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Mp News: Audit Department Employee Used To Threaten Officers, Now Putting Pressure To Revoke Suspension – Amar Ujala Hindi News Live

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MP News: Audit department employee used to threaten officers, now putting pressure to revoke suspension

सतपुड़ा भवन में स्थानीय निधि संपरीक्षा का कार्यालय स्थित है
– फोटो : अमर उजाला

विस्तार


इंदौर नगर निगम में पिछले दिनों उजागर हुए ड्रेनेज व अन्य घोटालों में शामिल लोगों के विरुद्ध पुलिस तथा ED की कार्यवाही पर प्रश्न चिन्ह लगने वाले  क्षेत्रीय कार्यालय स्थानीय निधि संपरीक्षा कार्यालय इंदौर में पदस्थ सहायक ग्रेड-3 कर्मचारी रमेश पाल को उसके व्यवहार के बाद निलंबित कर रीवा अटैच किया गया है। उसे जारी आरोप पत्र में उस पर कई गंभीर आरोप लगाए गए हैं। उस पर इंदौर नगर निगम के करोड़ों रुपये के घोटाले के आरोपियों के पक्ष में हड़ताल करने का भी आरोप है। रमेश पाल पर ये आरोप स्थानीय निधि संपरीक्षा कार्यालय के प्रकोष्ठ-भोपाल से जारी एक आरोप पत्र में लगाए गए हैं। पाल स्थानीय निकायों के ऑडिट करने वाली इस संस्था के इंदौर कार्यालय में पदस्थ था। वरिष्ठ अधिकारियों ने उसके व्यवहार को लेकर उसे निलंबित कर रीवा अटैच कर दिया था। आरोप पत्र के मुताबिक ग्रेड तीन का यह कर्मचारी अधिकारियों को कुछ समझता ही नहीं था। विभाग के सूत्रों का कहना है कि रमेश पाल अब अधिकारियों पर राजनीतिक दबाव डलवा कर निलंबन निरस्त कर उसे बहाल करने का दबाव बना रहा है। 

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खुद का बना लिया था संगठन

पाल पर लगे आरोपों में कथित तौर पर इसके ऊपर फर्जी बिल घोटाले में फंसे डिप्टी डायरेक्टर ऑडिट समर सिंह परमार का हाथ था। समर सिंह इंदौर नगर निगम के करोड़ों रुपये के फर्जीवाड़े में फंसा है और जेल में है। उनके साथ मिलकर पाल ने एक कर्मचारी संगठन भी बनाया था। इसकी वजह से इसकी धमक रहती थी। शायद यही वजह थी कि वह किसी को अपने आगे कुछ समझता नहीं था। खेल कोटे से  में भर्ती हुए पाल की जाति को लेकर भी सवाल हैं, जिसकी जांच उपरांत दोषी पाए जाने पर उसे एक पद नीचे सहायक वर्ग तीन बना दिया गया है

पांच गंभीर आरोप लगे पाल पर

नौ सितंबर 2024 को रमेश पाल के खिलाफ एक आरोप पत्र जारी किया गया। इसमें उस पर पांच गंभीर आरोप लगाए गए हैं। पहले आरोप में यह कहा गया है कि वह कार्यालय की तरफ से जो डाक भेजा जाता था, वह जानबूझकर प्राप्त नहीं करता था। इसे विभाग ने घोर अनुशासनहीनता माना है। साथ ही मध्य प्रदेश सिविल सेवा अधिनियम 1965 के  नियम 3(1) (दो) और नियम 3 (क) (ग) के प्रतिकूल है। दूसरा आरोप है कि रमेश पाल ऑफिस के कार्यों में बाधा उत्पन्न करते थे। साथ ही कार्यालय के पत्रों का कोई जवाब नहीं देता था। रमेश पाल को इन्हीं वजहों से कारण बताओ नोटिस भी विभाग की तरफ से जारी किया गया, लेकिन उसने कोई जवाब नहीं दिया। 

अपने सहकर्मियों और अधिकारियों को डराता था पाल

उस पर तीसरा आरोप यह है कि वह अपने सहकर्मियों और अधिकारियों को डरता और धमकाता था। साथ ही उनके साथ गलत व्यवहार होता था। उनके अंदर एक भय का माहौल रखता था। किसी के कुछ बोलने पर वह अलग-अलग तरीकों से उन्हें धमकी देता था। यह नहीं, वह खुद को सारी चीजों से ऊपर समझता था। उसने बिना प्राधिकार के ऑफिस के मेन गेट पोस्टर चस्पा कर दिए थे। जिसमें एक वाट्सएप नंबर जारी किया था और लिखा था कि काम के बदले दाम मांगने वाले कर्मचारियों और अधिकारियों की शिकायत प्रमाण सहित करें। 

ऑफिस की गोपनीयता को भंग करने का भी आरोप

उस पर पांचवा आरोप है कि ऑफिस की गोपनीयता को भंग किया। देवास कोर्ट से जारी समन को संबंधित अधिकारी को देने के बजाए कर्मचारियों के वाट्सएप ग्रुप में पोस्ट कर दिया था। यही नहीं रमेश पाल पर पांच अन्य गंभीर आरोप भी लगे हैं। इसमें बिना कोई काम किए वेतन लेना, स्थानीय निधि संपरीक्षा अधिकारी कर्मचारी संघ के लेटर हेड का दुरुपयोग कर अधिकारी और कर्मचारी की आधारहीन शिकायत करना, वार्षिक अचल संपत्ति पत्रक प्रस्तुत नहीं करना एवं क्रय की गई संपत्ति की नियमानुसार सूचना या स्वीकृति प्राप्त नहीं करना जैसे आरोप है। इनकी अलग से जांच चल रही है।

अधिकारी बोले- आगे कार्रवाई की जाएगी 

स्थानीय निधि संपरीक्षा, प्रकोष्ठ-भोपाल के एडिशनल डॉयरेक्टर आर.एस. कटारा ने कहा कि आरोप पत्र पर जवाब मिला है। जवाब संतोषजनक नहीं होने पर आगे जांच कर कार्रवाई की जाएगी। निलंबन वापस लेने दबाव बनाने जैसी कोई बात नहीं है। वहीं, इस मामले में रमेश पाल से उनका पक्ष जानने संपर्क किया, लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।

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