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उज्जैन स्थित महाकालेश्वर मंदिर की प्राचीन और नवीन संरचनाओं की मजबूती की जांच के लिए केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआई), रुड़की की टीम मंगलवार को पहुंची। यह टीम मंदिर के शिखर, दीवारों और पत्थरों की स्थिति का निरीक्षण कर रही है। सबसे पहले टीम ने
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टीम के सदस्य मंदिर में किए गए नए निर्माण को भी देखेंगे, हालांकि टीम के सदस्यों ने मीडिया से बात करने से इनकार कर दिया।

टीम में 1 वरिष्ठ वैज्ञानिक और सहायक शामिल
मंदिर समिति के सहायक प्रशासक प्रतीक द्विवेदी ने बताया कि समिति द्वारा मंदिर के स्ट्रक्चर की मजबूती की जांच के लिए सीबीआरआई की टीम को निरीक्षण के लिए पत्र लिखा गया था। इसके बाद रुड़की से दो सदस्यीय टीम मंगलवार को महाकाल मंदिर पहुंची है।
इस दल में वरिष्ठ वैज्ञानिक आर शिवा चिदंबरम और एक अन्य सहायक शामिल हैं। यह टीम मंदिर की नवीन और प्राचीन संरचना का गहन निरीक्षण कर रही है, जिसमें शिखर पर स्थित पत्थरों की जांच, उनकी घनत्व, सामग्री और नींव की गहराई से लेकर नए निर्माण के प्रभाव तक के विभिन्न पहलुओं की जांच शामिल है।
दल ने सबसे पहले मंदिर के शिखर का निरीक्षण किया और पत्थरों के कुछ नमूने एकत्रित किए। टीम यह भी देख रही है कि नए निर्माण में किस प्रकार की सामग्री और पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है और यह पुराने स्ट्रक्चर पर कैसा प्रभाव डाल सकता है। रुड़की टीम के साथ नोडल अधिकारी प्रतीक द्विवेदी सहायक, सत्येंद्र सिंह ठाकुर, शिवकुमार सक्सेना, प्रदीप भाटी साथ थे। टीम के अधिकारियों ने फिलहाल निरीक्षण को लेकर कोई जानकारी मीडिया से साझा नही की हैं।
गौरतलब है कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर भी सीबीआरआई की टीम ने मंदिर का निरीक्षण किया था, जब ज्योतिर्लिंग क्षरण का मुद्दा सामने आया था। इस बार मंदिर समिति की पहल पर प्राचीन और नए निर्माण की स्थिति की जांच के लिए सीबीआरआई की विशेषज्ञ टीम को आमंत्रित किया गया है।
इन बिंदुओं पर हो सकती है जांच
- मंदिर की दीवारों और शिखर पर लगा पत्थर कौन सा है, इनका घनत्व कितना है।
- मंदिर में किए गए नए निर्माण कार्यों में कौन सी सामग्री व कौन से पत्थरों का उपयोग किया है।
- मंदिर की नींव कितनी गहरी है। मंदिर के ऊपरी हिस्से में स्ट्रक्चर की स्थिति कैसी है।
- मंदिर में नए निर्माण के कारण मंदिर के पुराने स्ट्रक्चर पर क्या प्रभाव पड़ सकता है।
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