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इंदौर शहर
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
वर्ष 2008 में बनी इंदौर विकास योजना (मास्टर प्लान) तीन साल पहले समाप्त हो चुकी है। अब तक नया मास्टर प्लान नहीं बना, लेकिन बेतरतीब विकास रोकने के लिए नगर तथा ग्राम निवेश ने 79 गांवों को निवेश क्षेत्र में शामिल करने की अधिसूचना जारी कर दी, लेकिन वहां के लैंडयूज तय नहीं है।
अब उन 79 गांवों का विकास ठप है। वहां न तो काॅलोनियां विकसित हो रही है और न ही किसान अपनी जमीन बेच पा रहे है। यह मुद्दा ग्रामीण नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के सामने भी उठा चुके है। अब विभाग जांच के बाद कुछ प्रोजेक्टों को हरी झंडी देने की तैयारी कर रहा है।
89 गांवों में यशवंत सागर के आसपास के गांव भी शामिल है। तालाब के आसपास का क्षेत्र नए मास्टर प्लान में ग्रीन बेल्ट में आ सकता है। इसके अलावा अन्य गांवों में भी बड़े तालाब है।
अभी लैंडयूज भी तय होना बाकी है। इस कारण विभाग भी अनुमतियां देने में पसोपेश में है। पहले पंचायत स्तर पर जो अनुमतियां दी गई थी। उस पर भी विभाग ने रोक लगा थी।
सांसद शंकर लालवानी का कहना है कि पहले मास्टर प्लान वर्ष 2035 के हिसाब से तैयार हो रहा था, लेकिन अब वर्ष 2041के हिसाब से बनेगा। जल्दी ही इंदौर का मास्टर प्लान आ जाएगा। जिन गांवों में परेशानी आ रही है। उसका भी रास्ता निकाला जाएगा।
यह प्रमुख गांव शामिल है निवेश क्षेत्र में
89 गांवों को जोड़ने के बाद इंदौर के निवेश क्षेत्र का दायरा 88 हजार हेक्टेयर हो जाएगा। पहले 50 हजार हेक्टेयर था। निवेश क्षेत्र में पंचायत के बजाए नगर तथा ग्राम निवेश निर्माण की मंजूरी देता है और लैंडयूज के हिसाब से अनुमति मिलती है। इंदौर के निवेश क्षेत्र में खजुरिया, कांकरिया, टोड़ी, श्रीराम तलावली, रंगवासा, पिगडंबर,राऊ, माचल, असरावद खुर्द, उमरीखेड़ा, तिल्लौर खुर्द, मुंडला दोस्तदार, सोनवाय सहित अन्य गांव शामिल है। कई गांवों में बड़ी बड़ी काॅलोनियां विकसित हो चुकी है।
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