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Private school operators gave ultimatum to Chanchauda SDM | निजी स्कूल संचालकों ने चांचौड़ा SDM को दिया अल्टीमेटम: तीन वर्ष की फीस प्रतिपूर्ति जल्द करें; नहीं तो छात्रों को नहीं पढ़ाएंगे – Guna News

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अल्टीमेटम देने SDM ऑफिस पहुंचे निजी स्कूल संचालक।

पिछले तीन सत्रों से प्राइवेट स्कूलों में RTE के तहत पढ़ने वाले छात्रों की फीस प्रतिपूर्ति न करने के खिलाफ प्राइवेट स्कूल संचालक लामबंद हो गए हैं। चांचौड़ा इलाके के निजी स्कूल संचालकों ने शुक्रवार को SDM को ज्ञापन सौंपकर फीस प्रतिपूर्ति की मांग की। जल

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बता दें कि शासन द्वारा निजी विद्यालयों में निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा अधिनियम के तहत विद्यालय की 25% सीटों पर कमजोर एवं वंचित वर्ग के छात्रों को प्रवेश दिलवाया जाता है। उनकी फीस प्रतिपूर्ति शासन द्वारा की जाती है। विगत 3 वर्षों से शासन द्वारा इन बच्चों की फीस प्रतिपूर्ति नहीं की गई है, जिससे निजी विद्यालय आर्थिक रूप से कमजोर होकर विद्यालय संचालन की स्थिति में नहीं है। अशासकीय विद्यालय के प्राचार्यो ने बताया कि शासन द्वारा अशासकीय विद्यालयों को प्रति 3 वर्ष में मान्यता का नवीनीकरण किया जाता है एवं मान्यता प्राप्त विद्यालयों में ही इन छात्रों को शासन द्वारा प्रवेश दिया जाता है l। मान्यता प्राप्त विद्यालयों में मान्यता के सभी नियमों का पालन करने के पश्चात ही मान्यता बीआरसी और जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा प्रदान की जाती है।

उन्होंने बताया कि समय-समय पर शासन के समस्त नियमों का पालन करते हुए विद्यालय संचालक अपने विद्यालयों का संचालन करते हैं, परंतु जब इन छात्रों की प्रतिपूर्ति की राशि देने का समय आता है तो प्रशासन नए-नए नियम और कायदे अपने हिसाब से बनाते हैं। संचालकों को प्रताड़ित करते हैं। तीन-तीन साल तक शासन द्वारा फीस प्रतिपूर्ति न किया जाना और 25 प्रतिशत छात्रों की फीस न मिलने से स्कूल प्रबंधन आर्थिक रूप से कमजोर हो जाता है और स्कूल संचालन में बहुत परेशानी आती है।

प्राइवेट स्कूल संचालकों ने SDM को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में बताया गया कि सभी संचालकों का शासन से यह निवेदन है कि जब आप इन छात्रों का विद्यालय में प्रवेश कराएं, तो केवल उन्हीं विद्यालयों में प्रवेश कराएं जिनकी फीस प्रतिपूर्ति आप समय पर कर सकें, अन्यथा इनका प्रवेश निजी विद्यालयों में न कराया जाए। छात्रों को 3 वर्ष तक अध्यापन करवाने के पश्चात समय पर फीस प्रतिपूर्ति न किया जाना शासन की निजी विद्यालयों के प्रति गलत मानसिकता का घोतक है। भविष्य में इस प्रकार की स्थिति में संचालक इन छात्रों को प्रवेश देने में असमर्थ रहेंगे और पूर्व से प्रवेशित छात्रों को पढ़ाने में भी असमर्थ रहेंगे।

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