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प्रदेश सरकार मद्य निषेध सप्ताह यानी शराब के विरोध में अभियान चला रही है। दूसरी और कंपोजिट शराब दुकानों के नाम पर पहले एक जगह दो लाइसेंस की देशी और विदेशी शराब अलग-अलग बिकती थी। अब एक ही दुकान पर दोनों तरह की शराब बिक रही है वह भी अलग-अलग। इतना ही नही
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बावजूद धड़ल्ले से शराब न केवल बिक रही है बल्कि पिलाई भी जा रही है। शहर के रिंग रोड, बायपास पर अधिकांश ढाबों में यह काम खुलेआम हो रहा है। इसका परिणाम है कि अप्रैल 2024 से 30 सितंबर तक कुल छह महीने में शराब की बिक्री बड़े स्तर पर बढ़ी है। साल 2023-24 की तुलना में 2024-25 की पहली छह माही में देशी शराब की बिक्री 69 प्रतिशत, विदेशी शराब की बिक्री 60.61 प्रतिशत तो बियर की बिक्री प्रति बल्क लीटर 53.92 प्रतिशत बढ़ी है।
आबकारी विभाग द्वारा विधानसभा में पूर्व मंत्री और वर्तमान पीसीसी अध्यक्ष जीतू पटवारी के एक प्रश्न के उत्तर में जो रिकॉर्ड दिए गए थे, उसके मुताबिक शासन को अधिक राजस्व शराब दुकानों की नीलामी में हासिल हुआ तो सालभर में साल 2022-23 में इंदौर में ही 140 अरब से अधिक की शराब की खपत दर्ज की गई। इंदौर की बात की जाए तो साल 2021 और 2022 में जहां 107 अरब की शराब की बिक्री हुई थी तो वहीं 2022 और 23 में इस आंकड़े में काफी उछाल आया है। इस साल यह आंकड़ा बढ़कर 175 अरब पार कर सकता है।
अब खुले में ही कर रहे शराबखोरी– शराब दुकानों के आसपास खुले में शराबखोरी करने का चलन शहर में तेजी से बढ़ गया है। पुलिस और आबकारी विभाग की कोई सख्ती न होने से नशाखोर और नशा करने वाले शहर की साख खराब कर रहे हैं। जिसे जहां मन चाहा, वहां नशा कर रहा है। प्रमुख चौराहों, कालोनियों, स्कूल-कॉलेज और बस स्टॉपों के पास स्थित शराब दुकानों के बाहर नशेड़ी बेखौफ सड़कों पर ग्लास लेकर शराबखोरी कर रहे हैं।
ढाबों-रेस्टोरेंट में खुलेआम नशा
यही नहीं बायपास और रिंग रोड से लगे ढाबे, रेस्टोरेंट, होटलों में अवैध रूप से अतिरिक्त पैसे लेकर नशा करवाया जा रहा है। ढाबों से गोपनीय ढंग से बीयर व शराब बिना लाइसेंस के बेची जा रही है, लेकिन आबकारी व पुलिस विभाग के अफसर बेखबर हैं।
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