Various organization propagator class of Rashtriya Swayamsevak Sangh | राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का विविध संगठन प्रचारक वर्ग: युवा शक्ति पर RSS की नजर, यूपी चुनाव पर भी चर्चा; घर-घर पहुंचने की जिम्मेदारी – Gwalior News

प्रचारक वर्ग में राजनीतिक, सामाजिक व धार्मिक सभी मुद्दों पर हो रही है चर्चा।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विविध संगठन प्रचारक वर्ग के चौथे दिन युवा शक्ति, यूपी चुनाव और घर-घर तक पहुंचने के लिए हर घर दस्तक अभियान पर चर्चा हुई। आरएसएस ने प्रचारकों को युवाओं पर ध्यान केंद्रित करने की जिम्मेदारी सौंपी है। उत्तर प्रदेश में विधानसभा
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मई 2024 में हुए लोकसभा चुनाव में यूपी में भाजपा को विपक्षी गठबंधन से कड़ी टक्कर मिली थी। अब यहां अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। इसलिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने सामाजिक पहलुओं के साथ राजनीतिक पहलुओं पर खुलकर चर्चा की। प्रचारक वर्ग में आरएसएस प्रमुख सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने रविवार को सभी प्रचारकों के विचार भी जाने।
ग्वालियर के केदारपुर धाम में 31 अक्टूबर (दीपावली) से 4 नवंबर तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का विविध संगठन प्रचारक प्रशिक्षण वर्ग चल रहा है। इसमें आरएसएस के 31 संगठनों के 554 प्रचारक शामिल हुए हैं। इस प्रशिक्षण वर्ग में सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत, संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले सहित संघ के सभी सहसरकार्यवाह और अन्य प्रमुख पदाधिकारी शामिल हुए हैं।
चार दिवसीय प्रचारक वर्ग में वे ही कार्यकर्ता भाग ले रहे हैं, जो सामाजिक जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में सक्रिय रहते हैं। यह एक तरह का प्रशिक्षण वर्ग माना जा रहा है, जिसमें समाज के विभिन्न क्षेत्र और वर्ग के बीच संघ कार्यों की समीक्षा और आगामी वर्षों के कार्यक्रमों की रूपरेखा पर चर्चा होगी।
एक दिन पहले आरएसएस प्रमुख, वीरांगना लक्ष्मीबाई की समाधि पर भी गए थे।
युवाओं के साथ काम करने के लिए दिया मंत्र आरएसएस सूत्रों से पता लगा है कि रविवार को प्रचारक वर्ग के सत्र की शुरुआत भारत माता की पूजा के साथ हुई। इसके बाद सभी प्रचारकों से युवाओं को ज्यादा से ज्यादा जोड़ना, उत्तर प्रदेश में आगामी समय में राजनीतिक व सामाजिक माहौल पर विचार मांगे गए। इसके बाद प्रचारक वर्ग में कई विचार आए।
आखिर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने सभी प्रचारकों को युवा शक्ति को ज्यादा से ज्यादा अपने विचारों से परिचित कराने और उनसे संपर्क करने की जिम्मेदारी सौंपी। संघ ने 2012 में जॉइन आरएसएस (वेबसाइट माध्यम) के तहत एक ऑनलाइन माध्यम प्रारंभ किया था। इसके अंतर्गत ऑनलाइन माध्यम से प्रतिवर्ष एक से सवा लाख युवा संघ के साथ विविध गतिविधियों में जुड़ रहे हैं। इस वर्ष भी जून के अंत तक 66529 लोगों ने संपर्क कर संघ से जुड़ने की इच्छा जताई थी।

संघ से जुड़े अस्पताल आरोग्यधाम में भी जाकर अवलोकन कर चुके हैं भागवत।
हिंदू समाज में सामाजिक समरसता लाने का टारगेट दिया राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक वर्ग में कई मुद्दों पर मंथन हो रहा है, लेकिन सबसे बड़ा मुद्दा हिंदू समाज में सामाजिक समरसता है। आरएसएस सूत्रों के अनुसार शुक्रवार को प्रचारक वर्ग में सर संघचालक डॉ. मोहन भागवत और सर कार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले की मौजूदगी में कार्यकारी मंडल के पदाधिकारियों ने संगठन के सभी 11 क्षेत्र तथा 46 प्रांत प्रचारकों को संघ के एजेंडे, जिसमें पंच परिवर्तनों के द्वारा हिंदू समाज में सामाजिक समरसता लाने के प्रयास के लिए इस संदेश को निचले स्तर तक ले जाने की जिम्मेदारी सौंपी। साथ ही सभी पदाधिकारियों से संघ का संदेश घर-घर पहुंचाने का आह्वान किया।
सारे इंतजाम संघ के कार्यकर्ता कर रहे ग्वालियर में आरएसएस के विविध संगठन प्रचारक प्रशिक्षण वर्ग चार दिन तक चलेगा। यहां सभी व्यवस्थाएं संघ के कार्यकर्ता संभाल रहे हैं। यहां अंदर की सुरक्षा से लेकर मंच तक का प्रबंधन आरएसएस के कार्यकर्ता ही करेंगे। आने वाले अतिथियों के लिए भोजन से लेकर स्वागत का इंतजाम भी संघ के सदस्यों के जिम्मे रहेगा। सभी को मीडिया से दूर रहने और अंदर की बात बाहर नहीं जाने की सख्त हिदायत दी गई है।
आरएसएस में प्रचारक ही होता है उद्देश्य काे पूरा करने की चाबी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में प्रचारक संघ का प्रशासन होता है। कोई भी उद्देश्य व विचार के आम सदस्य, कार्यकर्ता व आम लोगों तक पहुंचाने की जिम्मेदारी प्रचारक की होती है। यह प्रचारक बनना आम बात नहीं है। इसकी शर्तें ही अपने आप में इसे चुनौतीपूर्ण बनाती हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में प्रचारक वही बन सकता है, जो अविवाहित हो। प्रचारक में से ही कोई बाहर निकलकर भाजपा का क्षेत्रीय संगठक व अन्य विभिन्न पदों पर जाते हैं।
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