिले के दाऊदनगर पंचायत के दाउदनगर गांव की रहने वाली रूपम कुमारी की, जो पढ़ लिखकर प्रखंड कृषि अधिकारी बनी हैं. आपको बता दें, कि रूपम के पिता गांव में ही रहकर लोगों का इलाज करते हैं. रूपम के दादाजी भी होम्योपैथिक अच्छे डॉक्टर थे, लेकिन उनके गुजर जाने के बाद उनके काम को उनके पुत्र यानी रुपम के पिताजी ने संभाला, लेकिन उनके बनाए रास्ते पर चलना उनके लिए कठिन सा होता जा रहा था, लेकिन किसी प्रकार से रूपम की पढ़ाई में आंच ना आए, इसको लेकर उनके पिता के साथ उनके परिवार के लोग हर वक्त चिंतित रहते थे.

रूपम की सफलता के पीछे माता-पिता का रहा योगदान
आपको बता दें, कि रूपम की शुरुआती शिक्षा गांव के स्कूल में हुई, जबकि 10वीं व इंटर की पढ़ाई राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय भगवानपुर रत्ती वैशाली में हुई. इसके बाद रूपम ने स्नातक की पढ़ाई साइन नाथ विश्वविद्यालय रांची से की तथा आगे की पढ़ाई हेमवती नंदन बहुगुणा केंद्रीय विश्वविद्यालय श्रीनगर उत्तराखंड से की. रूपम की सफलता के पीछे उनके पिता और माता का अहम योगदान रहा है. रूपम के दादाजी का सपना था कि हमारे घर में कोई अधिकारी बने, और उनके सपने को पोती ने पूरा किया है

दादा जी का था सपना घर में कोई अधिकारी हो
रूपम बताती हैं, कि हम घर पर ही रहकर सेल्फ स्टडी के जरिए अपनी पढ़ाई पूरी की. आज जो भी मेरा रिजल्ट आया है, इसके पीछे मेरे माता-पिता का अहम योगदान है. हम किसानों के हित में एक से बढ़कर एक फैसला लेंगे, और उनके कामों को पूरा करेंगे. हमें हार्ड वर्क करना बहुत ही पसंद है. इसीलिए हमने कृषि क्षेत्र को चुना है. हमारे घर में सभी लोग इसी क्षेत्र से जुड़े हुए हैं. हमारे दादाजी का सपना था, कि मेरे घर में कोई अधिकारी हो पढ़ाई के दौरान दादाजी और पिताजी का भरपूर सहयोग मिला, जब हम छोटे थे, तो दादाजी बैठ कर हमें पढ़ाते थे.

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