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इंदौर में कल हुई मेयर इन काउंसिल की बैठक में रेसीडेंसी कोठी का नाम बदलकर शिवाजी कोठी (शिवाजी वाटिका) करने का प्रस्ताव पास हुआ है।
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शुक्रवार को हुई बैठक में नामकरण प्रस्तावों पर चर्चा में सबसे महत्वपूर्ण प्रस्ताव रेसीडेंसी कोठी का ही था। इसे लेकर कांग्रेस ने बीजेपी पर हमला बोला है।
कांग्रेस नेता राकेश सिंह यादव का कहना है की महाराष्ट्र में होने वाले चुनाव को देखते हुए यह किया गया है। वहां के वोट बैंक के लिए रेसीडेंसी का नाम बदलकर शिवाजी कोठी रखा गया है। यह देवी अहिल्या की उपेक्षा है।
बता दें कि अंग्रेज शासन काल में यह कोठी मालवा-निमाड में ब्रिटिश सत्ता का केंद्र थी। इसका निर्माण लगभग 204 वर्ष पहले किया गया था।
मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश महासचिव ने सोशल मीडिया नेटवर्क एक्स पर नामकरण के विरोध में पोस्ट करते हुए लिखा है की… “इंदौर में रेसीडेंसी कोठी का नामकरण देवी अहिल्या रेसीडेंसी कोठी रखना था। इंदौर विकसित करने में होलकर राजाओं का सर्वाधिक योगदान हैं। देवी अहिल्या बाई होलकर की उपेक्षा की गई है। महाराष्ट्र चुनाव में वोट बैंक के लिए शिवाजी के नाम पर नामकरण किया गया है।” वहीं इस पूरे मामले की लेकर इंदौर शहर कांग्रेस का कहना है की हम अभी नामकरण मामले को समझ रहे हैं। कांग्रेस आलाकमान से बात कर आगे क्या करना है इस बात कि निर्णय लेंगे। बता दें की कल बैठक में परिषद द्वारा रेसीडेंसी कोठी के अलावा अन्य चौराहों और बगीचों के नामकरण को भी स्वीकृति दी गई है। फूटी कोठी ब्रिज का नाम सेवालाल महाराज ब्रिज और भंवरकुआं चौराहा टंट्या भील चौराहा रहेगा।

कांग्रेस नेता राकेश सिंह यादव की एक्स पर पोस्ट।
गफ्फूर खां की बजरिया का नाम बदलने की भी हो चुकी है मांग
पिछले दिनों बीजेपी नेता वरुण पाल ने महापौर पुष्यमित्र भार्गव को पत्र लिखकर गफूर खां की बजरिया का नाम परिवर्तित कर वीरांगना तुलसाबाई होलकर के नाम पर करने की मांग की थी। हालांकि बीजेपी नेता के इस पत्र पर अभी तक कोई विचार नहीं हो पाया है। वरूण पाल ने जब नाम बदलने के लिए पत्र लिखा था तब उन्होंने कहा था की उक्त इलाके का नाम ब्रिटिश शासन के लिए होलकर शासकों से गद्दारी करने वाले अफगानी गफूर खां के नाम पर उहै। इसलिए इस नाम को बदलकर वीरांगना तुलसाबाई होलकर के नाम पर किया जाए।
1857 की क्रांति के समय तोप से उड़ाया रेसीडेंसी कोठी का गेट
- 1820 में रेसीडेंसी कोठी का निर्माण शुरू हुआ था। सेंट्रल इंडिया एजेंसी के मुख्यालय के तौर पर यहां से इंदौर तथा आसपास की रियासतों पर नियंत्रण किया जाने लगा।
- 1857 की क्रांति के समय 1 जुलाई को सहादत खान व उनके साथियों ने रेसीडेंसी कोठी के मुख्य द्वार को तोपों से उड़ा दिया। जिसका बाद में पुर्ननिर्माण भी हुआ।
- रेसीडेंसी इलाके से ही अंग्रेजों ने इंदौर में शिक्षा एवं चिकित्सा की प्रारंभिक बुनियाद रखी। इसमें इंदौर रेसीडेंसी स्कूल शामिल था।
- इंदौर की पहली टेलीग्राफ, पोस्टल सर्विसेज भी इसी इलाके से शुरू की गई थी।
- रेसीडेंसी बाजार यानी छावनी बाजार को अंग्रेजों ने कर मुक्त कर रखा था।
- इससे नाराज होकर महाराजा शिवाजी राव होलकर ने रेसीडेंसी बाजार से ज्यादा सस्ती दरों पर सेवागंज यानी आज के सियागंज में सामान मुहैया कराया।
- अंग्रेजों ने इसी एरिया में पर्शियन विभाग भी शुरू किया।
- होलकर रियासत में रेसीडेंसी एरिया लिमिट तथा होलकर स्टेट लिमिट होती थी। दोनों इलाकों के टैक्स, वेट, मेजरमेंट तथा तमाम चीजें अलग-अलग थी।
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