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Lokayukta busy investigating corruption in Jawar Panchayat | जावर पंचायत करप्शन की जांच में जुटी लोकायुक्त: फर्जी जॉबकार्ड में दो पुरूष को पति-पत्नी बताया, ऐसे 500 केस; कलेक्टर ने एक्शन नहीं लिया – Khandwa News

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जावर पंचायत ने बिना सेप्टी टैंक के शौचालय बना दिया।

खंडवा जनपद की जावर पंचायत में हुए भ्रष्टाचार के मामले में अब लोकायुक्त भोपाल जांच कर रही हैं। दो महीने पहले ही लोकायुक्त ने एक शिकायत पर केस रजिस्टर्ड किया था। प्रकरण में पूर्व सरपंच समेत तत्कालीन सचिव व रोजगार सहायक के खिलाफ भ्रष्टाचार के संगीन आरोप

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गांव में जितने परिवार नहीं है, उससे ज्यादा फर्जी जॉबकार्ड बनाएं और 100 दिन की मजदूरी चढ़ाकर राशि निकाली गई। इस बात का खुलासा हुआ और शिकायतें हुई तो रोजगार सहायक ने तत्काल 500 जॉबकार्ड डिलीट कर दिए। यह एक तरह से पोर्टल पर एक ही नाम से दूसरा गांव बसा दिया गया। जिससे कि जॉबकार्ड की संख्या बढ़ा दी गई।

शिकायतकर्ता जावर के रहने वाले दिनेश लाड़ हैं। वे बताते है कि, 2021 से वह लगातार जनसुनवाई व सीएम हेल्पलाइन पर शिकायत कर रहे हैं। कलेक्टर, जिला व जनपद पंचायत सीईओ से मिलकर भी शिकायत की। उन्हें भ्रष्टाचार से जुड़ा एक-एक प्रमाण दिया। लेकिन 3 साल में किसी तरह कोई कार्रवाई नहीं हुई। कलेक्टर से भरोसा उठ गया। तब जाकर मैं भोपाल पहुंचा और लोकायुक्त में शिकायत की। लोकायुक्त ने 31 जुलाई 2024 को केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी।

जावर पंचायत ने मनरेगा ही नहीं बल्कि स्वच्छ भारत मिशन व पंच परमेश्वर योजना में भी आर्थिक धांधली की है। दर्द यह है कि, करोड़ों रूपए सरकारी धन का गबन करने वाले आज भी सीना तानकर घूम रहे हैं।

पढ़िए, भ्रष्टाचार के ऐसे 3 उदाहरण, जिसे लोकायुक्त ने आधार माना और केस रजिस्टर्ड कर लिया

केस 1. बिना सेफ्टी टैंक के शौचालय बनाया, एक ईंट 465 रू. की लगाई

ग्राम पंचायत ने बस स्टैंड (हाईस्कूल) पर सार्वजनिक शौचालय का निर्माण बताया। जबकि वहां कोई शौचालय नहीं है। मुख्य बाजार में एक शौचालय बना है, जिसमें कि शौचालय का सेप्टी टैंक तक नहीं बनाया गया। सबसे बड़ी बात है कि इस शौचालय निर्माण में एक हजार ईंट की कीमत 46 हजार 500 रूपए बताई गई। यानी एक ईंट 465 रूपए में खरीदी गई। जबकि एक ईंट की कीमत 5 रूपए हैं।

मैंने शिकायत की तो जांच टीम के एक अधिकारी ने कहा कि ऐसा तो हो ही नहीं सकता। जब मैंने कहा कि आप मौके पर चलिए और शौचालय को तुड़वाइए। सेफ्टी टैंक हुआ तो तुड़ाई का हर्जाना मैं भर दूंगा। घबराया अफसर जांच करने तक नहीं आया।

सार्वजनिक शौचालय निर्माण में एक हजार ईंट खरीदी गई, जिसका भुगतान 46 हजार रुपए किया गया।

सार्वजनिक शौचालय निर्माण में एक हजार ईंट खरीदी गई, जिसका भुगतान 46 हजार रुपए किया गया।

केस 2. फर्जी सामूहिक विवाह सम्मेलन- 3 लाख की ज्वैलरी बंटवा दी

जावर गांव के इतिहास में आज तक कभी सामूहिक विवाह सम्मेलन नहीं हुआ। लेकिन ग्राम पंचायत ने 92 जोड़ों का सामूहिक विवाह सम्मेलन बताकर बिल लगाएं और राशि निकाली। सबसे बड़ी बात यह है कि खंडवा के सराफा बाजार स्थित श्री महालक्ष्मी ज्वैलर्स से 3 लाख 33 हजार रूपए सोना-चांदी खरीदना बताया। जो कि विवाह सम्मेलन में दुल्हनों को बांटा हैं।

केस 3. फर्जी परिवार से जॉबकार्ड बनाएं, बैंक खाता तीसरे का

लोकायुक्त से की गई शिकायत में बताया कि बड़ा घोटाला मनरेगा में हुआ हैं। फर्जी परिवार और जॉबकार्ड बनाकर करोड़ों रूपए का हेरफेर किया गया हैं। जैसे कि भीमसिंह पिता मोतेसिंह को मजदूर बताकर भुगतान कपिल नाम के व्यक्ति के खाते में किया गया। वहीं सुदर्शन पिता शोभागसिंह को भी मजदूर बताया लेकिन उसे मजदूरी नहीं मिली। सीएम हेल्पलाइन की एक शिकायत के जवाब में कहा कि पेमेंट उसके बड़े भाई अनिल के खाते में किया है। जबकि अनिल का बैंक खाता हीं नहीं है।

इससे अलग हैरानी की बात यह है कि कैलाश पाल और जसवंत भील को एक परिवार बताकर फर्जी जाॅबकाॅर्ड बनाया। मजदूरी का भुगतान तीसरे व्यक्ति को कर दिया। इसी तरह दो पुरूष के नाम से जॉबकार्ड बनाया, जिसमें दोनों को पति-पत्नी बता दिया। प्रदीप नाम के व्यक्ति को पति व उम्र में उससे छोटे मधुरकर नाम के व्यक्ति को उसकी पत्नी बना दिया। जबकि प्रदीप टेंट कारोबारी है और मधुरकर पेट्रोल पंप पर काम करता हैं। पंचायत द्वारा मनरेगा में 950 जाबकॉर्ड चलाएं जा रहे थे। शिकायत के बाद अचानक 500 डिलीट कर दिए, मात्र 450 बच गए।

सरपंच दें चुकी छेड़छाड़ का आवेदन, जांच में खारिज

शिकायतकर्ता का कहना है कि, पंचायत के भ्रष्टाचार को लेकर शिकायतें होने लगी और एक-दो बार जांच टीम जावर पहुंची तो सरपंच-सचिव घबरा गए। उन्होंने मुझ पर दबाव बनाया। लेकिन इन लोगों ने मुझे चैलेंज करके रखा था इसलिए मैं पीछे नहीं हटा। फिर इन लोगों ने साजिश रची, महिला सरपंच से एट्रोसिटी एक्ट में पुलिस से शिकायत कराई कि मैंने उसके साथ छेड़छाड़ की है। हमने पुलिस को इनका काला चिट्ठा देकर झूठी शिकायत को खारिज कराया।

बेनामी संपत्ति के मालिक है सचिव-रोजगार सहायक

दिनेश लाड़ के मुताबिक, भ्रष्टाचार का मुख्य किरदार रोजगार सहायक मुकेश तंवर हैं। तत्कालीन सचिव रहे शंकर फूलमाली व देवराज सिसौदिया की भी हिस्सेदारी है। शंकर तो फिलहाल सिहाड़ा करप्शन कांड में निलंबित चल रहा है। लेकिन देवराज और मुकेश पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। दोनों के पास भ्रष्टाचार से कमाई बेनामी संपत्ति हैं। संविदाकर्मी मुकेश तंवर अभी भी जावर पंचायत में सेवारत हैं। उसके पास फोर व्हीलर हैं। सूत्रों के मुताबिक, इंदौर में करोड़ों की प्रॉपर्टी भी खरीदी हैं।

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