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Tourists arrived to see the tiger in Satpura Tiger Reserve | सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में टाइगर का दीदार करने पहुंचे सैलानी: पहले दिन तिलक, माला पहनाकर टूरिस्ट का स्वागत, फिर जंगल-सफारी को निकले – narmadapuram (hoshangabad) News

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सतपुड़ा टाइगर रिजर्व समेत प्रदेश के सभी 6 टाइगर रिजर्व आज 1 अक्टूबर मंगलवार से खुल गए। सुबह 6 बजे मढ़ई, चूरना रेंज के कोर क्षेत्र के गेट पर्यटकों के लिए खोल दिए गए। देश-विदेश से आने वाले सैलानी 15 जून तक टाइगर, अन्य वन्यप्राणी और प्रकृति का दीदार कर स

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पहले दिन पर्यटकों का तिलक लगाकर स्वागत किया गया। एसटीआर की डिप्टी डायरेक्टर पूजा नागले, एसडीओ अंकित जामोद ने तिलक लगाया। इसके बाद हरी झंडी दिखाकर टूरिस्ट जिप्सी को जंगल सफारी के लिए रवाना किया।

एसडीओ जामोद ने बताया लगदा, झुनझुनी महल, चूरना एवं केरिया राउंड के लिए जिप्सियां रवाना की गई है। चुटकी देव के लिए पर्यटकों को कुछ दिन इंतजार करना होगा। बारिश के बाद खराब हुई सड़कों की एसटीआर मरम्मत कर रहा है।

अधिकारियों के मुताबिक 1 अक्टूबर को सुबह एवं दोपहर की शिफ्ट में सभी 19 जिप्सियों की ऑनलाइन बुकिंग फुल है। पर्यटक जिप्सी की सफारी के अलावा वोटिंग, साइक्लिंग, पैदल ट्रैकिंग एवं नाइट पेट्रोलिंग का लुफ्त भी उठा सकते हैं।

बता दें सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के कोर क्षेत्र में 1 जुलाई से 30 सितंबर तक पर्यटकों के लिए गेट बंद रहते हैं। बफर जोन में सफारी चालू रहती है। लेकिन बफर जोन में ज्यादा वन्यप्राणी नहीं होने से सैलानियों को उनके दीदार नहीं हो पाते है।

बारिश से कच्चे रास्ते खराब, शुरुआती दस दिन 25km ही सफारी

सितंबर तक बारिश की मार के कारण सतपुड़ा टाइगर रिजर्व पार्क के कोर एरिया, घने जंगल की कच्चे रास्ते खराब हो गए हैं। मंगलवार से सैलानियों के लिए पार्क खोल तो दिया गया, लेकिन उन्हें शुरुआती दस दिन तक महज 25 किलोमीटर की सफारी कराई जाएगी। सड़कों के ठीक होने के बाद लंबी दूरी की सफारी शुरू की जाएगी।

एसटीआर में 65 से ज्यादा टाइगर

एसटीआर में बाघों की संख्या 65से ज्यादा है। पिछले साल जारी हुए आंकड़ों के अनुसार टाइगर 62है। संभवत: यह संख्या बढ़ गई है।

बाघ, तेंदुआ, बारहसिंगा, बायसन सहित कई वन्यप्राणी

सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में बाघ, तेंदुआ, सांभर, चीतल, भेडकी, नीलगाय, चौसिंगा, चिंकारा, गौर, जंगली सूअर, जंगली कुत्ता, भालू, काला हिरण, लोमड़ी, साही, उड़न गिलहरी, मूषक मृग, बायसन और भारतीय विशाल गिलहरी आदि पाए जाते हैं। यहां पक्षियों की भी अनेक प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें धनेश और मोर प्रमुख हैं।

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